हरियाणा को मिला ‘एमएसएमई नेशनल अवार्ड’ में तीसरा स्थान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में दी ट्रॉफी और प्रमाण- पत्र

CHANDIGARH 30, JUNE: हरियाणा सरकार द्वारा एमएसएमई के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए प्रदेश को राष्टï्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल हुआ है। आज नई दिल्ली में भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय द्वारा उद्यमी-भारत कार्यक्रम के तहत आयोजित ‘एमएसएमई नेशनल अवार्ड’ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरियाणा को यह अवार्ड दिया गया। इस अवसर पर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला तथा वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के प्रधान सचिव विजयेंद्र कुमार विशेष रूप से उपस्थित थे। एमएसएमई के क्षेत्र में हरियाणा देश के टॉप-3 राज्यों में शामिल है। इस अवसर पर हरियाणा की औद्योगिक नीतियों की काफी तारीफ हुई।

इस कार्यक्रम में हरियाणा के दो एमएसएमई को भी अवार्ड मिला है। इनमें डॉ. हरजिंद्र कौर तलवार को वुमैन कैटेगरी के स्मॉल सर्विस इंटरप्राइज में प्रथम तथा रिषभ गुप्ता को मैनुफैक्चरिंग माईक्रो इंटरप्राइज की ओवरऑल कैटेगरी में तीसरे स्थान का अवार्ड मिला है। डिप्टी सीएम ने अवार्ड लेने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय को धन्यवाद दिया कि उन्होंने राज्य एमएसएमई के विकास को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों के साथ-साथ हरियाणा छोटे एवं लघु उद्योगों के मामले में भी टॉप परफोर्मिंग स्टेट्स में बना हुआ है। मैं इस उपलब्धि के लिए प्रदेश के सभी उद्यमियों को बधाई देता हूँ। हमारा हमेशा से संकल्प रहा है कि प्रदेश में नए उद्यग लगें, उनका विकास हो और हमारे युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मिले।

उन्होंने कहा कि हरियाणा ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से आर्थिक विकास किया है और इसमें हमारे एमएसएमई का विशेष योगदान रहा है। प्रदेश में लगभग 9.7 लाख एमएसएमई हैं जो कि बढ़ती अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। राज्य सरकार ने एमएसएमई के लिए कई नई योजनाएं और पहल आंरभ की हैं ताकि उनको संस्थागत सलाह और सुविधा प्रदान की जा सके, साथ ही एक मजबूत नीतिगत ढांचा भी बनाया जा सके।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में एमएसएमई का समर्थन करने के लिए एक समर्पित विभाग ‘एमएसएमई निदेशालय’ की स्थापना की हुई है, इससे बाजार, प्रौद्योगिकी और कुशल श्रमिकों तक पहुंच आसान हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार राज्य में औद्योगिक विकास, विशेषकर एमएसएमई के लिए लक्षित नीतियां लेकर आई है।

उपमुख्यमंत्री ने राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा ने ‘वोकल फॉर ग्लोबल’ के सिद्घांत पर चलतेे हुए अपनी तरह का एक प्रोग्राम ‘पदमा’ शुरू किया है जिसका मुख्य उद्देश्य खंड स्तर पर एक गतिशील, आत्मनिर्भर और संपन्न औद्योगिक बुनियादी ढांचा तैयार करना है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार एमएसएमई के विकास के लिए भारत सरकार के क्लस्टर विकास दृष्टिकोण पर पूरा फोकस कर रही है। भारत सरकार की एमएसई-सीडीपी योजना पर जोर देने के अलावा हरियाणा अपनी तरह की पहली ‘राज्य मिनी क्लस्टर योजना’ भी लेकर आया है। उन्होंने बताया कि अब तक, एमएसई-सीडीपी योजना के तहत हरियाणा से 140 करोड़ रुपए की लागत के 9 क्लस्टरों को मंजूरी दी गई है। इसमें से भारत सरकार की ओर से 58 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है। जबकि, राज्य मिनी क्लस्टर विकास योजना के तहत प्रदेश में 43 एमएसएमई कलस्टर की विभिन्न पहलें,जिनकी कीमत 119 करोड़ रुपये से अधिक है, आरंभ की गई हैं। राज्य सरकार के इन व्यापक क्लस्टर विकास प्रयासों से हरियाणा में 8,000 से अधिक एमएसएमई लाभान्वित हुए हैं।

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