भाजपा ने मनाया काला दिवसः 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने की थी लोकतंत्र की हत्या- अरुण सूद

CHANDIGARH: 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाई गई इमरजैंसी को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए भाजपा ने आज 25 जून को काला दिवस के रूप में मनाते हुए वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कैप्टन अभिमन्यु ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। इस मौके पर पार्टी के चंडीगढ़ प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद, प्रदेश महामंत्री और कार्यक्रम के संयोजक चंद्रशेखर, रामवीर, प्रदेश कार्यालय सचिव दीपक मल्होत्रा और पार्टी के सैंकड़ों कार्यकर्ता वर्चुअल तौर पर कार्यक्रम में जु़टे।

कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद ने मुख्य वक्ता कैप्टन अभिमन्यु और सभी लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि आज आपातकाल को 45 वर्ष से ऊपर हो गए हैं । 25 जून 1975 को  सत्ता का दुरुपयोग करते हुए इंदिरा गांधी ने जिस प्रकार से इसे लागू किया वह लोकतंत्र की हत्या थी। उस समय श्रद्धेय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, सुंदर सिंह भंडारी, कुशाभाऊ ठाकरे जैसे जनसंघ के नेताओं के साथ चंडीगढ़ के  भी 18 कार्यकर्ताओं जितेंद्र चोपड़ा, देशराज टंडन, ओम आहूजा, सुरेंद्र महाजन, हंस राज कपूर, मूलचंद प्रेमी, रविंद्र सागर, राज कुमार गोयल, जितेंद्र वीर, बापू दिलीप चंद, बाबू श्रीचंद गोयल, प्रेम सागर जैन, रामस्वरूप शर्मा, कृष्ण बवेजा, कृष्ण मनचंदा, सूरज भान गुप्ता, श्रीराम, जय नारायण आदि को मीसा और डीआईआर के तहत जेलों में बंद किया गया। उस समय के नेताओं द्वारा लोकतंत्र को बचाने हेतु जो कुर्बानियां दी गईं, उनसे लोगों को अवगत कराने हेतु इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता कैप्टन अभिमन्यु ने आपातकाल पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उस समय इंदिरा गांधी ने विपक्षी दलों को कुचलने और कांग्रेस पार्टी की सरकार को पुनः बनाने हेतु लोकतंत्र के विरुद्ध इस काले दिवस यानी 25 जून 1975 को आधी रात को “आपातकाल” की घोषणा की थी। इस आदेश पर आधी रात को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करवाए गए और सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया जाने लगा। रातों-रात कई समाचार पत्रों की बिजली काटी गई । सरकार की मीसा को जनता के बीच में जाने के लिए अखबार के मुख्य पृष्ठों को काला करके वितरित किया जाने लगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं को झूठे केस में फंसाकर जेलों में भरा जाने लगा । देश भर के अखबारों व दूरदर्शन को सेंसर कर दिया गया और इस सारे कृत्य के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर व्यक्ति व संगठन को दबाने कुचलने का हर संभव व अमानवीय प्रयास किया गया ।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की नेता स्वर्गीय इंदिरा गांधी जानती थी कि यदि जनसंघ व उस समय के अन्य राजनीतिक दलों को दबाया न गया तो सरकार के लिए बड़ा संकट खड़ा हो सकता है । पूरे देश में इन्हीं लोकतंत्र के रक्षकों ने जेल में रहकर और जेलों से बाहर रहकर ऐसा आंदोलन खड़ा किया जिसके सामने आपातकाल लगाने वाली कांग्रेस सरकार को झुकना पड़ा और देश की जनता ने इन्हें लोकतांत्रिक आंदोलन के द्वारा ही सत्ता से बाहर कर दिया। कैप्टन ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन चला। 22 माह  के बाद देश की जनता ने इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह से हराया और पहली गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ। इस प्रकार से जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी तक का सफर हुआ अटल जी के उपरांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में दूसरी बार पूर्ण बहुमत की एनडीए की सरकार बनी। मोदी सरकार ने राष्ट्रहित  के लिए जो साहसिक निर्णय धारा 370, धारा 35 A, तीन तलाक कानून  आदि को लेकर जता दिया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार राष्ट्र हित के लिए कठोर निर्णय लेने में भी नहीं चूकती।

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