चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में हुआ बड़ा खेला, बहुमत न होने के बावजूद जीत गई भाजपा, हाईकोर्ट पहुंचा INDIA एलायंस

भाजपा ने मेयर के साथ सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर भी किया कब्जा

CHANDIGARH, 30 JANUARY: चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में आज वो ही हुआ, जिसकी आशंका थी। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन के आगे भाजपा के 5 वोट कम होने के बावजूद भाजपा ने यह चुनाव जीत लिया और ये संभव हुआ भाजपा समर्थित प्रिसाइडिंग ऑफिसर द्वारा INDIA एलायंस के 8 वोट रद्द कर दिए जाने से। भाजपा के मेयर उम्मीदवार मनोज सोनकर के पक्ष में 16 और INDIA एलायंस के उम्मीदवार कुलदीप सिंह टीटा के पक्ष में 12 वोट वैलिड करार दिए गए। इस चुनाव में भाजपा सांसद किरण खेर और 35 निर्वाचित पार्षदों ने वोट डाले थे। इस तरह भाजपा के उम्मीदवार मनोज सोनकर को वर्ष 2024 के लिए चंडीगढ़ का नया मेयर निर्वाचित घोषित किया गया। INDIA एलायंस ने इसे सरेआम धांधली और से बेईमानी बताते हुए विरोध में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर भी भाजपा के ही उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया। अब INDIA एलायंस इस चुनाव के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चला गया है और इस चुनाव को रद्द करके दोबारा निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है। इस याचिका पर हाईकोर्ट में कल 31 जनवरी को सुनवाई होगी।

पहले 18 जनवरी को होना था चुनाव

दरअसल, चंडीगढ़ में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव हर साल होता है तथा इस चुनाव में निर्वाचित पार्षद ही वोट डालते हैं। इन पार्षदों का चुनाव 5 साल के लिए आम मतदाताओं के जरिए होता है। दिसंबर 2021 में कुल 35 सीटों वाले चंडीगढ़ नगर निगम के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा 14, भाजपा को 12, कांग्रेस को आठ और अकाली दल को एक सीट मिली थी लेकिन पहले ही साल में पार्षदों की तोड़फोड़ और वोटों की जोड़-तोड़ से भाजपा ने अपना मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर तथा डिप्टी मेयर बना लिया था, जबकि कांग्रेस ने इस चुनाव का बहिष्कार किया था। कांग्रेस ने दूसरे साल भी मेयर चुनाव का बहिष्कार किया और तब तक भाजपा पार्षदों की संख्या इतनी हो गई कि भाजपा ने दोबारा अपना ही मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर बना लिया था। अब तीसरे साल 2024 में चंडीगढ़ के मेयर का चुनाव कराने के लिए डिप्टी कमिश्नर ने 18 जनवरी तय की थी। इस बार भाजपा के पास अपने सांसद का वोट मिलकर 15, आम आदमी पार्टी के पास 13, कांग्रेस के पास 7 और अकाली दल के पास एक वोट था। ऐसे में INDIA एलायंस के दो पार्टनर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में हाथ मिला लिया। इसके कारण INDIA एलायंस भाजपा से पांच वोट आगे हो गया। लिहाजा, 18 जनवरी को यह चुनाव ही नहीं हुआ। प्रिसाइडिंग ऑफीसर बनाए गए अनिल मसीह चुनाव कराने नहीं पहुंचे और कहा गया कि अनिल मसीह अचानक बीमार हो गए हैं और अस्पताल में एडमिट हैं। इसके बाद डिप्टी कमिश्नर ने यह चुनाव कराने के लिए अगली तारीख 6 फरवरी तय कर दी लेकिन INDIA एलायंस हाईकोर्ट चला गया और आरोप लगाया कि हार से बचने तथा पार्षदों की खरीद-फरोख्त करने के लिए भाजपा ने यह चाल चली है। INDIA एलायंस ने 6 फरवरी की तारीख को नामंजूर करते हुए हाईकोर्ट से यह चुनाव जल्दी से जल्दी कराने की मांग की थी। इस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के नए मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए 30 जनवरी तय कर दी थी।

8 वोटों के कैंसिलेशन ने सबको चौंका दिया

इस चुनाव की खास बात यह थी कि पूरे देश में INDIA एलायंस पहली बार घोषित रूप से भाजपा के खिलाफ कोई चुनाव लड़ रहा था। इसलिए पूरे देश की नजर भी चंडीगढ़ के मेयर चुनाव पर टिकी हुई थी। तमाम आशंकाओं को देखते हुए हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इस चुनाव के दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। इस चुनाव में जीत के लिए INDIA एलायंस को अपने 20 वोटों के बहुमत का भरोसा था तो भाजपा को क्रॉस वोटिंग और वोट कैंसिलेशन का सहारा था। सुबह करीब 10:30 बजे शुरू हुई वोटिंग खत्म होने के बाद जब वोटों की गिनती का नंबर आया तो प्रिसाइडिंग ऑफीसर ने आठ वोटो को कैंसिल कर दिया और भाजपा के मेयर उम्मीदवार के पक्ष में 16 तथा INDIA एलायंस के उम्मीदवार के पक्ष में 12 वोट वैलिड करार दिए। इस तरह इस चुनाव में भाजपा को विजयी घोषित कर दिया गया। खास बात यह है कि चंडीगढ़ के मेयर चुनाव के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वोट रद्द किए गए हैं और यह वोट कैंसिल किए जाने का कारण भ…

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