पंजाब में एडहॉक, कांट्रेक्ट, डेली वेज, वर्क चार्ज और आरजी मुलाजिमों की सेवाएं रैगुलर होने का रास्ता साफ, 14417 कच्चे कर्मचारी होंगे पक्के

CHANDIGARH, 21 FEB: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज एडहॉक, कंट्रैक्ट, डेली वेजिज, वर्क चार्ज और आरजी मुलाजिमों की भलाई के लिए नीति को हरी झंडी दे दी है, जिससे इन मुलाजिमों की सेवाएं रेगुलर करने के लिए रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से अलग-अलग विभागों में 14417 कच्चे मुलाजिमों की सेवाएं रेगुलर होंगी।

इस संबंधी फैसला आज यहां पंजाब सिवल सचिवालय में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कैबिनेट की मीटिंग के दौरान लिया गया।
 मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि इससे पहले शिक्षा विभाग में 13000 कच्चे मुलाजिमों की सेवाएं रेगुलर की थीं। उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों के समय ग्रुप सी और ग्रुप डी के पदों पर की गई अलग- अलग नियुक्तियाँ सख़्त ज़रूरत और आपात स्थिति में सेवाओं के आधार पर की गई थीं। इनमें से कुछ मुलाज़िम 10 साल या इससे अधिक समय भी पूरा कर चुके हैं और उन्होंने अपने जीवन के कीमती वर्ष राज्य की सेवा में लगाये हैं।

सरकार ने महसूस किया कि अब इस स्तर पर इनको फ़ारिग कर देने से या इनकी जगह पर किसी अन्य को रख लेने से इन मुलाजिमों के साथ बेइन्साफ़ी होगी। कल्याणकारी राज्य और इन मुलाजिमों के हितों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 41 के साथ धारा 162 के अंतर्गत मौजूदा नीति तैयार की है जिससे इन मुलाजिमों को किसी किस्म की अनिश्चितता और परेशानी का सामना न करना पड़े और उनकी नौकरी के दौरान सुरक्षा बनी रहे। राज्य ने योग्यता की शर्तों पूरी करने वाले ऐसे योग्य मुलाजिमों को विशेष काडर में शामिल करके 58 साल की उम्र तक उनकी सेवाएं जारी रखने के लिए नीतिगत फ़ैसला लिया है।

जिन मुलाजिमों ने एडहॉक, कंट्रैक्ट, डेली वेजिज़, वर्क चार्जिड और आरज़ी आधार पर यह नीति लागू होने तक कम से कम लगातार 10 वर्षों की निरंतर सेवा निभाई है, को रेगुलर किया जायेगा। विशेष काडर में शामिल करने के मौके पर आवेदक के पास नियमों के मुताबिक पद के लिए अपेक्षित योग्यता और तजुर्बा होना चाहिए। 10 वर्षों के समय के दौरान विभाग की तरफ से किये गए मूल्यांकन के मुताबिक आवेदक का काम और आचरण सन्तोषजनक होना चाहिए।

10 साल का समय गिनने के लिए मुलाज़िम ने इन 10 सालों में से हरेक में कम से कम 240 दिनों की मियाद के लिए काम किया होना चाहिए और 10 सालों के समय को गिनने के मौके पर नोशनल ब्रेक को विचारा नहीं जायेगा। कंट्रैक्ट, एडहॉक, आरज़ी मुलाजिमों आदि की सेवाएं जारी रखने के लिए समय की सुरक्षा और अच्छे काम पर आचरण के अंतर्गत 58 साल की उम्र तक पदों के लिए विशेष काडर बना कर उनको पद पर रखा जायेगा जो काडर का पद नहीं होगा।

इन मुलाजिमों को निर्धारित सेवा नियमों के अंतर्गत सेवा में प्रवानित पदों के रेगुलर काडर में नहीं रखा जायेगा और उनके लिए विशेष काडर के पद सृजित किये जाएंगे। इस नीति के क्लॉज 2 और 3 के मुताबिक लाभार्थी मुलाजिमों को रखने की प्रक्रिया इस नीति के अंतर्गत नौकरी लेने के लिए मुलाज़िम की तरफ से आवेदन फार्म जमा करवाने से शुरू होगी। इस आवेदन फार्म के साथ निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत ज़रुरी दस्तावेज़ जमा करवाने होंगे और अधूरे आवेदन शुरू से रद्द कर दिये जायेगे।
पंजाब स्टेट एडवेंचर टूरिज्म पॉलिसी को हरी झंडी

मंत्रीमंडल ने राज्य में प्राईवेट निवेश को आकर्षित करने के लिए पंजाब स्टेट एडवेंचर टूरिज्म पालिसी को भी हरी झंडी दे दी है। यह नीति एडवेंचर टूरिज्म प्रोजेक्टों की मंजूरी के लिए एक पारदर्शी ढंग प्रदान करती है जिसको मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक अधिकारित कमेटी और अलग-अलग मापदण्डों द्वारा मंज़ूरी दी जायेगी जिसके आधार पर हर प्रोजैक्ट का मूल्यांकन किया जायेगा। इस नीति के ज़रिये सिंगल-विंडो सिस्टम के साथ-साथ अलग-अलग स्तरों पर अंतर- विभागीय तालमेल को आसान बनाया गया है।

इस पॉलिसी अनुसार, शुरुआती स्तर पर राज्य में एडवेंचर स्पोर्टस शुरू करने की इजाज़त मान्यता प्राप्त नेशनल एडवेंचर स्पोर्ट फैडरेशनज़ को दी जायेगी क्योंकि वह सुरक्षा सम्बन्धी मुद्दों को बेहतर ढंग से निपट सकती हैं। राज्य में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जहाँ तक संभव हो सके, स्थल दो सालों की मियाद के लिए मुफ़्त दिये जाएंगे। जिन क्षेत्रों में यह खेल करवाये जाएंगे, उन्होंने क्षेत्रों में रोज़गार पैदा होने के साथ-साथ समूची आर्थिक प्रगति होगी।

पंजाब स्टेट वाटर टूरिज्म पॉलिसी को मंज़ूरी

मंत्रीमंडल ने पंजाब स्टेट वाटर टूरिज्म पालिसी को भी मंजूरी दे दी है जिसके अंतर्गत राज्य में जलघरों के नज़दीक निजी निवेश को उत्साहित किया जायेगा। यह पालिसी वाटर टूरिज्म प्रोजेक्टों की मंजूरी के लिए एक पारदर्शी ढंग प्रदान करती है। जल स्रोतों की कमी और इस पॉलिसी से आर्थिक तौर पर बड़ी क्षमता की संभावना को ध्यान में रखते हुये जल पर्यटन प्रोजेक्टों को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक अधिकारित कमेटी के द्वारा ही मंज़ूरी देने का प्र्रस्ताव है। यह पॉलिसी लम्बे समय तक आर्थिक लाभ प्रदान करेगी और प्रोजेक्टों का चयन भावी विकास की संभावना पर निर्भर करेगा जिस कारण राज्य को एक प्रसिद्ध और “स्मार्ट“ पर्यटन स्थान के तौर पर विकसित किया जा सकेगा।

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