अप्रैल के बाद ट्रांसपोर्ट चौक की बदल जाएगी आबो-हवा, लगाया जा रहा अनूठा 24 मीटर ऊंचा एयर प्योरीफायर टाॅवर

CHANDIGARH: वायु प्रदूषण प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करता है- भले ही वह अमीर हो या गरीब, बुजुर्ग हो या युवा, पुरुष हो या महिला, शहरी हो या ग्रामीण। वायु प्रदूषण से कारण अनेक और विविध हैं। वायु प्रदूषण एक जटिल और बड़ा मुद्दा है जो सिर्फ़ नागरिकों के स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इनडोर और आउटडोर दोनों तरह से वायु प्रदूषण भारत में मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। सतत उपायों के साथ, कुछ वर्षों में हवा की गुणवत्ता में बदलाव लाया जा सकता है।

वायु प्रदूषण से निपटने के मामले में भारतीय लोग नए विचारों से लबरेज हैं जिनमें मनोज जेना व नितिन आहलुवालिया भी शामिल हैं। घरों या कार्यालयों अथवा अन्य भवनों-इमारतों को अंदरूनी तौर पर वायु प्रदूषण रहित करने की तकनीक तो पहले से उपलब्ध है पर  इन दोनों बचपन के दोस्तों (मनोज जेना व नितिन आहलुवालिया) ने नवोन्मेष का इस्तेमाल किया व एक नई अवधारणा के तहत भीड़-भड़क्के वाले सार्वजनिक स्थलों को भी वायु प्रदूषण से मुक्त करने की तकनीक इजाद करने की ठानी व अथक प्रयासों के बाद आखिरकार सफलता हासिल की व इसका नामकरण किया “क्षल्”। ये एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है साफ करना।सिटी ब्यूटीफुल के नाम से मशहूर चंण्डीगढ़ ‌हालांकि देश-दुनिया के अन्य शहरों के मुकाबले काफी साफ सुथरा है व वायु प्रदूषण से भी इसका अधिकांश क्षेत्र मुक्त है पर फिर भी कुछेक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को पार कर जाता है। स्थानीय प्रशासन ने शहर के चुनिंदा स्थानों पर वायु प्रदूषण का स्तर दर्शाने वाले इलैक्ट्रोनिक बोर्ड भी लगाए हुए हैं जिनसे रिकॉर्ड होता रहता है कि कहां, किस समय, कितना वायु प्रदूषण है।

मनोज जेना व नितिन आहलुवालिया ने सबसे पहले चंण्डीगढ को ही वायु प्रदूषण से निजात दिलाने का इरादा किया व इसके लिए पहले तो चंण्डीगढ प्रैस क्लब में प्रैस कांफ्रेंस कर मीडिया के जरिए अपने इस अविष्कार के बारे में आमो-खास जनता तक जानकारी पंहुचाई व फिर प्रशासन के सम्बंधित अधिकारियों से व्यक्तिगत तौर पर मिल कर अवगत कराया व प्रस्तुति दी।

कुछ दौर की बातचीत के बाद आखिरकार उन्हें पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस टाॅवरनुमा उत्पाद को शहर के सर्वाधिक वायु प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र से. 26 स्थित ट्रांसपोर्ट चौक पर स्थापित करने की अनुमति मिल गई। ये एयर प्योरीफायर टाॅवर अप्रैल अंत तक स्थापित हो जाएगा। उसके बाद ट्रांसपोर्ट चौक की आबो-हवा गुणवत्तायुक्त हो जाएगी, ऐसा दावा है मनोज जेना व नितिन आहलुवालिया का। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से मेक इन इंडिया के तहत बनाया जा रहा है और इसमें वोकल फाॅर लोकल की अवधारणा का पालन करते हुए स्टार्ट-अप इंडिया के तहत पंजीकृत भी कराया गया है। उन्होंने बताया कि देश भर में बड़े पैमाने पर ये टावर लगाने पर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। एक टाॅवर को स्थापित करने में लगभग साढ़े तीन से चार करोड़ रूपए की लागत आएगी, जेना व आहलूवालिया ने जानकारी देते हुए बताया।

उनके मुताबिक देश व दुनिया में और भी लोग व कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं परंतु उनके द्वारा आविष्कृत तकनीक बेहद एडवांस व कमी-खामी रहित है। उन्होंने बताया कि वे अन्य ऐसे उत्पादों के बारे में भी सारी जानकारी जुटा  कर अध्ययन कर चुके हैं। उनमें कोई भी उनके द्वारा इजाद उपकरण के जैसा सक्षम नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया में एकमात्र एयर प्योरीफायर चीन की राजधानी बीजिंग में स्थापित किया गया है परंतु एक तो उसकी लागत एक हजार करोड़ रुपए बैठी, जो उनके उत्पाद के मुकाबले बेहद ज्यादा है। ऊपर से गुणवत्ता के मामले में भी वह *क्षल्* के सामने कहीं नहीं टिकता।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नि: शुल्क एयर प्योरीफायर टाॅवर लगा रही है कंपनी : देवेंद्र दलाई

चंण्डीगढ में प्रदूषण और वन विभाग के डायरेक्टर देवेंद्र दलाई (आईएफएस) से से. 19 स्थित पर्यावरण भवन उनके कार्यालय में मुलाकात कर इस विषय पर बातचीत कर जानकारी हासिल की गई। देवेंद्र दलाई ने जानकारी सांझा करते हुए बताया कि पायस एयर प्राईवेट लिमिटेड (Pious Air Pvt. Ltd ) नाम की कंपनी के अधिकारी मनोज जेना व नितिन आहलुवालिया ने उनसे संपर्क किया था व इस तकनीक के बारे में बताया था कि ये एयर प्योरीफायर लगभग 24 मीटर ऊंचा टाॅवरनुमा ढांचा होगा जो आसपास के 500 मीटर के दायरे के वातावरण से प्रदूषित वायु को इनटेक करेगा और स्वच्छ वायु बाहर वायुमंडल में छोड़ेगा। इस पर बाकायदा डिस्प्ले भी होगा कि टाॅवर जो हवा अंदर खींच रहा है उसमें प्रदूषण की कितनी मात्रा है व जो हवा बाहर आ रही है वो कितनी शुद्ध है। उन्होंने बताया कि हमने कंपनी के अधिकारियों से एक टाॅवर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नि:शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने मान लिया। इसके रखरखाव का जिम्मा भी कंपनी का ही होगा। बिजली का ख़र्च प्रशासन वहन करेगा जो कि बेहद मामूली बैठेगा।उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि  इस प्रोजेक्ट की लागत के खर्च का वहन प्रोजेक्ट लगाने वाली कंपनी ही करेगी। प्रशासन केवल कंपनी को इसके लिए लगभग 16 वर्ग मीटर जगह व बिजली मुहैया कराएगा। सकारात्मक नतीजे मिलने पर शहर में अन्य प्रदूषित क्षेत्रों में इन टाॅवर्स को लगाने बारे में योजना बनाई जाएगी। श्री देवेंद्र दलाई ने कहा कि इस योजना में जो भी लागत आएगी, उसके लिए उच्च अधिकारियों से चर्चा करके जो तय प्रक्रिया होगी उसके मुताबिक निर्णय लिया जाएगा।

सरकार को राजस्व भी प्राप्त हो सकता है एयर प्योरीफायर टाॅवर्स के जरिए 

जेना व आहलूवालिया ने बताया कि एयर प्योरीफायर टाॅवर्स के जरिए सरकार को राजस्व भी प्राप्त हो सकता है। उन्होंने कार्बन क्रेडिट के बारे में जानकारी दी कि कार्बन क्रेडिट अंतर्राष्ट्रीय कार्बन उत्सर्जन नियंत्रण की योजना है। कार्बन क्रेडिट सही मायने में किसी देश  द्वारा किये गये कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने का प्रयास है जिसे प्रोत्साहित करने के लिए मुद्रा से जोड़ दिया गया है। कार्बन डाइआक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए क्योटो संधि में एक तरीक़ा सुझाया गया है जिसे कार्बन ट्रेडिंग कहते हैं अर्थात कार्बन ट्रेडिंग से सीधा मतलब है कार्बन डाइऑक्साइड का व्यापार।उन्होंने खुलासा किया कि पिछले वर्ष नवंबर में इंदौर देश का पहला स्मार्ट शहर बन गया है, जिसने सफाई और कचरा निपटान के बल पर अंतरराष्ट्रीय बाजार से कमाई शुरू कर दी है। इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कंपनी लि. ने सफाई के लिए किए विभिन्न कार्यों से कमाए गए 1.70 लाख कार्बन क्रेडिट अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर 50 लाख रुपये कमाए हैं।

कार्बन क्रेडिट से सम्बंधित विस्तृत जानकारी के लिए इस लिंक है : https://m-hindi.indiawaterportal.org/content?amp=1&id=3472&slug=kaarabana-karaedaita-kayaa-haai-aura-kaaisae-haotai-haai-kaarabana-taraedainga&type=content-type-page.  

कई गंभीर बिमारियों का कारक है वायु प्रदूषण

पूरा विश्व वायु प्रदूषण से त्रस्त है। एक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया में हर दस में से नौ लोग अशुद्ध हवा में सांस लेते हैं। इसके कारण दमा या अस्थमा, आंखों में जलन एवं त्वचा रोग आदि गंभीर बिमारियां लग सकती हैं।प्रदूषण को लेकर आईक्यू एयर विजुअल द्वारा कराए गए विश्व वायु गुणवत्ता 2019 सर्वे के मुताबिक, गाजियाबाद दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। प्रदूषण के मामले में राजधानी दिल्ली दुनिया में पांचवें स्थान पर है जबकि राजधानी के मामले में पहले स्थान पर है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत के 21 शहर दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में आते हैं।

विशेषज्ञों के आंकलन के मुताबिक यदि वायु प्रदूषण की यथास्थिति को न बदला गया तो आने वाले तीस से चालीस वर्षों में पृथ्वी पर जन जीवन पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

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