Tripura Elections 2023: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग खत्म, 2 मार्च को होगी मतगणना

16, FEB: त्रिपुरा विधानसभा की 60 सीटों के लिए गुरुवार 16 फरवरी, 2023 को 3,337 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान सम्पन्न हुआ। 80 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। यह अंतिम आंकड़ा नहीं है, क्योंकि मतदान के अंतिम समय 4 बजे तक भी कई मतदान केंद्रों पर बड़ी लाइनें देखी गईं। वोट प्रतिशत का अंतिम आंकड़ा शुक्रवार तक आने की संभावना है।

शाम 5 बजे तक औसतन 75.08 प्रतिशत हुई वोटिंग

चुनाव आयोग के अनुसार शाम पांच बजे तक लगभग 75.08 प्रतिशत वोटिंग हुई। कुल मतदाताओं की संख्या 28,14,584 है, जिसमें से 22,82,397 मतदाताओं ने शाम 5 बजे तक मतदान किया। मतदान शाम 4 बजे तक निर्धारित था, लेकिन कुछ मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लाइन लगने के चलते मतदान प्रक्रिया जारी रही।

समयानुसार वोटिंग अपडेट :

सुबह 9 बजे तक 13.92 फीसदी मतदान
दोपहर 12 बजे तक 32.06 प्रतिशत मतदान
दोपहर 1 बजे तक 51.35 प्रतिशत मतदान
शाम 5 बजे तक 75.08 प्रतिशत मतदान

सुचारू रूप से चला मतदान

मुख्य निर्वाचन कार्यालय की ओर से जानकारी दी गई कि मतदान सुचारू रूप से चला। 60 विधानसभा क्षेत्रों में उत्साहपूर्ण तरीके से लोगों ने मतदान किया। हालांकि बरामदगी के निशान में 20 गुना वृद्धि ने मतदान वाले राज्यों त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में व्यय निगरानी पर ध्यान जरूर केंद्रित किया है। तीनों राज्यों में अब तक 147 करोड़ रुपए से अधिक की कुल बरामदगी की गई है। वहीं अवैध मादक पदार्थों पर नियंत्रण के लिए विशेष अंतर-एजेंसी टीम गठित की गई जिसके द्वारा त्रिपुरा में करीब 14.12 करोड़ रुपए की गांजे की खेती बर्बाद की गई। चुनाव आयोग द्वारा कड़ी निगरानी के लिए तीन राज्यों में 64 व्यय पर्यवेक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई।

3,337 मतदान केंद्रों पर हुई वोटिंग

चुनाव आयोग द्वारा त्रिपुरा में कुल 3,337 मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे। सभी 60 विधानसभा क्षेत्रों में आदर्श मतदान केंद्र भी बनाए गए थे। साथ ही 44 मतदान केंद्रों पर अकेले दिव्यांगजन द्वारा मतदान कराया गया। वहीं 120 मतदान केंद्र केवल महिलाओं द्वारा संचालित किए गए।

259 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला मतपेटियों में कैद

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में वोटिंग के साथ ही चुनाव मैदान में खड़े 259 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला अब मतपेटियों में कैद हो गया है जिसका नतीजा अब निर्वाचन आयोग द्वारा 2 मार्च को घोषित किया जाएगा। त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 31 महिला उम्मीदवारों सहित कुल 259 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत को आजमाया। इसमें भाजपा, कांग्रेस, वाम मोर्चा, टीपरा मोथा और टीएमसी व अन्य दलों के उम्मीदवार शामिल हैं। ज्ञात हो, इस चुनाव में 28 लाख से अधिक मतदाताओं (28,14,584) को मताधिकार मिला था।

इस साल चुनाव कराने वाला पहला राज्य

गौरतलब हो, त्रिपुरा इस साल चुनाव कराने वाला पहला राज्य भी बना है। ज्ञात हो, 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने त्रिपुरा में 25 साल पुराने वाम मोर्चा शासन को समाप्त करने का इतिहास रचा था। तब पार्टी को 36 सीटें और उसके सहयोगी दल आईपीएफटी को आठ सीटें मिली थी।

त्रिपुरा के लोगों पर PM मोदी की अपील का असर आया नजर

पीएम मोदी ने आज सुबह वोटिंग शुरू होने से पहले त्रिपुरा वासियों से ट्वीट कर एक खास अपील की थी जिसमें उन्होंने त्रिपुरा के लोगों से रिकॉर्ड संख्या में मतदान कर लोकतंत्र को मजबूत करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि मैं विशेष रूप से युवाओं से अपने मताधिकार का प्रयोग करने का आह्वान करता हूं। पीएम मोदी की इस अपील का लोगों पर असर नजर आया। लोगों ने बढ़ चढ़कर वोटिंग में हिस्सा लिया।

कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ मतदान

मतदान प्रक्रिया के दौरान सुरक्षाकर्मियों द्वारा चप्पे-चप्पे पर सघन नजर रखी गई। चुनाव को लेकर मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिला। खासतौर से महिलाएं को मतदान केंद्रों के बाहर लंबी लाइनों में लगा देखा गया। वहीं बुजुर्गों ने भी चुनावों में अपनी विशेष रुचि दिखाते हुए जमकर वोटिंग की।

संवेदनशील क्षेत्रों पर रहा खास फोकस

3337 पोलिंग स्टेशन में से करीब 1,100 को सेंसेटिव और 28 को क्रिटिकल मानते हुए वहां कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान प्रक्रिया को शुरू किया गया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) गित्ते किरणकुमार दिनकारो ने यह जानकारी दी।

राज्य की सीमाएं सील

वहीं चुनाव के मद्देनजर राज्य की सीमाओं को भी सील रखा गया। बता दें त्रिपुरा बांग्लादेश के साथ करीब 856 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करता है। सुबह वोटिंग शुरू होने के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र के मतदाता भी वोट डालने पोलिंग बूथों पर पहुंचे।

चुनाव आयोग ने बनाए आदर्श मतदान केंद्र

चुनाव आयोग ने सभी महिलाओं, सभी युवाओं और सभी दिव्यांगों के लिए आदर्श मतदान केंद्र भी बनाए। शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए। वहीं इस दौरान मिजोरम के ब्रू प्रवासियों को त्रिपुरा राज्य में बसाने के बाद, उन्होंने राज्य में पहली बार वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग किया।

क्या है महत्व ?

त्रिपुरा चुनाव के महत्व पर गौर करें तो साल 2014 के लोकसभा के आगे, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव सत्ताधारी भाजपा के लिए बड़ी परीक्षा साबित हुआ। इस बार भी सत्तारूढ़ भाजपा सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य में चिर प्रतिद्वंद्वी रहे वाम मोर्चा और कांग्रेस गठजोड़ के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं। वहीं त्रिपुरा के पूर्व महाराज के उत्तराधिकारी प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन के नेतृत्व वाली आदिवासी पार्टी टिपरा मोथा भी तीसरे पक्ष के तौर पर चुनाव मैदान में है। लेकिन भाजपा ने राज्य में आदिवासी निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी गहरी पैठ बना ली है। 2021 के आदिवासी परिषद चुनावों में मिली जीत इस ओर ही इशारा करती है। यानि भाजपा ने अपने शासनकाल में ही होमवर्क अच्छा कर लिया था। अब चुनाव के नतीजों में इनका असर देखने को मिलता है या नहीं ये चुनाव परिणाम ही तय करेंगे। बताना चाहेंगे कि 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 20 आदिवासी क्षेत्रों के लिए सीटें आरक्षित हैं।

इस चुनाव में मुख्य चेहरे कौन ?

इस चुनाव में मुख्य चेहरे राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साह टाउन बारडोवली निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार हैं जबकि केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक धनपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं। वहीं माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी वाम-कांग्रेस का चेहरा हैं जो गठबंधन में सबरूम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

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