चंडीगढ़ कांग्रेस में उपेक्षा से बढ़ रहा वाल्मीकि समाज का गुस्सा, अब नेशनल वाल्मीकि सभा ने भी खोला मोर्चा

CHANDIGARH: चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस संगठन के पुनर्गठन में वाल्मीकि समुदाय को नजरअंदाज किए जाने को लेकर इस समाज में नाराजगी बढ़ती जा रही है। आज नेशनल वाल्मीकि सभा ने एक मीटिंग कर इस मामले को कांग्रेस हाईकमान तक ले जाने और वाल्मीकि समाज को पार्टी में उचित स्थान व मन-सम्मान न मिलने तक संघर्ष करने का फैसला किया गया।

मीटिंग में वक्ताओं ने कहा कि चंडीगढ़ में वाल्मीकि समुदाय की अधिक संख्या है। उसके बावजूद काफी लंबे समय से चंडीगढ़ कांग्रेस वाल्मीकि समाज को अनसुना व अनदेखा कर पार्टी में कोई पद, मान-सम्मान और कोई भी जिम्मेदारी नहीं दी गई। पिछले दिनों चंडीगढ़ कांग्रेस ने 5 प्रवक्ताओं को नियुक्त किया लेकिन कोई प्रवक्ता वाल्मीकि समाज से नहीं बनाया गया।

वक्ताओं ने कहा कि कुछ दिन पहले पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनोर को मांग पत्र दिया गया, जिसके लिए कांग्रेस पार्टी की तरफ से 15 लोग गए। इन 15 में कोई भी वाल्मीकि समुदाय का व्यक्ति नहीं था। इसमें भी पार्टी ने वाल्मीकि समुदाय को नजरअंदाज किया। आखिर ऐसा क्या कारण है कि चंडीगढ़ कांग्रेस ने एक भी वाल्मीकि को इस डेलिगेशन में जगह नहीं दी?

मीटिंग में वक्ताओं ने यह भी कहा कि चंडीगढ़ कांग्रेस में काफी समय से वाल्मीकि समुदाय को कोई भी पद या जिम्मेदारी नहीं दी गई है। दो दिन पहले भी चंडीगढ़ कांग्रेस ने पांच जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की तो उनमें भी एक भी वाल्मीकि समुदाय का जिला अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया। चंडीगढ़ कांग्रेस में वाल्मीकि समुदाय को न तो मान-सम्मान दिया जा रहा है और न ही किसी जिम्मेदारी के लायक समझा जा रहा है। कांग्रेस ने इस समाज का इस्तेमाल सिर्फ वोट के लिए किया है। मीटिंग में निर्णय लिया गया कि इस संदर्भ में पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल से मुलाकात कर उनको विस्तार से बताया जाएगा कि कांग्रेस में वाल्मीकि समाज के साथ कैसा बर्ताव किया जा रहा है। साथ ही बंसल से पार्टी में वाल्मीकि समाज को उसका बनता हक दिलाने की मांग की जाएगी।

मीटिंग में नेशनल वाल्मीकि सभा की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष बबिता, उपाध्यक्ष मनीषा, चंडीगढ़ महिला अध्यक्ष मोना सिद्धू, मोना गारू, किरण गहलोत, महेंद्र सिंह, राजविंदर सिंह गुड्डू, ललित, मुकेश कांगड़ा, अमन, मोनिका, सुनील, रामवीर, पवन दुग्गल आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।

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