अगले माह शुरू हो जाएगा ट्रांसपोर्ट चौक पर पहला स्मार्ट एयर प्यूरीफायर‍ टाॅवर, आसपास के दायरे को सेनेटाइज भी करेगा

CHANDIGARH: सिटी ब्यूटीफुल चंण्डीगढ़ के सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र ट्रांसपोर्ट चौक पर भारत के साथ-साथ दुनिया में अपनी तरह के पहले स्मार्ट एयर प्यूरीफायर टाॅवर का निर्माण कार्य अब लगभग पूर्ण होने की ओर है। अगस्त के पहले पखवाड़े में इसके चालू होने के बाद वायु प्रदूषण से बुरी तरह ग्रस्त ट्रांसपोर्ट चौक की आबो-हवा गुणवत्तायुक्त हो जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक इस चौक पर रोजाना लगभग डेढ़ लाख वाहनों का आवागमन होता है।

स्मार्ट एयर प्यूरीफायर टाॅवर को तैयार कर रही पाॅयस एयर प्राइवेट लिमिटेड (Pious Air Pvt Ltd ) कंपनी के अधिकारियों मनोज जेना व नितिन आहलुवालिया के मुताबिक ये एयर प्योरीफायर लगभग 24 मीटर ऊंचा टाॅवरनुमा ढांचा होगा, जो आसपास के वातावरण से 3.88 करोड़ क्यूबिक फीट हवा साफ करेगा। उनके मुताबिक ये स्मार्ट टॉवर चौक आसपास के वातावरण से प्रदूषित वायु को इनटेक करेगा और स्वच्छ वायु बाहर वायुमंडल में छोड़ेगा। इस पर बाकायदा डिस्प्ले भी होगा कि ये स्मार्ट टाॅवर जो हवा अंदर खींच रहा है उसमें प्रदूषण की कितनी मात्रा है व जो हवा बाहर आ रही है वो कितनी शुद्ध है। ये न केवल प्रदूषण खत्म कर देगा, बल्कि इतने ही दायरे में तापमान भी 5 से 6 डिग्री सेल्सियस तक कम कर देगा। इसके अलावा अब इसमें एक नया अतिरिक्त फीचर भी जोड़ा जा रहा है, जिसके तहत इतने ही दायरे को इस टॉवर के जरिए सेनेटाइज भी किया जा सकेगा।

बता दें कि गत 16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन यहां स्मार्ट एयर प्यूरीफायर टाॅवर के लिए भूमि पूजन हुआ था व बीती 12 जुलाई को पहले गुप्त नवरात्रि के दौरान विधिवत पूजन-अर्चना के बाद पूरे ढांचे को खड़ा करने के कार्य का शुभारंभ किया गया। चंडीगढ़ के पर्यावरण एवं वन अधिकारी देवेंद्र दलाई ने भी बीच-बीच में कार्य की प्रगति का निरीक्षण किया व जानकारी लेते रहे। मनोज जेना व नितिन आहलुवालिया के मुताबिक यह प्रोजेक्ट पूरी तरह मेक इन इंडिया के तहत बनाया जा रहा है और इसमें वोकल फाॅर लोकल की अवधारणा का पालन करते हुए स्टार्ट-अप इंडिया के तहत इसे पंजीकृत भी कराया गया है।

चंडीगढ़ प्रशासन को राजस्व भी प्राप्त हो सकता है एयर प्योरीफायर टाॅवर्स के जरिए

जेना व आहलूवालिया ने बताया कि एयर प्योरीफायर टाॅवर्स के जरिए चंडीगढ़ प्रशासन को राजस्व भी प्राप्त हो सकता है। उन्होंने खुलासा किया कि पिछले वर्ष नवंबर में इंदौर देश का पहला स्मार्ट शहर बन गया है, जिसने सफाई और कचरा निपटान के बल पर अंतरराष्ट्रीय बाजार से कमाई शुरू कर दी है। इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड ने सफाई के लिए किए विभिन्न कार्यों से कमाए गए 1.70 लाख कार्बन क्रेडिट अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर 50 लाख रुपए कमाए हैं। उन्होंने कार्बन क्रेडिट के बारे में जानकारी दी कि कार्बन क्रेडिट अंतर्राष्ट्रीय कार्बन उत्सर्जन नियंत्रण की योजना है। कार्बन क्रेडिट सही मायने में किसी देश द्वारा किए गए कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने का प्रयास है, जिसे प्रोत्साहित करने के लिए मुद्रा से जोड़ दिया गया है। कार्बन डाइआक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए क्योटो संधि में एक तरीका सुझाया गया है, जिसे कार्बन ट्रेडिंग कहते हैं, अर्थात कार्बन ट्रेडिंग से सीधा मतलब है कार्बन डाइऑक्साइड का व्यापार।

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