चंडीगढ़ में भाजपाइयों ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि

बूथ स्तर तक हुए कार्यक्रम, डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत का मुकुट बचाने को दिया बलिदान: आरती मेहरा

CHANDIGARH, 23 JUNE: भारतीय जनसंघ के संस्थापक व भाजपा के प्रेरणा स्रोत एक देश एक विधान एक निशान का नारा देने वाले डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर आज भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा देश भर में कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इसी कड़ी चंडीगढ़ भाजपा द्वारा भी बूथ स्तर तक के कार्यक्रम आयोजित कर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी व शाम को प्रदेश स्तर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कैलाश चन्द जैन बताया कि आज 23 जून को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 121वीं पुण्यतिथि पर भाजपा जिला मंडल बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं द्वारा द्वारा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के फोटो पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी जिनमें भाजपा कार्यकर्ताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

इसी कड़ी में शाम को पार्टी प्रदेश कार्यालय कमलंम में सेमी वर्चुअल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य चंडीगढ़ भाजपा की पूर्व प्रभारी आरती मेहरा ने मुख्य रूप से हिस्सा लिया व डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवनी पर प्रकाश डाला ।

इस अवसर पर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष आशा जसवाल, प्रेम कौशिक, रामलाल बैरवा, सुनीता भट्ट, नीना तिवारी, महामंत्री चंद्रशेखर, कैलाश जैन, मोहिंदर निराला, इंदरजीत कंवर सहित सभी प्रदेश पदाधिकारी, जिला -मोर्चा अध्यक्ष, महामंत्री, मंडल अध्यक्षों सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे तथा हजारों की संख्या में वर्चुअल माध्यम से जुड़े।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता आरती मेहरा ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हमारे प्रेरणा स्रोत है उन्होंने भारत के मुकुट यानी कश्मीर को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया। एक देश एक विधान एक निशान का नारा सबसे पहले उन्होंने ही दिया था उनकी सोच का ही प्रभाव है कि आज हमारी सरकार जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35 ए खत्म करने में कामयाब हुई है। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन चुका है। पूरे देश में एक देश एक विधान एक निशान लागू हो गया है इसके लिए उन्होंने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को नमन किया तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में बोलते हुए आरती मेहरा ने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे। उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने ख्यात शिक्षाविद् थे। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कर्मक्षेत्र के रूप में 1939 से राजनीति में भाग लिया और आजीवन इसी में लगे रहे। उन्होंने गांधीजी व कांग्रेस की नीति का विरोध किया, जिससे हिन्दुओं को हानि उठानी पड़ी थी। एक बार उन्होंने कहा था – ‘वह दिन दूर नहीं जब गांधीजी की अहिंसावादी नीति के अंधानुसरण के फलस्वरूप समूचा बंगाल पाकिस्तान का अधिकार क्षेत्र बन जाएगा।’ उन्होंने नेहरूजी और गांधीजी की तुष्टिकरण की नीति का सदैव खुलकर विरोध किया। यही कारण था कि उनको संकुचित सांप्रदायिक विचार का द्योतक समझा जाने लगा।अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में एक गैर-कांग्रेसी मंत्री के रूप में उन्होंने वित्त मंत्रालय का काम संभाला। डॉ. मुखर्जी ने चितरंजन में रेल इंजन का कारखाना, विशाखापट्टनम में जहाज बनाने का कारखाना एवं बिहार में खाद का कारखाने स्थापित करवाए। उनके सहयोग से ही हैदराबाद निजाम को भारत में विलीन होना पड़ा। 1950 में भारत की दशा दयनीय थी। इससे डॉ. मुखर्जी के मन को गहरा आघात लगा। उनसे यह देखा न गया और भारत सरकार की अहिंसावादी नीति के फलस्वरूप मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर संसद में विरोधी पक्ष की भूमिका का निर्वाह करने लगे। एक ही देश में दो झंडे और दो निशान उनको स्वीकार नहीं थे। अतः कश्मीर का भारत में विलय के लिए डॉ. मुखर्जी ने प्रयत्न प्रारंभ कर दिए। इसके लिए उन्होंने जम्मू की प्रजा परिषद पार्टी के साथ मिलकर आंदोलन छेड़ दिया।अटलबिहारी वाजपेयी, सूंदर सिंह भंडारी, आदि को लेकर आपने 8 मई 1953 को जम्मू के लिए कूच किया। सीमा प्रवेश के बाद उनको जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। 40 दिन तक डॉ. मुखर्जी जेल में बंद रहे और 23 जून 1953 को जेल में उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई।

आज हम सब उनको शत शत नमन करते है तथा उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लेते है यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

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