INDIA ने बड़े दिलचस्प मोड़ पर खड़ी कर दी चंडीगढ़ की राजनीति, सियासी धुरंधर हुए बेचैन !

भाजपा भी हुई असहज, चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर फंस सकता है इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस का पेंच

CHANDIGARH, 20 JULY (NA): लगभग दो साल पहले अप्रत्याशित आयाम ले चुकी चंडीगढ़ की राजनीति अचानक नए मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है। इसने चंडीगढ़ के सियासी धुरंधरों को बेचैन कर दिया है। 2024 का लोकसभा चुनाव भले ही अभी दस महीने दूर है लेकिन इन सियासी धुरंधरों की नींद अभी से उड़ गई हैै। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के स्थानीय अलंबरदारों के सामने तो खुद के सियासी भविष्य पर ही संकट खड़ा होता दिख रहा है। भाजपा भी इन हालात में खुद को ज्यादा सहज महसूस नहीं कर पा रही है। चंडीगढ़ में यह स्थिति पैदा हुई है INDIA यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस के गठन से, जिसको लेकर देशभर में दो दिन से सियासी माहौल गर्म है और इसकी तपिश मानसूनी हवाओं के बीच चंडीगढ़ के राजनीतिक गलियारों में भी स्पष्ट महसूस की जाने लगी है।

केंद्रशासित प्रदेश (Union Territory) चंडीगढ़ की राजनीति और यहां की एक मात्र लोकसभा सीट पर इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) के पड़ने वाले असर के शुरुआती पहलुओं से आपको अवगत कराएं, उससे पहले आइए, चंडीगढ़ लोकसभा सीट व यहां की सियासी स्थिति पर नजर डालते हैं। बहुत ज्यादा पीछे न जाएं तो 2014 से पहले चंडीगढ़ में कांग्रेस का दबदबा रहा है। चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता पवन कुमार बंसल लगातार तीन बार सांसद चुने गए लेकिन 2014 की मोदी लहर में पवन कुमार बंसल भाजपा की किरण खेर से चुनाव हार गए। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लगातार दूसरी बार कांग्रेस के पवन कुमार बंसल को भाजपा की किरण खेर के सामने ही हार का सामना करना पड़ा। यही नहीं, हार से चंडीगढ़ में कांग्रेस का दबदबा ऐसा टूटा कि उसे न केवल 2016 में चंडीगढ़ नगर निगम की सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा, बल्कि 2021 के नगर निगम चुनाव में तो कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई।

चंडीगढ़ में कांग्रेस को भाजपा के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) से ही बड़ी चोट लगी है। चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी का उदय 2014 के लोकसभा चुनाव से हुआ था। तब चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा की उम्मीदवार अभिनेत्री किरण खेर के मुकाबले के लिए अभिनेत्री गुल पनाग को उतारा था। गुल पनाग को 108679 वोट मिले थे। हालांकि वह तीसरे नंबर पर रहीं तथा कांग्रेस के पवन कुमार बंसल दूसरे नंबर पर रहे थे लेकिन माना गया कि AAP की गुल पनाग को अधिकांश कांग्रेस का वोट ट्रांसफर हुआ, जिसने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। यदि AAP चुनाव मैदान में न होती तो मोदी लहर के बावजूद भाजपा की किरण खेर कांग्रेस के मुकाबले हार सकती थीं। यह बात अलग है कि इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव आने तक भाजपा ने 2016 के नगर निगम चुनाव के रास्ते चंडीगढ़ में अपने पांव मजबूत कर लिए व कांग्रेस का हाथ और कमजोर हो गया। रही-सही कसर 2021 के नगर निगम चुनाव ने पूरी कर दी, जिसमें कांग्रेस को मात्र 8 सीटें जीतकर तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा।

चंडीगढ़ की सियासत के लिहाज से 2021 का यह नगर निगम चुनाव बड़ा टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ, जिसमें भाजपा की भी चूलें हिल गईं। 2021 में आम आदमी पार्टी ने पहली बार नगर निगम चुनाव लड़ा था और पहली बार में ही वह चंडीगढ़ की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी बनकर उभर आई। वो भी तब जब पंजाब में विधानसभा चुनाव हुआ भी नहीं था। चंडीगढ़ के इस नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कुल 35 सीटों में से सबसे ज्यादा 14 सीटें जीती थीं। 12 सीटें भाजपा को मिलीं, 8 कांग्रेस व एक शिरोमणि अकाली दल ने जीती। यह बात अलग है कि बाद में जोड़तोड़ की राजनीति के जरिए चंडीगढ़ के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के पद भाजपा की ही झोली में चले गए। आम आदमी पार्टी को चंडीगढ़ नगर निगम में मुख्य विपक्षी दल का स्थान मिला।

अब इन हालात में चंडीगढ़ पर इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) के असर की संभावनाओं को टटोलें तो चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा के खिलाफ यदि INDIA के बैनर तले विपक्ष चुनाव में उतरता है तो यहां भाजपा के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है लेकिन इसके लिए ये देखना दिलचस्प होगा कि चंडीगढ़ में INDIA खड़ा होता है या नहीं। क्योंकि INDIA में शामिल कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के बीच पंजाब की तरह चंडीगढ़ में भी तल्ख दूरियां हैं। पंजाब में दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ने के बयान दे रही हैं। चंडीगढ़ में दोनों ही पार्टियों ने अभी इस मामले में चुप्पी साध रखी है। सूत्र बताते हैं कि चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी फिलहाल कांग्रेस की तरफ से प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है, जबकि चंडीगढ़ कांग्रेस इस पर अभी जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहती। वैसे माना जा रहा है कि INDIA के घटक दल जब सीटों के बंटवारे पर मंथन करेंगे तो कांग्रेस पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़कर चंडीगढ़ सीट पर INDIA के बैनर तले चुनाव लड़ने का प्रस्ताव करते हुए अपनी उम्मीदवारी का दावा ठोक सकती है, जबकि आम आदमी पार्टी पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ने के कांग्रेसी प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए चंडीगढ़ में INDIA के बैनर तले अपना उम्मीदवार उतारने पर अड़ सकती है। इसके लिए उसके पास करीब डेढ़ साल पहले के चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में AAP के शानदार प्रदर्शन का आधार है, जिसमें कांग्रेस तीसरे नंबर पर तथा भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी, जबकि कांग्रेस पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव का हवाला दे सकती है, जिसमें कांग्रेस दूसरे व AAP तीसरे नंबर पर रही थी। अब INDIA की टेबल पर चंडीगढ़ लोकसभा सीट की उम्मीदवारी कांग्रेस को मिलेगी अथवा AAP को या पंजाब की तरह चंडीगढ़ में भी कांग्रेस व आम आदमी पार्टी एक-दूसरे से जुदा रहेंगी, यह देखना 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यहां भी ज्यादा दिलचस्प होने वाला है लेकिन तब तक चंडीगढ़ भाजपा के लिए स्थिति असहज बनी रहने वाली है। क्योंकि पिछले दो लोकसभा चुनावों तथा 2021 के नगर निगम चुनाव को देखें तो यदि INDIA के बैनर तले कांग्रेस व आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ में एक-दूसरे से हाथ मिलाकर उतर गईं तो इस बार के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा मुश्किल में पड़ सकती है।

वैसे मुश्किल तो यहां कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के हाथ मिलने में भी कम नहीं है। क्योंकि इन दोनों ही पार्टियों में चंडीगढ़ सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के दावेदार एक-दूसरे के लिए कुर्बानी देने को कभी तैयार नहीं होंगे। हालांकि सियासत में कोई किसी का स्थाई दुश्मन या दोस्त नहीं होता लेकिन यदि इन दोनों पार्टियों के दावेदारों पर नजर डालें तो INDIA का पेंच चंडीगढ़ पर किस कदर फंस सकता है, यह आप भी महसूस कर सकते हैं। दरअसल, कांग्रेस से चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर पिछले 25 साल से पवन कुमार बंसल ही उम्मीदवार रहे हैं। हालांकि इस बार पवन बंसल चुनाव लड़ने के मुद्दे पर ना-नुकुर कर रहे हैं लेकिन तय यह भी है कि कांग्रेस में इस समय यहां उनके मुकाबले तथा कद का कोई अन्य नेता नहीं है। लिहाजा, माना यही जा रहा है कि बंसल ही चुनाव लड़ेंगे और बंसल ने चंडीगढ़ सीट पर उम्मीदवारी का दावा ठोंक दिया तो कांग्रेस में उनका टिकट कटना असंभव सा है। बंसल पूर्व केंद्रीय मंत्री होने के साथ इन दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी हैं।

अब बात करें आम आदमी पार्टी में उम्मीदवारी के दावेदारों की तो AAP में चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा लोकसभा चुनाव में यहां से टिकट के सबसे बड़े दावेदार माने जाते हैं। प्रदीप छाबड़ा 2021 तक चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे लेकिन अचानक पार्टी में अध्यक्ष बदल दिए जाने से नाराज होकर छाबड़ा ने कांग्रेस छोड़ दी थी तथा नगर निगम चुनाव से ठीक पहले अपने समर्थकों के साथ आम आदमी पार्टी में शामिल होकर सबको चौंका दिया था। AAP ने उन्हें पार्टी का सह प्रभारी बनाया तथा उनके आने के बाद ही AAP ने चंडीगढ़ में पहली बार नगर निगम चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसके बाद प्रदीप छाबड़ा ने अपना ऐसा सियासी कौशल दिखाया कि चंडीगढ़ में संगठन विहीन AAP को न केवल दस महीने के भीतर सांगठनिक तौर पर मजबूत कर दिया, बल्कि नगर निगम चुनाव में भाजपा को भी पीछे कर AAP चंडीगढ़ की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी बनकर उभर आई। AAP ने छाबड़ा का सियासी लोहा मानते हुए पंजाब में अपनी सरकार बनने के बाद उन्हें पुरस्कार स्वरूप पंजाब लार्ज इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड का चेयरमैन भी बना दिया। हालांकि मोहाली के AAP विधायक एवं पूर्व मेयर कुलवंत सिंह तथा AAP पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग भी चंडीगढ़ से सांसदी की टिकट की दौड़ में माने जा रहे हैं लेकिन चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर AAP से टिकट की दावेदारी में भी प्रदीप छाबड़ा का पलड़ा भारी देखा जा रहा है।

दिलचस्प बात यह भी बता दें कि INDIA में शामिल कांग्रेस के पवन कुमार बंसल से प्रदीप छाबड़ा का इन दिनों छत्तीस का आंकड़ा है। दोनों एक-दूसरे से बात तक नहीं करते हैं। हालांकि 2021 में कांग्रेस छोड़ने से पहले तक छाबड़ा पवन कुमार बंसल के सबसे नजदीकी व खास लोगों में गिने जाते थे। छाबड़ा को पार्षद की टिकट से लेकर मेयर, फिर चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने तक में बंसल का बड़ा हाथ था लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से छाबड़ा को हटाने में भी पवन कुमार बंसल की खासी भूमिका रही। यही कारण है कि तब से छाबड़ा व बंसल के न केवल सियासी रास्ते अलग हो गए, बल्कि तमाम नजदीकियां भी खत्म हो गईं। पिछले नगर निगम चुनाव में AAP के सामने कांग्रेस की जो हालत हुई, उसको लेकर भी पवन कुमार बंसल बेहद आहत बताए जाते हैं। इन परिस्थितियों में चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर यदि भाजपा के खिलाफ INDIA एकजुटता से खड़ा होने का फैसला करता है, तब चंडीगढ़ के इन दोनों बड़े टिकट दावेदारों में से कौन अपने सियासी भविष्य की कुर्बानी देगा ? यह देखना भी कम दिलचस्प नहीं होगा।

error: Content can\\\'t be selected!!