सैरिबरल अटैक्सिया से चलने में असमर्थ बालक आयुर्वेदिक इलाज से दौडऩे लगा

CHANDIGARH: श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज संभव है। आयुर्वेद में रोग के लक्षण पहचान कर उसको जड़ से खत्म किया जाता है। संस्थान का प्रयास है प्रदेश के नागरिकों को बेहतर इलाज व सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। इसमें अस्पताल के डॉक्टर महती भूमिका निभा रहे हैं।

कुलपति ने बताया कि इसे आयुर्वेद का चमत्कार ही कहेंगे, चलने-फिरने में असमर्थ आरव आज दौड रहा है। बाबैन के गांव इसरेहड़ी का 3 साल का आरव जो वात-वहसंस्थान (सैरिबरल अटैक्सिया) रोग से पीडि़त था। वह चलते-चलते गिर जाता था मगर छह माह के आयुर्वेदिक उपचार के दौरान ही दौड़ने लगा।

आरव लगभग 15 माह की आयु में बच्चों को लगने वाले टीके के बाद से सैरिबरल अटैक्सिया रोग से ग्रसित हो गया था।  श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल एवं कॉलेज के बाल रोग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कटारिया द्वारा दी गई आयुर्वेदिक औषधियों से वह चल-फिर रहा है।  

प्रो. डॉ. शंभू दयाल शर्मा ने बताया कि सैरिबरल अटैक्सिया जिसे आयुर्वेद में वात वह- संस्थान रोग के नाम से जानते हैं। यह रोग आमतौर पर हैड ट्रोमा (सर की चोट), स्ट्रोक (दिमाग में ऑक्सीजन की कमी, ब्रेन इन्फेक्शन के कारण होता है। इस बीमारी के कारण रोगी चलने में असमर्थ हो जाता है। मगर आयुर्वेद में इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है।  

आरव की माता कर्मजीत ने बताया कि आरव का शहर के कई डॉक्टरों से इलाज चला। मगर कोई फायदा नहीं हुआ। आयुर्वेदिक अस्पताल में छह महीने के इलाज से आरव अब वह पहले से ठीक है और चल भी रहा है।

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