शोध में आया सामने किडनी के लिए संजीवनी बनी नीरी केएफटी दवा, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

CHANDIGARH: भारत के बाद अब पूरी दुनिया ने आयुर्वेद की ताकत को माना है। ऐसे में आयुर्वेदो पर हो रहे अनुसंधान मौजूदा दौर में इसकी बढ़ती उपयोगिता पर मुहर लगा रहे हैं। फार्मास्युटिकल बायोलॉजी में प्रकाशित एक शोध में कहा है कि आयुर्वेद फार्मूले गंभीर गुर्दा रोगों में असरदार हैं। इनमें पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट तत्व गुर्दे की कोशिकाओं में मौजूद विषाक्त द्रव्यों के प्रभाव को तेजी से कम करती हैं।

मरीज की किडनी को फेल होने से भी बचाती नीरी केएफटी दवा

दरअसल दिल्ली स्थित जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने एक अध्ययन किया है, जिसके अनुसार अगर किसी मरीज को नीरी केएफटी दवा दी जाए तो उसके शरीर में किडनी की कोशिकाओं में मौजूद विषैले द्रव्यों को तेजी से बाहर निकालती है और मरीज की किडनी को फेल होने से भी बचाती है। विश्व किडनी दिवस पर सामने आए इस अध्ययन से पता चला है कि पुनर्नवा, गोखरू, वरुण्, पत्थरूपरा, पाषाणभेद, कासनी और पलाश के फूलों से मिलकर तैयार नीरी केएफटी किडनी रोगियों के लिए काफी फायदेमंद हैं।

विषैले द्रव्य यूरिन के रास्ते शरीर से निकलते हैं बाहर

फार्मास्युटिकल बायोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार आयुर्वेद में गंभीर गुर्दा रोगों के असरदार उपचार का काफी उल्लेख है। इन उपचार के तहत इस्तेमाल की जाने वाली औषधियों में एंटी आक्सीडेंट तत्व होते हैं जिनके जरिए किडनी की कोशिकाओं में मौजूद विषैले द्रव्यों को यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर निकालने में सहायता मिलती है। एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने बताया कि नीरी केएफटी पूर्व-क्लीनिकल एवं क्लीनिकल मूल्यांकन की आधुनिक वैज्ञानिक प्रक्रिया को पूरा करके विकसित की गई एक प्रभावी औषधि है। यह किडनी विशेष के लिए सुपर एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करती है।

क्या कहता है शोध

जामिया हमदर्द विवि के शोधार्थियों के अनुसार किडनी मरीजों के उपचार में प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियां यानी आरओएस को नियंत्रित करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इन्हीं की वजह से किडनी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। नीरी केएफटी दवा आरओएस को बढ़ने से रोकती है और सोडियम-पोटेशियम एंजाइम को नियंत्रित करती है।

उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में पुनर्नवा, वरुण, रेवंड चीनी व कमल चार औषधियों को शामिल किया। साथ ही एमिल फार्मास्युटिकल के फार्मूले नीरी केएफटी को भी एक समूह में रखा गया। शोध के दौरान नौ समूहों को आठ दिन तक अलग-अलग उपचार दिया। इस दौरान पता चला कि जिस समूह को नीरी केएफटी दी जा रही थी उनमें आरओएस की मात्रा सबसे जल्दी नियंत्रण में आई है। अध्ययन के मुताबिक नीरी केएफटी लेने वाले समूह में एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम का स्तर नियंत्रित रहा। इससे पता चलता है कि नीरी केएफटी में उपस्थित एन्टी आक्सीडेंट तत्व, आरओएस के खिलाफ निरोधक का कार्य करते हैं। साथ ही इनके स्तर को कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बनारस हिंदू विवि (बीएचयू) के प्रोफेसर डॉ केएन द्विवेदी का कहना है कि किडनी के उपचार में नीरी केएफटी एक चमत्कार की तरह कार्य करती है। उनके पास हजारों मरीजों की जानकारी है जिन्हें इससे लाभ मिला है। वहीं मेदांता अस्पताल में मेडिसिन आयुर्वेद निदेशक डॉ भीमा भट्ट ने बताया कि किडनी मरीजों में नीरी केएफटी के जरिए क्रिएटिनिन को जल्द ही नियंत्रित किया जा सकता है। हर दिन इसका मरीजों में लाभ मिल रहा है। -PBNS

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