बांटने यह आ गए रहबर किसानों की फसल

CHANDIGARH: केदार अदबी ट्रस्ट की मासिक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आज आयोजित की गई, जिसमें लगभग एक दर्जन कवि-कवियत्रियों ने कविता, गीतों और गजलों से माहौल को काव्यमय बना दिया। कार्यक्रम का संचालन कविवर गणेश दत्त ने किया।

कार्यक्रम के आरंभ में सुरजीत धीर ने मधुर गीत पेश किया। प्रसिद्ध शायर अशोक नादिर ने कृषकों की दशा पर अपनी गजल पेश करते हुए कहा, बांटने यह आ गए रहबर किसानों की फसल, खत्म हो जाएंगे यूं इनको  समझ में आ गया। आम आदमी की वेदना को व्यक्त करते हुए कवि प्रेम विज ने कहा, अन्नदाता को सड़कों पर सोते देख बोलना पड़ता है।

केदार नाथ केदार ने अपनी पंजाबी गजल में कहा, शीशा मुरे रखके अपने नुक्स वेख्या कर, प्रसिद्ध शायरा गुरदीप गुल ने गजल, मेरी गजल जरा साह लेन दे, प्रस्तुत की। महफिल में प्रतिभा माही, सरिता मेहता, संगीता कुंद्रा शर्मा, संतोष गर्ग, सुदेश नूर, नीरू मित्तल नीर आदि ने भी कविताएं प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।

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