गांधी स्मारक निधि के संस्थापक पं. ओम प्रकाश त्रिखा की पुण्यतिथि मनाई

CHANDIGARH: गांधी स्मारक भवन सैक्टर 16 में आज गांधी स्मारक निधि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल व चंडीगढ़ के संस्थापक तथा महात्मा गांधी एवं सरदार पटेल के साथ कार्य करने वाले स्वतंत्रता सेनानी स्व. पंडित ओम प्रकाश त्रिखा जी की 37वीं पुण्य तिथि तथा माता लक्ष्मी देवी का स्मृति दिवस बड़े श्रद्धापूर्वक मनाया गया।

 कार्यक्रम का आरंभ सर्वधर्म प्रार्थना से हुआ जिसमें भवन के कार्यकर्ता पापिया चक्रवर्ती, आनन्द राव, गुरप्रीत ने भाग लिया। उसके पश्चात श्रीमती कंचन त्यागी ने भजन गाया।

देवराज त्यागी निदेशक गांधी स्मारक भवन, ने मुख्य वक्ता के तौर पर कहा कि पं. ओम प्रकाश त्रिखा एवं लक्ष्मी देवी ने गांधी जी के रचनात्मक कार्यों को चलाने में अपना सारा जीवन अर्पन कर दिया। पं. ओम प्रकाश त्रिखा जी ने शुरूआत खादी-ग्रामोद्योग के काम से की। साईमन कमीशन के विरोध में लाठियां खाई तथा जेल यात्रा भी की। गांधी जी का पत्र ‘हरिजन‘ उर्दु में निकलना शुरू हुआ तो त्रिखा जी ही उसकेे सम्पादक रहे। त्रिखा जी एक उदार हृदय कवि तथा अच्छे साहित्यकार थे। गांधी-विचार से सम्बंधित 23 पुस्तकें लिखीं।

संत विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन में पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश में आपने यात्रा की व्यवस्था की तथा पदयात्रा में साथ रहे। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज ने श्रद्धांजली देते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अवसान के बाद ‘गांधी स्मारक निधि‘ के नाम से करोड़ों रुपयों की रकम जमा हुई थी। उस समय भारत के राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष थे। पंजाब शाखा के लिये सरदार पटेल के विशेष आग्रह पर त्रिखा जी को संस्था का कार्य संभालवाया।

उन्होंने कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने के लिये अनेक प्रशिक्षण शिविर चलायेे। अनेक पुस्तकालय-वाचनालय अनेक जगहों पर खोले गये। त्रिखा जी ने गांधी जी के साथ हरिजन आन्दोलन में भाग लिया। पंजाब ग्राम सेवा मंडल की 1936 में स्थापना की। लक्ष्मी देवी त्रिखा को 1944 में गांधी जी के पास सेवाग्राम आश्रम में एक मास तक रहने का मौका मिला था।

वहां आपने आश्रम की सफाई का काम अपने जिम्मे लिया। उनकी सफाई देखकर स्वयं गांधी जी ने इन्हें बुलाकर पूछा कि इन्होंने सफाई कार्य कहां से सीखा। डाॅ. एम. पी. डोगरा ने कहा कि त्रिखा जी कहते थे सच्चा धन वह नहीं है जो अमीरों की तिजोरी में पड़ा है, बैंकों में पड़ा है, सच्चा धन तो वह है जो शारीरिक श्रम, सदाचार और सदव्यवहार द्वारा कमाया जाये।

मानव कल्याण और सेवा द्वारा जो यश प्राप्त होता है वही सच्चा धन है। कार्यक्रम में ट्राईसिटी के बुद्धिजीवी लोग, साहित्यकार डाॅ. अशोक भंडारी, सरिता मेहता, डाॅ. विनोद, डाॅ. नीरू मित्तल, पापिया चक्रवर्ती, नवीन ट्रेडर्स, आनन्द राव, अमित, गुरप्रीत आदि ने भाग लिया। 

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