चंडीगढ़ के प्रशासक की नई सलाहकार परिषद में प्रशासन ने लोकतंत्र का गला घोंटाः प्रदीप छाबड़ा

AAP के सह प्रभारी बोले- भाजपा के राजनीतिक हित साध रहा है कठपुतली बना प्रशासन, आम आदमी पार्टी समेत दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों व गांव-कालोनियों तक की उपेक्षा की

CHANDIGARH, 24 DECEMBER:  शुक्रवार को पुनर्गठित की गई चंडीगढ़ के प्रशासक की सलाहकार परिषद को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) के सह प्रभारी एवं चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने प्रशासन और सत्तारूढ़ भाजपा की कड़ी आलोचना की है। छाबड़ा ने प्रशासन पर भाजपा के राजनीतिक हित साधने तथा भाजपा के हाथ की कठपुतली बनने का आरोप लगाते हुए कहा कि शहर के हित के लिए सृजित किए गए पदों का भाजपा अपने स्वार्थ व अपने लोगों को खुश करने के लिए इस्तेमाल कर रही है। आम चंडीगढ़वासियों की भाजपा व प्रशासन को कोई फिक्र नहीं है। गांव तथा कालोनियों को भी उनके हाल पर छोड़ दिया है।

पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि चंडीगढ़ के प्रशासक की पुनर्गठित की गई सलाहकार परिषद में गांव व कालोनियों को कोई प्रतिनिधित्व तक नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि पिछले साल नगर निगम चुनाव से पहले भाजपा ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए 13 नए गांवों को नगर निगम की सीमा में शामिल कराया लेकिन उसके बाद इन गांवों की तरफ से मूंह फेर लिया। भाजपा शासित नगर निगम ने अपने फायदे के लिए इन गांवों में सफाई का ठेका देने की तो तैयारी कर ली लेकिन इन गांवों के विकास के लिए कोई रूपरेखा तैयार नहीं की। प्रशासक की नई सलाहकार परिषद में इन 13 गांवों से कोई जनप्रतिनिधि शामिल न किए जाने से स्पष्ट है कि सत्तारूढ़ भाजपा तथा प्रशासन इन गांवों को लेकर कतई गंभीर नहीं है। यही रवैया चंडीगढ़ की कालोनियों के साथ अपनाया गया है।

प्रदीप छाबड़ा ने चंडीगढ़ के प्रशासक की नई सलाहकार परिषद से चंडीगढ़ के दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को भी बाहर कर दिए जाने की निंदा करते हुए कहा कि यह स्थिति साफ दर्शाती है कि चंडीगढ़ प्रशासन भाजपा के हाथ की कठपुतली बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इस परिषद में क्षेत्रीय राजनीतिक दल को तो प्रतिनिधित्व दिया गया लेकिन आम आदमी पार्टी जैसे राष्ट्रीय राजनीतिक दल को नजरंदाज करना साबित करता है कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा चंडीगढ़ के प्रशासक की सलाहकार परिषद तक में मजबूत विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है। छाबड़ा ने कहा कि इस परिषद में लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया है। यह परिषद पूरी तरह अलोकतांत्रिक तरीके से गठित की गई है।

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