SUNDAY STORY: विवादों की कांग्रेस में अब दो प्रधान पुत्रों का झगड़ा सरगर्म!

चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस और महिला कांग्रेस अध्यक्षों के पुत्र आए आमने-सामने

CHANDIGARH: विवाद चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। एक खत्म होता नहीं कि दूसरा खड़ा हो जाता है। एक दिन पहले पार्टी के पांच जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर वाल्मीकि समाज ने प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो दो प्रधान पुत्रों का कथित झगड़ा पार्टी में नई चकल्लस का विषय बन गया है। यह मसला इसलिए सरगर्म नहीं है कि ये दो प्रधान पुत्रों से जुड़ा है, बल्कि महत्वपूर्ण इसलिए है कि चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा और पूर्व प्रधान की खींचतान इसके केंद्र में है। लिहाजा, मामला पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया है।

विवाद की जड़ चावला-छाबड़ा का शीतयुद्ध
हम आपको इस पूरे प्रकरण से अवगत कराएं, उससे पहले यह जान लीजिए कि इसकी जड़ में जो विवाद है, उससे पार्टी हाईकमान पहले ही भली भांति परिचित है और वो है चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी का। यह कुर्सी पार्टी हाईकमान इसी साल फरवरी में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा से छीनकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुभाष चावला को सौंप चुकी है। इसके बाद से चावला व छाबड़ा के बीच शीतयुद्ध छिड़ा हुआ है। छाबड़ा अध्यक्ष पद से हटने के बाद पार्टी की गतिविधियों से दूर हैं तो मौजूदा अध्यक्ष सुभाष चावला उन्हें पार्टी कार्यक्रमों, यहां तक कि बैठकों में भी आमंत्रित नहीं कर रहे हैं। पिछले दिनों खुद प्रदीप छाबड़ा पार्टी प्रभारी को एक पत्र लिखते हुए उन्हें पार्टी की बैठकों में न बुलाए जाने की शिकायत कर चावला व अपने बीच की दूरियों को जग जाहिर भी कर चुके हैं। इसके बाद छाबड़ा के आरोपों के जवाब में पार्टी के भीतर एक हस्ताक्षर अभियान भी चला, जिसे छाबड़ा को पार्टी से निकालने की भूमिका के रूप में भी देखा गया लेकिन पूर्व प्रधान और मौजूदा प्रधान के बीच की इस नूराकुश्ती में अचानक ऐसे हालात बन गए कि दो प्रधान पुत्र भी आमने-सामने आ गए।

वर्चुअल मीटिंग से उभरा प्रधान पुत्रों का विवाद
दरअसल, वीरवार को चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला ने भाजपा के खिलाफ पार्टी की आगे की रणनीतियों पर विचार-विमर्श के लिए प्रदेश कांग्रेस नेताओं की एक वर्चुअल मीटिंग बुलाई थी। इसमें कई नेता आमंत्रित किए गए और उन्हें वर्चुअल मीटिंग का लिंक भी व्हाट्सएप पर भेजा गया लेकिन पूर्व की भांति ही निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा व उनके समर्थक नेताओं को इस मीटिंग में फिर नहीं बुलाया गया। चूंकि ऐसी मीटिंगों का निमंत्रण न मिलने की शिकायत छाबड़ा पार्टी हाईकमान से कुछ ही दिन पहले कर चुके थे, इसलिए चावला समर्थकों को अंदेशा था कि व्हाट्सएप पर गए वर्चुअल मीटिंग के लिंक किसी तरह छाबड़ा समर्थक नेताओं के पास पहुंच गए हैं और वह इस बार की मीटिंग में जुड़ सकते हैं।

चावला के फोन से हुए मैसेज ने खड़ा किया बखेड़ा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला के मोबाइल फोन से एक मैसेज पार्टी के आईटी सैल को गया, जिसमें प्रदीप छाबड़ा व उनके समर्थक नेताओं के पास वर्चुअल मीटिंग का लिंक होने की आशंका जताते हुए कहा गया कि यदि यह लोग मीटिंग में जुड़ने की कोशिश करें तो इन्हें इजाजत न दी जाए। कहा जा रहा है कि चावला के मोबाइल फोन से यह मैसेज चंडीगढ़ प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपा दुबे के पुत्र एवं पार्टी के युवा नेता साहिल दुबे ने भेजा और उस समय चावला फोन को अपने दफ्तर में रखकर विश्राम कर रहे थे। इसी बीच, वहां पहुंचे चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला के पुत्र हनी चावला ने साहिल दुबे के हाथ में चावला का फोन और यह मैसेज देखा तो वह आगबबूला हो गए। हनी चावला ने तुरंत इस पर आपत्ति जताते हुए पहले तो मैसेज को डिलीट किया, फिर दोनों प्रधान पुत्रों में जमकर कहासुनी हुई। बताया जाता है कि इस दौरान सुभाष चावला की आंख खुली तो पूरा मामला सुनने के बाद उन्होंने भी साहिल दुबे की क्लास ले डाली। इस घटनाक्रम को लेकर जहां चावला खेमे में भी अभी शांति नहीं हुई है, वहीं छाबड़ा समर्थकों को भी बैठे-बैठाए चावला समर्थकों के खिलाफ नया मुद्दा मिल गया है।

मैंने मैसेज जरूर भेजा लेकिन यह किसी को वर्चुअल मीटिंग में जोड़ने या न जोड़ने को लेकर नहीं था। यह कोई और मैसेज था। खुद चावला जी ने ही यह मैसेज भेजने के लिए मुझसे कहा था लेकिन मैंने इसके लिए अपना मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के बजाय चावला जी का ही फोन इस्तेमाल करना उचित समझा। पूरे मामले में किसी की तरफ से आपत्ति जताने जैसा कुछ भी नहीं था। कुछ लोग इसे बेवजह मुद्दा बना रहे हैं। हनी चावला से भी मेरा कोई झगड़ा या कहासुनी नहीं हुई।

– साहिल दुबे, युवा नेता, चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस।
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