दिल्ली में हुए नुक्सान की भरपाई किसान नेताओं की सम्पत्ति बेचकर हो: चंडीगढ़ भाजपा

कहा-किसान आंदोलन के नाम पर की गई हिंसा को कांग्रेस व वामपंथी दलों द्वारा समर्थन देना शर्मनाक

CHANDIGARH: चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा के महासचिव चंद्रशेखर ने 26 जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन में शामिल उपद्रवियों व दंगाइयों द्वारा की गई हिंसा की कड़ी निंदा की है। चंद्रशेखर ने कहा कि वास्तव में यह आंदोलन किसानों के हित की बात करने वाला आंदोलन था ही नहीं, यह आंदोलन तो कांग्रेस, वामपंथी दलों व देश विरोधी ताकतों के हितों का था,  जिनका काम भारत में सत्तासीन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही स्थिर सरकार को अस्थिर करना है, क्योंकि इस सरकार के कारण दलाली व घोटाले करने वालों पर नकेल कसी गई है।

चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा महासचिव ने कहा कि 26 जनवरी को पूरी दुनिया ने देखा कि किस प्रकार देश कि राजधानी को किसान आंदोलन के नाम पर लड़ाई का मैदान बना दिया गया, जिसके कारण करोड़ों रुपए की सरकारी संपत्ति का नुक्सान हुआ। किसान आंदोलन के नेताओं द्वारा शांतिपूर्ण ट्रेक्टर परेड की जिम्मेदारी लेने तथा विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस व वामपंथी दलों द्वारा मोदी सरकार पर किसान विरोधी होने के झूठे आरोप लगाने पर किसान नेताओं की सहमति से कुछ शर्तो के साथ सरकार ने किसानों को ट्रेक्टर परेड की अनुमति दे दी। मोदी सरकार ने तो अपने किसान हितैषी होने का सबूत दिया परन्तु किसान आंदोलन के नेता अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहे तथा अपने लोगों पर नियंत्रण रखने में विफल रहे, जिसके कारण करोड़ों रुपए की सरकारी संपत्ति का नुक्सान हुआ।

चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि सरकारी सम्पतियों के नुक्सान की भरपाई किसान आंदोलन के नेताओं कि सम्पतियों को बेचकर की जाए। चंद्रशेखर ने कहा कि जिन सरकारी सम्पतियों को उपद्रवियों द्वारा नुक्सान पहुंचाया गया वे देश की जनता द्वारा सरकार को टैक्स के रूप में चुकाई गयी खून-पसीने की गाढ़ी कमाई से खरीदी जाती है। इसलिए किसी को भी आंदोलन के नाम पर इनको नुक्सान पहुंचाने का हक नहीं है। जो भी इनको नुक्सान पहुंचाता है, उनसे नुक्सान की भरपाई भी आवश्यक है।

चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा के महासचिव ने कांग्रेस व वामपंथियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा व उपद्रव के बाद जिस प्रकार इन दलों ने इसको सही व तर्कसंगत बताने की कोशिश की है वह शर्मनाक व उनके दिमागी तथा राजनीतिक दिवालियेपन की परकाष्ठा है। अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने व देश को अस्थिर करने के लिए कांग्रेस व वामपंथी किसी भी हद तक गिर सकते हैं, यह पूरे देश ने देखा है। चंद्रशेखर ने विपक्ष को चेतावनी देते हुए कहा कि भारत की जनता 2014 व 2019 में इनको नजारा दिखा चुकी है। कहीं ऐसा न हो कि 2024 में देश की जनता इन दलों को इनकी हरकतें देखते हुए भारत के नक्शे से ही मिटा दे।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा हिंसा व उपद्रव को शांतिपूर्ण आंदोलन कहकर इसका धन्यवाद करना हास्यास्पद
चंद्रशेखर ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दिल्ली में हुई हिंसा व उपद्रव को शांतिपूर्ण आंदोलन बताकर आंदोलनकारियों को धन्यवाद देना हास्यास्पद करार दिया। चंद्रशेखर ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को इतनी हिंसा व उपद्रव, चाय पीना या खाना खाने जैसा आम काम लगता है परन्तु उनको इस बात का आभास नहीं कि उनकी इस सोच के कारण कितने लोगों की जान खतरे में पड़ गई। हिंसा व उपद्रव के लिए जिम्मेदार लोगो का धन्यवाद कर ऐसे लोगों की पीठ थपथपाना वास्तव में निंदनीय है परन्तु संयुक्त किसान मोर्चा के नेता शायद यह भूल गए कि ऐसे लोगों पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी लेना कितना घातक सिद्ध हो सकता है। चंद्रशेखर ने संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं द्वारा हिंसा व उपद्रव के लिए दिन में शर्मिंदा होना व शाम होते ही उपद्रवियों का धन्यवाद करना, संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बेशर्मी बताया।

शिवसेना के नेता राष्ट्रीय अपमान व राष्ट्रीय गर्व के प्रतीकों पर हमले में अंतर समझें  
चंद्रशेखर ने शिवसेना नेता संजय राउत  के उस बयान, जिसमें संजय राउत ने लाल किले पर उपद्रवियों द्वारा कब्जे की तुलना बाबरी ढांचे से की है, की निंदा करते हुए कहा कि अपने आप को देशभक्त दल कहने वाली पार्टी के नेता कम से कम राष्ट्रीय स्वाभिमान और राष्ट्रीय गर्व तथा राष्ट्रीय अपमान के स्मारकों व प्रतीकों में अंतर करना सीखें। उन्होंने कहा कि संजय राउत पहले भी कई विवादस्पद बयानों के कारण अपनी हंसी उड़वा चुके हैं परन्तु लगता है कि संजय राउत का खबरों में रहने का अपना ही स्टाइल व भूख है। चाहे बेशक इसके कारण उनकी हंसी ही उड़े।

मोदी सरकार ही वास्तव में किसानों की हमदर्द
चंद्रशेखर ने किसानों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि मोदी सरकार ही वास्तव में किसानों की हमदर्द है। इसलिए सरकार ने कई बार संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से बातचीत की। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की कई मांगों को माना, उन्हें कई प्रस्ताव भी दिए परन्तु इन्होने अपने स्वार्थ के चलते हर प्रस्ताव को ठुकराया व किसानों को गुमराह करते रहे परन्तु अब देश के सच्चे व असली किसान को यह सोचना चाहिए कि किसानों के नेता बनने के नाम पर यह नेता किसानों का भला कर रहे हैं या किसानों के कंधे का इस्तेमाल कर इन नेताओं की मंशा कुछ और ही है।

उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के ज्यादातर नेता जो किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, भारत व मोदी सरकार के विरोध में हो रहे हर धरने या प्रदर्शन में आपको मिलेंगे, चाहे वह सीएए के खिलाफ हो या किसान बिलों के विरोध में हो। उन्होंने कहा कि क्या पंजाब का किसान जोकि ज्यादातर सिख है, वह भूल गया कि किसान आंदोलन में नेता बन कर बैठे वही लोग हैं, जो सीएए के खिलाफ खड़े होकर मुस्लिम देशों में प्रताडि़त सिख भाइयों को भारतीय नागरिकता देने के खिलाफ थे, परन्तु आज अपने राजनीतिक फायदे के लिए उन्हीं सिखों को अपना भाई व उनका असली शुभचिंतक बता रहे हैं।

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