आज की कविताः सुनो, कुछ यादें भेजी हैं…

सुनो,
हवा के साथ कुछ दुआएं भेजी हैं,
मर्तबान में रखना,
और हर रोज थोड़ी चखना,
कुछ नाश्ते में,
खाने के साथ भी,
मुरब्बे की तरह
बहुत फायदा करेंगी।

सुनो,
बारिश में घोलकर कुछ यादें भेजी हैं,
जब कभी अकेले
उदास हो जाओ,
शरबत की चंद बूंदों में
मिला के पीना,
या लस्सी के गिलास में
भर के गटकना,
तरोताजा कर देंगी
और खुशी से भर देंगी।

सुनो,
माला में पिरो कर चंद सांसें भेजी हैं,
कुछ अपनी,
कुछ रिश्तों की,
कुछ दोस्तों की,
उस रब से मांगी हैं,
हम सबने मांगी हैं,
जब कभी सांस उखड़ने या लड़खड़ाने लगे,
एक मोती उतार लेना,
सांसें संभाल लेना।

सुनो,
चंद खट्टी-मीठी बातों की गोलियां भेजी हैं,
मुंह का स्वाद बिगड़ता लगे,
जीभ पे रखना,
उनका स्वाद चखना,
बस
जिंदगी में फिर से स्वाद घोल देंगी।

सुनो,
हम सब मिलकर काम यह करेंगे,
जब तक तुम न लौटे,
रोज यूं ही मिलेंगे,
कभी हवा के रस्ते,
कभी गोलियों के स्वाद में,
कभी याद में,
कभी शरबतों के गिलास में,
यह जंग जीतकर रहेंगे,
तुम विश्वास रखना।

  • स्मिता सेठी, जम्मू।
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