पक्की नौकरियों, मेरिट, आरक्षण और भर्ती संस्थाओं को खत्म करना है कौशल रोजगार निगम का मकसद: हुड्डा

विधानसभा में बोले पूर्व मुख्यमंत्री- कौशल निगम की भर्तियों में न पारदर्शिता, न पेपर, न इंटरव्यू और न मेरिट

HSSC-HPSC को खत्म करने के लिए भर्तियों का चोर दरवाजा है कौशल निगम

CHANDIGARH, 27 DECEMBER: कौशल रोजगार निगम का मकसद पक्की नौकरियों, मेरिट, आरक्षण और भर्ती संस्थाओं को खत्म करना है। ये कहना है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में बोल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कौशल निगम के जरिए सरकार पढ़े-लिखे और योग्य युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। कम वेतन में कच्ची नौकरी करवाकर युवाओं का शोषण किया जा रहा है। सरकार का काम ठेका प्रथा को खत्म करके पक्की नौकरियां देना है, लेकिन इसके विपरीत सरकार पक्की नौकरियों को खत्म करके ठेका प्रथा को बढ़ावा दे रही है।

हुड्डा ने कहा कि सरकार लगातार कौशल निगम के जरिए कच्ची भर्तियां कर रही है। जबकि भर्ती करने का काम HSSC और HPSC का है। जाहिर है कि अगर निगम के जरिए भर्तियां होंगी तो धीरे-धीरे संवैधानिक भर्ती संस्थाओं को खत्म किया जाएगा। क्योंकि सरकार ने पक्की नौकरियां खत्म करने और कच्ची भर्तियां करने का चोर दरवाजा ढूंढ़ लिया है। कौशल निगम की भर्तियों में ना किसी तरह की मेरिट होती, ना कोई पारदर्शिता, ना पेपर और ना इंटरव्यू।

सरकार को बताना चाहिए कि निगम और HSSC-HPSC की भर्ती प्रक्रिया, मेरिट और चयन का तरीका अलग-अलग क्यों है? अगर सरकार कौशल निगम की भर्ती प्रक्रिया को सही मानती है तो क्या HSSC-HPSC में भी पेपर व इंटरव्यू की प्रक्रिया खत्म करने जा रही है? सरकार ने निगम की भर्ती के लिए परिवार की आय को आधार बनाया है। सरकार ने आय को नापने के लिए परिवार पहचान पत्र को आधार माना है। लेकिन सच्चाई यह है कि किसी परिवार की आय निर्धारित करने का सरकार के पास कोई तरीका नहीं है। पीपीपी की आय में इतनी खामियां हैं कि वो दूर ही नहीं हो रही हैं। हर रोज अखबारों में PPP के गड़बड़झाले की खबरें आ रही हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश के सरकारी विभागों में आज 1 लाख 82 हजार पद खाली पड़े हैं। सरकार को कच्ची भर्तियों की बजाए खाली पदों पर पक्की भर्तियां करनी चाहिए।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि परिवार पहचान पत्र के अलावा प्रोपर्टी आईडी के नाम पर भी प्रदेश में जमकर गड़बडझाला हो रहा है। सरकार द्वारा बनाई गई कुल 42 लाख 70 हजार प्रॉपर्टी आईडी में से 15 लाख से ज्यादा में गड़बड़ी पाई गई हैं। इसकी वजह से जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

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