चंडीगढ़ की कड़़ाके की सर्दी में कवियों ने अपनी रचनाओं से गर्म किया माहौल

CHANDIGARH, 29 DECEMBER: शहर में पड़ रही कड़ाके की सर्दी में आज कवियों ने कम्युनिटी सेंटर सैक्टर-43 के सभागार में इकट्ठे होकर अपनी रचनाओं से माहौल को गर्म कर दिया। चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के 32 कवियों ने इसमें भाग लिया। काव्य गोष्ठी का आयोजन इस वर्ष को अलविदा कहने तथा नववर्ष का स्वागत करने के लिए संवाद-साहित्य मंच, आचार्यकुल चंडीगढ़ तथा वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच की ओर से किया गया। मुख्य अतिथि अमेरिका से आई कवयित्री सुषमा मल्होत्रा, अध्यक्ष मंडल में पार्षद प्रेमलता, केके शारदा, प्रेम विज और सौभाग्य वर्धन थे। कार्यक्रम का संचालन डा. अश्विनी शांडिल्य ने किया। सरस्वती वंदना सुरजीत सिंह धीर ने की।

कविवर प्रेम विज ने कहा कि सिर्फ साल बदला है लेकिन दिन और महीने नहीं। कैलाश आहलुवालिया ने कविता में कहा- तीन दिन का अबोला, घर में जैसे कर्फ्यू, बोलचाल पर पाबंदी, मतलब की बात। डॉ. विनोद शर्मा ने कविता पेश करते हुए कहा- सुख-दुख होते मानव के बोए बीज, कोई रहे सीमा में कोई लांघे दहलीज। कवयित्री अलका कांसरा ने प्रश्न कविता में कहा- हवाओं से पूछते हो क्या कभी, किधर को उड़ी जा रही है। इनके अलावा गुरदीप गुल, सुशील हसरत नरेलवी, सोमेश, शशि प्रभा, बीके गुप्ता, सौभाग्य वर्धन, हरेन्द्र सिन्हा, अश्विनी शांडिल्य, अशोक नादिर, नीलम त्रिखा, अनीश गर्ग, डेजी बेदी, राशि श्रीवास्तव, सागर सिंह भूरिया, संगीता शर्मा कुन्दरा, सुषमा मल्होत्रा, डॉ. प्रज्ञा शारदा, राज विज, शीनू वालिया ‘धरा’ आदि ने नववर्ष, सामाजिक मुद्दों पर गीत, गजल व कविताएं पेश कर खूब तालियां बटोरीं।

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