राहुल पर ईडी की कार्रवाई का विरोध: गवर्नर को ज्ञापन देने जा रहे चंडीगढ़ के सैकड़ों कांग्रेसी गिरफ्तार

कहा- सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने वालों को झूठे मामले में फंसाया जा रहा

CHANDIGARH, 16 JUNE: चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने आज भारत के राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपने के लिए कांग्रेस भवन सेक्टर 35-सी चंडीगढ़ से पंजाब राजभवन की ओर मार्च शुरू किया तो पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया। कांग्रेसजनों ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने कई कांग्रेसियों को हिरासत में ले लिया।

पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को सौंपे जाने वाले ज्ञापन में राष्ट्रपति से आग्रह किया गया था कि मोदी सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाए कि सुरक्षा एजेंसियां बिना किसी भेदभाव के ​​काम करें और वह केंद्र की मौजूदा सरकार की विभाजनकारी, जनविरोधी और संविधान विरोधी नीतियों के खिलाफ बोलने वाले राहुल गांधी जैसे नेताओं को जबरन झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश न करे।

नारेबाजी करते आगे बढ़ते हुए कांग्रेसजनो को सेक्टर 34-35 की ट्रैफिक लाइट पर पुलिस के भारी बल ने बैरीकेड लगाकर रोका। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित पार्टी के लगभग 100 कार्यकर्ताओं को पुलिस ने तब गिरफ्तार कर लिया, जब उन्होंने पुलिस बैरिकेड्स से आगे बढ़ने की कोशिश की। उन्हें बसों में भरकर सेक्टर-36 पुलिस स्टेशन ले जाया गया। कांग्रेसी कार्यकर्ता मोदी सरकार के इशारे पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अपने नेता राहुल गांधी को बिना किसी आधार के और बेवजह प्रताड़ित किए जाने से बहुत आक्रोशित थे। बाद में गिरफ्तार नेताओं ने भारत के राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन पुलिस अधिकारियों को दिया और अनुरोध किया कि इसे आगे की कार्रवाई के लिए प्रशासक यूटी चंडीगढ़ एवं पंजाब के राज्यपाल को सौंप दिया जाए।

चंडीगढ़ कांग्रेस की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि जहां ईडी जैसी सरकारी एजेंसियां ​​राहुल गांधी जैसे नेताओं के खिलाफ झूठे मामले गढ़ने की कोशिश कर रही हैं, वहीं भाजपा के लोगों और केन्द्र सरकार से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ प्रथम दृष्टया स्पष्ट आरोप होने के बावजूद जांच के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। चंडीगढ़ कांग्रेस ने श्रीलंका के सिलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एम.एम.सी. फर्डिनेंडो के हवाले से हाल की अखबारों की रिपोर्टों का ज़िक्र किया, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अदानी समूह को एक पवन ऊर्जा परियोजना देने के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति पर दबाव बनाया था। ज्ञापन में कहा गया कि इन रिपोर्टों की सही मायनों में किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच होनी चाहिए, जो इस बात पर केंद्रित होनी चाहिए कि दोनों सरकारों के बीच बातचीत के दौरान एक निजी व्यवसायी का पक्ष क्यों लिया गया। इसी तरह अनिल अंबानी की एक शून्य अनुभव वाली एक नई कंपनी को रेफेल हवाई जहाजों का एक अनुबंध प्रधानमंत्री के कहने पर दिया गया था। इस आशय के आरोप फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने स्वयं लगाए थे। ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि पीएम केयर्स फंड में जमा किए गए हजारों करोड़ रुपये खर्च करने में पारदर्शिता की कमी के कारण देश के लोग बड़े पैमाने नाराज हैं. यदि इसकी भी किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच करायी जाए तो बहुत से छुपे हुए राज बाहर आ सकते हैं।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां ​​निष्पक्षता से काम करने और सभी नागरिकों को समान मानने के लिए बाध्य हैं लेकिन आज देश में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि जो लोग दिल्ली में सत्ता केंद्र के करीब हैं, वह बिना किसी डर के, अपनी मनमर्जी से कानून और कानून के शासन को तोड़ मरोड़ रहे हैं। इसके विपरीत जो सरकार की गलत नीतियों का विरोध करते हैं, उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है।

ज्ञापन के माध्यम से चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने भारत के राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वह केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित कराएं कि केंद्रीय एजेंसियां ​​​​निष्पक्षता से काम करें।

इस बीच, दोपहर बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल थाने में गिरफ्तार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बारे में पूछताछ करने के लिए पहुंचे, जिन्हें कुछ घण्टों बाद पुलिस ने रिहा कर दिया। गिरफ्तार होने वालों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह लक्की, फ्रंटल संगठनों के अध्यक्ष दीपा दुबे, ओपी वर्मा, मनोज लुबाना, पार्टी के पदाधिकारी विनोद शर्मा, भूपिंदर सिंह, रवि ठाकुर, मुकेश राय, राजीव मौदगिल, दविंदर गुप्ता, विक्रम अरोड़ा और चार नगर पार्षद जसबीर बंटी, निर्मला देवी, गुरप्रीत गाबी व सचिन गालव शामिल थे।

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