समय पर जांच, आहार और नियमित दवा से पार्किंसंस रोग का प्रभावी ढंग से उपचार किया जा सकता है: डॉक्टर्स

फोर्टिस मोहाली ने पार्किंसंस रोगियों के लिए जागरूकता सत्र आयोजित किया

MOHALI, 12 APRIL: पार्किंसंस रोग एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो कंपकंपी, गिरने और धीमी गति से चलने का कारण बनता है। पार्किंसंस के चेतावनी संकेतों को पहचानने और बीमारी को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए आहार और दवा के समय के महत्व पर प्रकाश डालने के लिए फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरोलॉजी विभाग ने आज पार्किंसंस रोगियों के लिए एक मुफ्त जागरूकता सत्र का आयोजन किया।

डॉ. सुदेश प्रभाकर, डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी डॉ. निशित सावल, डॉ. शिवानी जुनेजा, कंसल्टेंट, क्लिनिकल फार्माकोलॉजी सहित फोर्टिस मोहाली के विशेषज्ञों ने इस बीमारी की पहचान का शीघ्र पता लगाने पर जोर दिया, जो पार्किंसंस के रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है। उपचार के विकल्पों में दवाएं, आहार आधारित उपचार और डीप-ब्रेन स्टिमुलेशन शामिल हैं।

डॉ. सुदेश प्रभाकर ने कहा कि बाजरा आधारित आहार पार्किंसंस के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं के समावेश में सुधार करता है, जिससे बीमारी पर नियंत्रण होता है और इसके लिए फोर्टिस अस्पताल मोहाली बाजरा आधारित आहार चिकित्सा की पेशकश कर रहा है।

उन्होंने बताया कि फोर्टिस मोहाली पार्किंसंस रोग के रोगियों के लिए अत्याधुनिक डीबीएस और विशेष आहार आधारित उपचार प्रदान करता है। डीप-ब्रेन स्टिमुलेशन में इलेक्ट्रिकल आवेग उत्पन्न करने के लिए मस्तिष्क के अंदर इलेक्ट्रोड इम्प्लांट करना शामिल है। यह सर्जरी पार्किंसंस रोग के उन रोगियों में जटिलताओं को सुधारने में मदद करती है, जिन पर दवाओं का असर नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली उत्तर भारत में पीडी के लिए पायनियर डीबीएस का पहला निजी अस्पताल है और यह उत्तर भारत का एकमात्र अस्पताल है, जिसके पास डीबीएस प्रक्रिया के लिए न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट और न्यूरो एनेस्थीसिया की टीम है। फोर्टिस अस्पताल मोहाली ने उत्तर भारत में सबसे अधिक डीबीएस प्रक्रियाएं की हैं।

डॉ. निशित सावल ने बताया कि पार्किंसंस की मुख्य दवा एल-डोपा का समावेश एलसीएएस फॉर्मूलेशन (लिक्विड कार्बिडोपा एस्कॉर्बिक एसिड सॉल्यूशन (एलसीएएस)) के माध्यम से दिए जाने पर कई गुना बढ़ जाता है। यह विशेष रूप से उन्नत बीमारी में उपयोगी है जब गोलियों का प्रभाव कम हो जाता है और कम समय तक रहता है। इस अवसर पर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) सेक्टर-32 चंडीगढ़ के डॉ. जसबिंदर कौर ने भी चर्चा की।

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