भारत-पाकिस्तान ने अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और कैदियों की सूची का आदान-प्रदान किया

3, JANUARY: विदेश मंत्रालय ने बताया कि रविवार को भारत-पाकिस्तान ने अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची आपस में साझा की है। ये कार्रवाई 32 साल पहले हुए एक द्विपक्षी करार के तहत की गई। इस समझौते पर 31 दिसंबर, 1988 को हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा दोनों देशों ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद में एक साथ राजनयिक माध्यमों से अपनी हिरासत में असैन्य कैदियों और मछुआरों की सूची का आदान-प्रदान किया। कॉन्सुलर एक्सेस पर 2008 के समझौते के प्रावधानों के तहत, ऐसी सूचियों का आदान-प्रदान हर साल 01 जनवरी और 01 जुलाई को किया जाता है।

क्या है 1988 की संधि?

भारत-पाकिस्तान के बीच हुई परमाणु प्रतिष्ठान और फैसिलिटिज के खिलाफ हमले की निषेध संधि 31 दिसंबर 1988 को हुई थी और 27 जनवरी 1991 से इसे लागू किया गया था। इसके तहत भारत-पाकिस्तान आने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों के बारे में हर साल एक जनवरी को एक दूसरे को जानकारी देते हैं। पहली बार एक जनवरी 1992 को ये जानकारी साझा की गई थी और तब के बाद से लगातार 32वीं बार ये जानकारी साझा की गई। इस संधि के मुताबिक दोनों देश एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं कर सकते हैं।

भारतीय कैदियों को रिहा करने की मांग

विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान से भारतीय कैदियों को रिहा करने के लिए कहा है। इनमें अधिकांश मछुआरे कैदी हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत ने 631 भारतीय मछुआरों और दो असैन्य कैदियों को रिहा करने और भारत भेजने के लिए कहा है। इसके अलावा दौ असैन्य कैदियों को भी रिहा करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा भारत सरकार ने पाकिस्तान की हिरासत वाले 30 अन्य मछुआरे और 22 असैन्य कैदियों को तत्काल राजनयिक पहुंच प्रदान कराने का आग्रह किया है।

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि “भारत एक दूसरे के देश में कैदियों और मछुआरों से संबंधित मामलों सहित सभी मानवीय मामलों को प्राथमिकता के आधार पर संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संदर्भ में, भारत ने पाकिस्तान से मछुआरों सहित 71 पाकिस्तानी कैदियों की राष्ट्रीयता की स्थिति की पुष्टि करने के लिए आवश्यक कार्रवाई में तेजी लाने का भी आग्रह किया है, जिनकी पाकिस्तान से राष्ट्रीयता की पुष्टि के लिए प्रत्यावर्तन लंबित है। पाकिस्तान से सभी भारतीय और माने जाने वाले भारतीय असैन्य कैदियों और मछुआरों की सुरक्षा, सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है, जिनकी रिहाई और भारत में प्रत्यावर्तन लंबित है।”

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