बहबलकलां पुलिस गोलीबारी केस में पंजाब सरकार जल्द चालान पेश करेगी, बेअदबी मामलों में सज़ाएं बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति के पास की जाएगी पैरवी

मंत्रियों और राष्ट्रीय इंसाफ मोर्चे के बीच हुई मीटिंग में बंदी सिखों की रिहाई के लिए भी हुई चर्चा

CHANDIGARH, 1,MARCH: मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार बहबल कलाँ गोली कांड केस में जल्द ही अदालत में चालान पेश करेगी। इस सम्बन्धी फ़ैसला राज्य सरकार और राष्ट्रीय इंसाफ़ मोर्चा के नेताओं के साथ पिछले दिनों हुई मीटिंग में लिया गया। मीटिंग के दौरान कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने राष्ट्रीय इंसाफ़ मोर्चा के नेताओं जिनमें एडवोकेट अमर सिंह चाहल, पाल सिंह फ्रांस और बलविन्दर सिंह शामिल थे, के साथ बातचीत की। मीटिंग के दौरान मंत्रियों ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि राज्य सरकार बहबल कलाँ गोली कांड सम्बन्धी जल्दी ही अदालत में चालान पेश करेगी।

मंत्रियों ने प्रतिनिधिमंडल को यह भी बताया कि राज्य सरकार ने पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री के पास बेअदबी से सम्बन्धित आइपीसी के मौजूदा कानूनों में सख़्त उपबंध करने के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा कि यह मामला पहले ही राज्य सरकार के विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि जल्द ही यह मुद्दा भारत के राष्ट्रपति के समक्ष उठाया जायेगा।

देश भर की जेलों में कैद बंदी सिखों के मुद्दे पर मंत्रियों ने कहा कि गुरदीप सिंह खैहरा और दविन्दरपाल सिंह भुल्लर की रिहाई के लिए राज्य सरकार जल्द ही दिल्ली और कर्नाटक सरकारों के साथ संबंध कायम करेगी। यह भी फ़ैसला किया गया कि सरकार गुरमीत सिंह, लखविन्दर सिंह और शमशेर के परिवारों की अपीलों को मंजूर करके उनकी जल्द रिहाई के लिए कार्यवाही शुरू करेगी। यह भी फ़ैसला किया गया कि इस सम्बन्धी बाकी माँगों को दूसरे पड़ाव में विचारा जायेगा।

उन्होंने यह भी भरोसा दिया कि सरकार जगतार सिंह हवारा से सम्बन्धित सभी मामलों को मोहाली अदालत में तबदील करने की अपील पर कानूनी सलाह लेगी। इस सम्बन्धी फ़ैसला 31 मार्च से पहले लिया जायेगा। लोगों को हो रही असुविधा के मद्देनज़र मोर्चो के 31 सदस्यों की तरफ से मुख्यमंत्री की रिहायश की तरफ जाने वाले मार्च को स्थगित करने की सहमति दी गई।

लुधियाना के डी. एम. सी. अस्पताल में दाखि़ल बापू सूरत सिंह ख़ालसा के मसले पर चर्चा के दौरान यह फ़ैसला हुआ कि उनकी अस्पताल से छुट्टी होने के बाद सरकार उनके स्वास्थ्य का पूरा ख़्याल रखेगी, जबकि राष्ट्रीय इंसाफ़ मोर्चा यह बात यकीनी बनाऐगा कि अस्पताल से छुट्टी होने से कम से कम 15 दिनों तक वह मोर्चे के धरने में शिरकत नहीं करेंगे।

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