बृहस्पति कला केंद्र चंडीगढ़ व संस्कार भारती के कवि सम्मेलन में जुटे कई साहित्यकार

CHANDIGARH: बृहस्पति कला केन्द्र, चण्डीगढ़ एवं संस्कार भारती चण्डीगढ़ इकाई के सौजन्य से मिनी टेगोर थियेटर, सैक्टर 18, चण्डीगढ में एक कवि सम्मेलन का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज की अध्यक्षता में हुआ। मंच संचालन कवि विरेन्द्र शर्मा ‘वीर’ने किया।

कवि सम्मेलन का शुभारम्भ कवि नरेश के गीत ‘रावण-मंदोदरी संवाद ‘मोह की बेड़ी काट हृदय से राम शरण आ जाओ आप/श्री राम को गले लगाने का पौरुष दिखलाओ आप’ से हुआ।  तत्पश्चात कवयित्री प्रज्ञा शारदा ने नारी संघर्ष को लेकर कविता ‘पहली बार मुझे ज़िन्दगी मुश्किल लगी/रोने वाली बात पर मैं हँसने लगी’; विरेन्द्र शर्मा ‘वीर’ने ग़ज़ल ‘हम ठहरे अल्पाइन रे बाबा/हैं दुर्लभ और फाइन रे बाबा’; प्रेम विज ने ग़ज़ल ‘चेह्रों का रंग देख के पहचानता हूँ मैं/अपना है कौन गै़र है इसकी शनास है; तेजबीर ‘जेनुअन’ने हास्य-रचना ‘तुझे शनि कहूँ या शेरावाली, तुझे दुर्गा कहूँ या काली/मेरे कान के परदे फटज्यां बजे जब एक हाथ की तेरी ताली’; कृष्ण कान्त ने कविता ‘शायद आज भी बहुत अनजान हूँ मैं/शायद ज़िन्दगी की गुत्थियों से परेषान हूँ मैं; सुनील बरवालवी ने ग़ज़ल ‘मैं पंछी हूँ प्रेम नगर का चुगता हूँ सौ दुख के दाने/नफरत की दुनिया में आया हूँ मैं सच्ची प्रीत निभाने’ तो राजबीर ‘राज़’ने ग़ज़ल ‘‘हमने बहुत सम्भाल के रक्खा था फ़ासला/तुम रूबरू हुए तो इरादे बदल गए’ सुनाकर अपनी-अपनी ग़ज़लों से समां बाँघा और श्रोताओं का ख़ूब मनोरंजन भी किया। अन्त में, डा. उर्मिला कौशिक ‘सख़ी’ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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