सर्व-धर्म सम्भाव भारतीय जीवन पद्धति का मूल मंत्र: सत्यपाल जैन

सैक्टर-19 के कैथोलिक चर्च में ‘अन्तर-धार्मिक प्रार्थना और सांप्रदायिक समन्वय संगोष्ठी’ को किया संबोधित

CHANDIGARH, 16 JULY: चण्डीगढ़ के पूर्व सांसद एवं भारत सरकार के अपर महासॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने कहा कि सर्व-धर्म सम्भाव का सिंद्धात भारतीय जीवन पद्धति, जीवन शैली एवं सामाजिक हस्ती का मूल मंत्र है, जिसके अनुसार सभी धर्मों को समान सम्मान देना है। जैन ने कहा कि भारत की परम्परा सहयोग एवं सह-अस्तित्व की है, न कि टकराव और अंधाधुंध विरोध की।

जैन आज शाम सैक्टर-19 के कैथोलिक चर्च में ‘अन्तर-धार्मिक प्रार्थना और सांप्रदायिक समन्वय संगोष्ठी’ के विषय पर मुख्य अतिथि के नाते बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।

जैन ने कहा कि सभी धर्मों के सभी विचारों का बराबर का सम्मान भारतीय परंपरा का अटूट अंग रहा है और इसी कारण भारत सदैव धर्म निरपेक्ष देश रहा है। 1950 में अपनाए गए भारत के संविधान ने भी सभी धर्मों को बराबर का स्थान दिया तथा सरकार द्वारा किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध लगाया। विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों से उदाहरण देते हुए जैन ने कहा कि समूची मानवता को एक ही छवि से देखना, सभी धर्मों का मूल संदेश है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय चाहे वो किसी भी धर्म जाति या भाषा के हों, एक हैं और सभी मिलजुल कर भारत को विश्व गुरु बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

जैन ने कहा कि हर भारतीय का यह कर्तव्य है कि वह अपने ढंग से अपने-अपने धर्म की पालना करते हुए अपना जीवन व्यतीत करे, परन्तु उसके साथ-साथ दूसरे धर्म के लोगों का भी पूरा सम्मान करे।

इस कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे, जिनमें अर्नस मसीह, डा. सुधीर कुमार, अरविंद नोयल, सिस्टर मनीषा, अनिल सरवाल, गुरप्रीत सिंह और मुफ्ती अनस शामिल थे।

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