सेवा का अधिकार आयोग ने अधिकारी पर लगाया 5,000 रुपए जुर्माना

CHANDIGARH, 14 NOVEMBER: हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने  आवेदक को अधिसूचित सेवा देने में देरी के लिए जिला कल्याण अधिकारी सोनीपत पर 5,000 रुपए का जुर्माना लगाया।

आयोग ने पूजा की शिकायत पर  त्वरित संज्ञान लिया जिन्होंने अंत्योदय सरल पोर्टल के माध्यम से कानूनी सहायता योजना के लिए आवेदन किया था।

आयोग के  प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जिला कल्याण अधिकारी राजबीर शर्मा को नोटिस जारी कर  रिपोर्ट मांगी गई । जांच में यह पाया गया कि सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) से संबंधित मुद्दों के कारण और इस योजना के लिए समय पर आवश्यक बजट आवंटित नहीं किया गया।   प्रथम दृष्टया, कानूनी सहायता योजना के वाउचर सृजित करने में असमर्थता के कारण अपीलकर्ता का भुगतान नहीं किया जा सका।

इस संदर्भ में, श्रीमती पूजा द्वारा एक पुनरीक्षण अपील दायर की गई थी।    उसने अंत्योदय सरल पोर्टल के माध्यम आवेदन किया चूंकि यह योजना एक अधिसूचित समय सीमा के भीतर प्रदान नहीं की गई थी। इसलिए एफजीआरए-सह-एडीसी, सोनीपत को ऑटो अपील प्रणाली (एएएस) पर एक स्वचालित अपील  गई, जिसके बाद अपीलकर्ता द्वारा एक भौतिक अपील की गई।  उसे सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना ही अपील का समाधान कर दिया गया।  फिर उसने 18 अप्रैल, 2022 को एसजीआरए-सह-उपायुक्त के समक्ष एक अपील दायर की, जो लंबित रही और अपील को आयोग के पास भेज दिया गया।

उन्होंने कहा कि आयोग ने मामले के सभी तथ्यों पर सावधानीपूर्वक विचार किया । यह स्पष्ट था कि बजट आवंटन के साथ-साथ जिला कल्याण अधिकारी की ओर से बड़ी चूक के कारण अधिसूचित सेवा / योजना के वितरण में अनुचित देरी हुई थी।  पूछताछ में  डीडब्ल्यूओ  ने आवेदक का मामला उपायुक्त, सोनीपत के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जो मार्च 2021 में दिया गया था। चूंकि मार्च वित्तीय वर्ष का समापन माह है, इसलिए पर्याप्त धन की कमी के कारण समय पर लाभ प्रदान नहीं किया जा सका ।  हालाँकि, अधिकारी मुख्यालय से अतिरिक्त धनराशि माँगने के लिए बाध्य था, लेकिन वह 4 महीने और 14 दिनों से अधिक समय तक चुप रहा।

अपने मामले का बचाव करने के लिए जिला कल्याण अधिकारी ने 7 मार्च, 2022 और 21 जुलाई, 2022 के बीच उनके कार्यालय द्वारा आवेदन पर निष्क्रियता के संबंध में तथ्यों का खंडन करने के लिए  साक्ष्य प्रदान करने का जानबूझकर एक प्रयास किया। लेकिन यह स्पष्ट था कि विलंब उनकी ओर से ही किया गया था।  वह नियत समय में धन की कमी के संबंध में उच्चाधिकारियों को सूचित कर सकता था।  आयोग ने श्री राजबीर के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की और अधिसूचित सेवा प्रदान करने के प्रति गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार दिखाने के लिए   5,000   रुपये का जुर्माना लगाया।

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा दिए गए अंत्योदय के मंत्र का पालन करते हुए  हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहा है कि अधिसूचित सेवा का लाभ  व्यक्ति तक समय पर पहुंचे।  आयोग के पास जब भी अधिसूचित सेवाओं से संबंधित शिकायतें ई-मेल या पोस्ट के माध्यम से आती हैं, तो आयोग पारदर्शी जांच के माध्यम से मामले का तुरंत संज्ञान लेता है।

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