मंडियों में गेहूं की खरीद के लिए उचित व्यवस्था करे सरकार: हुड्डा

कहा- पोर्टल, रजिस्ट्रेशन, सर्वर डाउन और मैसेज के नाम पर न किया जाए किसानों को परेशान

CHANDIGARH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश की मंडियों में फैली अव्यवस्था के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल से खरीद का ऐलान करने के बावजूद सरकार ने मंडियों में गेहूं खरीद के लिए उचित व्यवस्था नहीं की। जो किसान अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं उन्हें वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और सर्वर डाउन का बहाना बनाकर परेशान किया जा रहा है। किसानों को कहा जा रहा है कि जिसके पास मैसेज आएगा, उसे ही अपनी फसल मंडी में बेचने के लिए आना है।

एमएसपी से बचने के लिए सरकार ने नमी की मानक मात्रा को 14 से घटाकर किया 12%

हुड्डा ने पूछा कि जिन किसानों की गेहूं कट चुकी है और उनके मैसेज नहीं आया तो वो अपनी गेहूं लेकर कहां जाएगा? अगर किसान फसल काटने के बाद उसे पहले अपने घर और फिर मैसेज आने के बाद मंडी में लेकर जाएगा तो इससे उसकी लेबर और ट्रांसपोर्ट की लागत डबल हो जाएगी। उसपर अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ेगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार की तरफ से किसानों को परेशान करने के लिए इस तरह की प्रक्रिया अपनाई गई है। सरकार को चाहिए कि जो किसान अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं, फौरन उसकी खरीद करे।

एमएसपी से बचने के लिए सरकार ने नमी की मानक मात्रा को 14 से घटाकर किया 12%

गेहूं में नमी की सीमा को 14 से घटाकर 12% करने के फैसले का भी नेता प्रतिपक्ष ने विरोध किया है। उनका कहना है कि किसानों को फसल का एमएसपी ना देना पड़े, इसलिए सरकार ने नमी की मान्य मात्रा को घटाने का फैसला लिया है। अब मंडियों वहीं गेहूं खरीदा जाएगा, जिसमें नमी 12 प्रतिशत से कम होगी। पहले 14 प्रतिशत तक नमी वाले गेहूं की भी खरीद होती थी। इतना ही नहीं पहले एक क्विंटल में 0.75 प्रतिशत मिश्रित मात्रा (राई, सरसों, भूसा आदि) होने पर गेहूं की तौल करवाई जाती थी। इस बार ये मानक घटाकर 0.50 प्रतिशत कर दिया गया है। इस बार मिश्रित मात्रा 0.50 प्रतिशत यानि एक क्विंटल में 500 ग्राम से अधिक नहीं होगी। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। इसलिए सरकार को तुरंत इस फैसले को वापस लेना चाहिए।

स्कूलों में खाली पड़े टीचर्स व हेड टीचर्स के हजारों पद, फिर भी भर्ती नहीं कर रही सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने प्रदेश में भयंकर रूप अपना चुकी बेरोजगारी पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि वैसे तो हर क्षेत्र में बेरोजगारी चरम पर है। लेकिन शिक्षा का क्षेत्र इससे खास तौर पर प्रभावित है। सरकारी स्कूलों में टीचर्स के करीब 45 हजार पद खाली पड़े हुए हैं। यहां तक कि स्कूलों में हेड मास्टर और प्रिंसिपल के भी करीब 50% पद खाली पड़े हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक खुद मुख्यमंत्री के जिले करनाल में 54 प्रतिशत स्कूलों में हेड टीचर नहीं है। बावजूद इसके सरकार नई भर्तियां नहीं कर रही। करीब एक लाख एचटेट पास जेबीटी 7 साल से भर्ती का इंतजार कर रहे हैं लेकिन प्रदेश की बीजेपी सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में आज तक एक भी भर्ती नहीं निकाली, जबकि कांग्रेस कार्यकाल में 20 हजार से ज्यादा जेबीटी की भर्ती हुई। स्पष्ट है कि सरकार शिक्षा को पूरी तरह निजी हाथों में सौंपने का मन बना चुकी है। इसीलिए वो लगातार सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है। पिछले दिनों 1057 स्कूलों को बंद करने का ऐलान इसी की बानगी है।

हुड्डा ने कहा कि अगर सरकार इसी तरह अपनी जिम्मेदारी से भागती रही और टीचर्स की भर्तियां नहीं की तो सरकारी स्कूलों में बच्चों की तादाद और कम हो जाएगी। इससे सरकार को बाकी स्कूलों को बंद करने का बहाना मिल जाएगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार का काम स्कूल बनाना होता है, उन्हें बंद करना नहीं होता। सरकार का काम हर बच्चे को सस्ती शिक्षा उपलब्ध करवाना है ना कि महंगी शिक्षा। स्कूल, हॉस्पिटल, मेडिकल कॉलेज समेत तमाम सरकारी संस्थान आज सरकार की अनदेखी झेल रहे हैं। हर जगह स्टाफ का भारी टोटा है। लेकिन भर्तियां करने की बजाए, भर्तियां खत्म करने में लगी है। यही वजह है कि इसबार भी सीएमआआई की रिपोर्ट में हरियाणा ने फिर टॉप किया है। 28.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर के साथ हरियाणा पूरे देश में पहले पायदान पर है।

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