आचार्यकुल चंडीगढ़ ने मनाई विनोबा भावे की 126वीं जयंती, 60 जरूरतमंदों को कंबल, चादरें व मास्क बांटे

CHANDIGARH: आचार्यकुल चंडीगढ़ ने भारत रत्न विनोबा भावे की 126वीं जयंती पर आज हर वर्ष की भांति एक समारोह का आयोजन सेक्टर 43-ए के कम्युनिटि सेंटर में किया। समारोह का आरम्भ विनोबा भावे की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर तथा भजन गाकर किया गया। समारोह की मुख्य अतिथि पार्षद श्रीमती चंद्रावती शुक्ला ने अपने संबोधन में बताया कि विनोबा जी का जन्म 11 सितंबर 1895 को गगोदा गांव में हुआ। उन्होंने ही आचार्यकुल संस्था की स्थापना की। उनका बचपन का नाम नरहर भावे था। उन्होंने कहा कि विनोबा जी ने दलितों, भूमिहीनों तथा जरूरतमंदों की सदा सहायता की।

समारोह में उपस्थित मुख्य अतिथि व अन्य अतिथि।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अशोक नारंग अध्यक्ष सरस्वती वेलफेयर संस्था पानीपत तथा नलिन आचार्य प्रेसिडेंट चण्डीगढ़ प्रेस क्लब ने की। अशोक नारंग ने अपने संबोधन में विनोबा जी के द्वारा किए गए कार्यों के विभिन्न पहलुओं पर बात की तथा सभी को उनके आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया। नलिन आचार्य ने विनोबा जी द्वारा डाकुओं के समर्पण के बारे में बताया, जो समर्पण के पश्चात विनोबा जी के चलाए रास्ते पर चले। विशिष्ट अतिथि प्रतिश गोयल, प्रेसिडेंट रोटरी चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल ने बताया कि विनोबा जी विभिन्न भाषाओं के ज्ञाता थे, जिसमें गणित उनका प्रिय विषय था। जरूरतमंदों के लिए विनोबा जी के मन में सदा मदद का भाव रहता था। मुख्य वक्ता इतिहासकार प्रोफेसर एम. एम. जुनेजा ने विनोबा जी के जीवन पर रोशनी डालते हुए बताया कि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रथम अनुयायी थे तथा उन्हें अपना आदर्श मानते थे।

कंबल, चादरें व मास्क प्राप्त करने वाले जरूरतमंदों के साथ आचार्यकुल चंडीगढ़ के पदाधिकारी, समारोह की मुख्य अतिथि व अन्य अतिथि।

संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम विज ने विनोबा जी के भूदान आंदोलन के बारे में बताया। उन्होंने भूदान आंदोलन चलाकर लगभग 44 लाख एकड़ जमीन जमींदारों से मदद के रूप में एकत्रित कर भूमिहीनों में बांटी थी। संस्था के अध्यक्ष केके शारदा ने बताया कि किस प्रकार विनोबा जी ने भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में जाकर भी भूमिहीनों के लिए बहुत कार्य किया। उन्होंने बताया कि जय जगत नारा भी विनोबा जी की ही देन है। शारदा ने बताया कि संस्था समय-समय पर जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए कार्य करती रही है तथा आगे भी करती रहेगी। फिर वह कार्य भूखों की मदद करना हो या अशिक्षित को शिक्षा प्रदान करने का कार्य हो।

समारोह में अचार्यकुल संस्था की ओर से 60 जरूरतमंद लोगों को कंबल, चादरें व मास्क दिए गए। अध्यक्ष ने कहा कि जरूरतमंदों की मदद करना ही विनोबा जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। समारोह में रमेश बल, डॉ. प्रज्ञा शारदा, विक्रम अरोड़ा, तिलक चुघ, अशोक तनेजा, मुक्तेश्वर जोशी, संजय भारतीय, राकेश शर्मा, गुरपाल सिंह, ओंकार चंद, हरेंद्र सिन्हा, सुशील हसरत नरेलवी तथा अशोक नादिर भी उपस्थित थे।

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