कहा- केंद्र के फैसले के बाद भी हरियाणा में खट्टर सरकार द्वारा किसानों से जोर-जबरदस्ती जारी रखना गलत
CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की आज्ञा देने के फ़ैसले का स्वागत किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के समझौते भरे कदम के बाद भी किसानों को रोकने के लिए ज़ोर-जबरदस्ती का प्रयोग जारी रखने पर हरियाणा की खट्टर सरकार की सख्त आलोचना की है।
खट्टर सरकार की कार्यवाहियों की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने चाहे किसानों को रोष प्रकट करने के अपने लोकतांत्रिक हक के लिए राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की इजाज़त दे दी है, परन्तु हरियाणा सरकार अभी भी दिल्ली की तरफ कूच कर रहे किसानों के विरुद्ध टकराव वाली स्थिति बरकरार रखने के लिए तत्पर है। मुख्यमंत्री ने खट्टर को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ऐसे सख्त कदम उठाने की ज़रूरत क्या है? ऐसा वहशीपन तुरंत रोकने की ज़रूरत है।’’
मुख्यमंत्री ने भोले-भाले और शांतमई किसानों के साथ हरियाणा सरकार के बरताव के ढंग की सख्त आलोचना की। उन्होंने खट्टर सरकार द्वारा किसानों को रोकने की बेकार कोशिश करते हुए इस्तेमाल किए गए तौर-तरीकों पर हैरानी ज़ाहिर की, यहाँ तक कि राष्ट्रीय मार्ग को खोद कर सार्वजनिक जायदाद का भी नुक्सान किया गया है।
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘पिछले तीन महीनों से रोष प्रदर्शन कर रहे किसानों ने किसी भी सार्वजनिक जायदाद के कण मात्र को भी नुक्सान नहीं पहुँचाया गया, जबकि दूसरी तरफ़ हरियाणा सरकार ने बहुत बेशर्मी के साथ लोगों के पैसों के साथ बनी सडक़ों में गड्ढे खोद दिए।’’ कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार को कृषि कानूनों पर किसानों की चिंता के हल के लिए बातचीत तुरंत शुरू करने और इस ज्वलंत मुद्दे को हल करने की फिर अपील की।
उन्होंने कहा कि इस समस्या का शांतमई और सुखदाई हल ढूँढने के लिए पहला कदम उठाया गया है परन्तु केंद्र सरकार को किसान संगठनों के साथ बातचीत के लिए अब आगे बढऩा चाहिए, जिससे कृषि कानूनों के कारण पैदा हुई समस्या को हल किया जा सके, क्योंकि यह कृषि कानून किसानों के जीवन और रोज़ी-रोटी के लिए ख़तरा बने हुए हैं।
इसी दौरान मुख्यमंत्री ने किसानों द्वारा खट्टर सरकार के साथ आमने-सामने होते और हरियाणा पुलिस की क्रूरता के बावजूद दिखाए गए विलक्षण संयम की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के बेमिसाल रवैए ने यह दिखा दिया कि उनकी टकराव करने में कोई रूचि नहीं है। वह तो सिफऱ् यह चाहते हैं कि उनकी आवाज़ सुनी जाए जोकि उनका कानूनन हक है।’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि ठंड के इस मौसम में किसानों पर आँसू गैस के गोले दागने और पानी की बोछारें मारने के बावजूद किसान उकसाहट में नहीं आए और न ही उन्होंने अमन-कानून की समस्या पैदा की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सभी किसान दिल्ली में अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए जाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि किसान न तो गुमराह हुए हैं और न ही भारत के लोगों के लिए किसी तरह की समस्या पैदा करने में शामिल हैं। उन्होंने भारत सरकार को मुल्क के ‘अन्नदाता’ की पीड़ा को समझने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को यकीनी बनाने के लिए कानूनी व्यवस्था करने संबंधी किसानों की माँग स्वीकार करने की अपील की।