कांजली वैटलैंड में अब फिर से लौटेंगे प्रवासी पक्षी

CHANDIGARH: श्री गुरु नानक देव जी की चरण स्पर्श प्राप्त पवित्र काली बेईं पर बनी कांजली वैटलैंड एकमात्र ऐसा स्थान है  जो उत्तरी यूरोप के देशों रूस, यूक्रेन, तुर्की, तजाकिस्तान, नार्वे, फिनलैंड, डेनमार्क, स्वीडन से लाखों की संख्या में प्रवासी और खूबसूरत नीली आंखों वाले पक्षियों से भरा रहता था लेकिन कुछ वर्षों से सिस्टम की  अनदेखी के कारण विदेशी पक्षी अब कांजली वैटलैंड आना पसंद नहीं करते।

विश्व प्रसिद्ध एन जी ओ वर्ल्ड वाइड फण्ड फार नेचर  व् डेनोन भारत के बिच हुए करार के अंतर्गत एक एकीकृत बेसिन एप्रोच को अपनाकर इसकी पारिस्थितिक सेहत को बेहतर बनाया जायेगा। इस की मदद से कांजली, काली बेईं और हरिके वाइल्डलाइफ सेंचुरी की प्राकृतिक स्वरूप और आपसी संपर्क को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

एनजीओ वर्ल्ड वाइड फण्ड फार नेचर इंडिया के सेक्रेटरी जनरल और सीईओ रवि सिंह ने बताया कि, “यह परियोजना पंजाब में मीठे पानी के तीन प्रमुख इकोसिस्टम— कांजली, काली बेईं और हरिके वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की इकोलॉजिकल और हाइड्रोलॉजिकल कनेक्टिविटी को बनाए रखने की दिशा में काम करेगी। यह, विशेष रूप से लुप्तप्रायसिंधु नदी की डॉल्फ़िन के संरक्षण और समुदाय की भलाई के लिए इस सिस्टम पर निर्भरसमृद्ध जैव विविधता को लंबे समय तक संरक्षित रखने में योगदान देगा।”

डेनॉन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर हिमांशु बख्शी ने कहा, ”डेनॉन इंडिया नेडब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के साथ जल संरक्षण के लिए साझेदारी की है, यह सहयोग दुनिया के लिए बेहदजरूरी है। स्वास्थ्य संबंधी हमारा एजेंडा और हमारा प्रयास काली बेईन कंजर्वेशनरिजर्व और कांजली वेटलैंड के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के मौजूदा प्रयासों कोऔर मजबूती प्रदान करेगा।   

कांजली वेटलैंड पंजाब के महत्वपूर्ण रामसरसाइट्स(अंतरराष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड) में से एक है, और मुझे विश्वास है कि यह साझेदारी काली बेईं इकोलॉजिकलसिस्टम में जलीय प्रजातियों की आबादी और निवास पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी। ”

error: Content can\\\'t be selected!!