पंजाब के शहीदों के बारे में भाजपा से एनओसी की जरूरत नहीं: मुख्यमंत्री भगवंत मान

कहा- भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और लाला लाजपत राय हमारे नायक हैं, उनको ‘रद्द हुई झांकियों वाली श्रेणी’ के साथ नहीं जोड़ा जा सकता

CHANDIGARH, 31 DECEMBER: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य सरकार मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ‘ नामंजूर श्रेणी’ में अपनी झलकियाँ नहीं भेजेगी क्योंकि देश के शहीदों के बारे भाजपा से एन.ओ.सी. लेने की जरूरत नहीं है। 

आज यहाँ जारी बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरू, शहीद सुखदेव, लाला लाजपत राय, शहीद उधम सिंह, शहीद करतार सिंह सराभा, माई भागो, गदरी बाबो सहित महान शहीदों को रद्द की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गणतंत्र दिवस की परेड में पंजाब की झांकी को शामिल न करके इन नायकों के महान योगदान और बलिदानों का महत्व कम करने की कोशिश कर रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह व्यवहार सहन नहीं किया जा सकता क्योंकि यह कदम हमारे महान देश भक्तों और राष्ट्रीय नेताओं का घोर निरादर है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने 30 दिसंबर को एक पत्र लिख कर राज्य सरकार को कहा है कि गणतंत्र दिवस की परेड के लिए राज्य के साथ किए एम.ओ.यू. के क्लॉज- 8 अनुसार राज्य हो या यू.टी. जिसका गणतंत्र दिवस की परेड के लिए चुनाव नहीं होता, उस राज्य या यू.टी. को 23-31 जनवरी के दौरान नयी दिल्ली के लाल किले में होने वाले ‘भारत पर्व’ के दौरान झाँकी दिखाने का मौका दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पर्व सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रसिद्ध पकवानों, रिवायतों, वस्तुओं, दस्तकारी और त्योहारों पर अधारित होता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि ‘ भारत पर्व’ के बाद राज्य या यू.टी. की झाँकी उनकी मर्ज़ी अनुसार संबंधित राज्य या यू.टी. के समागमों में प्रदर्शित की जा सकती है। 

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि राज्य अपनी झांकी नहीं भेजेगा क्योंकि देश के शहीदों को भाजपा से एन.ओ.सी. लेने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब अपने देश भक्तों और शहीदों का सत्कार करना अच्छी तरह जानता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शहीद हमारे नायक है और इन योद्धाओं द्वारा देश के लिए किए बेमिसाल बलिदान के लिए देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार को अपने नायकों के योगदान को दर्शाने के लिए केंद्र सरकार के सहारे की आवश्यकता नहीं है बल्कि राज्य अपने स्तर पर शहीदों को श्रद्धा और सत्कार देने के समर्थ है। 

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