IAS अधिकारी का त्यागपत्र स्वीकार करने को केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री हैं सक्षम प्राधिकारी: एडवोकेट

हाल ही में हरियाणा की महिला आईएएस रानी नागर  ने गत 2 वर्षों में दूसरी बार दिया है त्यागपत्र

CHANDIGARH, 12 MAY: गत 7 मई 2022  को हरियाणा कैडर के 2014 बैच की महिला आईएएस  (भारतीय प्रशासनिक सेवा ) अधिकारी रानी नागर ने भारत के राष्ट्रपति के नाम एक पत्र भेजकर, जिसकी  प्रति उन्होंने उनके निजी  ट्विटर  हैंडल (अकाउंट ) पर भी अपलोड कर सार्वजनिक की है,  तत्काल प्रभाव से आईएएस से त्यागपत्र देने का उल्लेख किया है. नागर ने उनका त्यागपत्र स्वीकार करने की प्रार्थना करते हुए यह भी लिखा है कि वह उनके पूरे  होशो-हवास में एवं बिना किसी दबाव के त्यागपत्र दे रही है. उपरोक्त पत्र की एक-एक प्रति केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी)  और मुख्य सचिव हरियाणा को भी भेजी गयी है.  

ज्ञात रहे कि दो वर्ष पूर्व  4 मई 2020  को भी रानी नागर  ने  आईएएस से उनका  त्यागपत्र प्रदेश की तत्कालीन मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा को  भेजा था  जिसमे उन्होंने इसके कारण  के रूप में सरकारी ड्यूटी पर  निजी सुरक्षा का कारण लिखा  था. 7 मई  2020 को  हरियाणा सरकार  ने  उनका  त्यागपत्र केंद्र सरकार को भेज दिया था जिसके बाद मीडिया में ऐसी खबरें प्रकाशित हुईं थीं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के  आदेशों पर राज्य सरकार ने केंद्र  से  नागर  का  त्यागपत्र स्वीकार करने के बजाये  उन्हें  उनके  गृह राज्य उत्तर प्रदेश में इंटर कैडर डेपुटेशन अर्थात उनके  वर्तमान  हरियाणा स्टेट  कैडर   से उत्तर प्रदेश कैडर  में प्रतिनियुक्ति पर भेजने की अनुसंशा की थी. बहरहाल, इससे पहले केंद्र सरकार द्वारा रानी  का  त्यागपत्र स्वीकार किया जाता या उसके विषय पर कोई  अन्य कार्यवाही होती, उससे पहले ही उन्होंने  त्यागपत्र  वापिस ले लिया गया था. उसके  बाद  7 दिसम्बर 2020  को हरियाणा सरकार ने उन्हें  अतिरिक्त सचिव, नागरिक संसाधन सूचना विभाग के पद  पर तैनात कर दिया था हालांकि गत वर्ष 7 अगस्त 2021 से वह अवकाश पर हैं जैसा उन्होंने उनके पत्र में भी उल्लेख किया है.  

बहरहाल, इस सबके बीच  पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि वर्ष 2011 में केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी ) द्वारा  अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों , जिसमे आईएएस . के अलावा आईपीएस . (भारतीय पुलिस सेवा ) और  आईएफएस  (भारतीय वन सेवा ) अधिकारी भी शामिल हैं,  द्वारा सेवा से  दिए  जाने वाले  त्यागपत्र के विषय में   जारी    दिशा निर्देशों के अनुसार आईएएस  अधिकारियों का  त्यागपत्र स्वीकार करने हेतु   सक्षम प्राधिकारी  केंद्र सरकार के  कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के राज्यमंत्री  है.   वर्तमान में वह  डॉ. जीतेन्द्र सिंह हैं   जो प्रधानमंत्री कार्यालय के  राज्यमंत्री भी हैं.

हेमंत ने  आगे बताया कि सम्बंधित आईएएस  अधिकारी द्वारा उसका  त्यागपत्र उसे आबंटित राज्य कैडर अर्थात प्रदेश  सरकार  के मुख्य सचिव को ही सौंपा  जाना चाहिए जोकि स्पष्ट और बिना किसी शर्त के होना चाहिए. अगर  आईएएस  अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हो  तो उसे उसका  त्यागपत्र   सम्बंधित मंत्रालय /विभाग के सचिव को सौंपा  जाना  चाहिए जिस पर सम्बंधित मंत्रालय /विभाग के कमैंट्स/टिप्पणी के बाद उस  त्यागपत्र को वहां से उस आईएएस अधिकारी के  राज्य कैडर में भेजा जाता है.  

प्रदेश सरकार त्यागपत्र देने वाले आईएएस  अधिकारी के सम्बन्ध में यह सुनिश्चित  करने के बाद कि उसके विरूद्ध किसी प्रकार की कोई विभागीय कार्यवाही या कोई अन्य जांच  आदि  लंबित न हो अर्थात वह विजिलेंस दृष्टि से बेदाग हो एवं इसके साथ साथ ही  उस अधिकारी की  राज्य सरकार के प्रति किसी प्रकार की कोई देनदारी  न हो,  के  बाद  राज्य सरकार द्वारा इस सम्बद्ध में    अनुसंशा अर्थात सिफारिश   केंद्र सरकार को भेजी  जाती  है. लिखने योग्य है कि  आईएएस  अधिकारी के त्यागपत्र  को  स्वीकार  करने के लिए हालांकि  केंद्र सरकार सक्षम है परन्तु ऐसा सम्बंधित प्रदेश सरकार (कैडर ) की अनुसंशा पर ही किया जाता है.  

हेमंत ने बताया कि यह ध्यान देने योग्य है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव  अर्थात राज्य सरकार किसी आईएएस  के त्यागपत्र को न तो अस्वीकार और न ही स्वीकार कर सकते हैं, वह केवल उनकी अनुसंशा के साथ उसे त्यागपत्र   केंद्र सरकार को   भेज सकते हैं.  सामान्य परिस्थितियों में त्यागपत्र देने वाले   अधिकारी का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाता है हालांकि अगर वह अधिकारी ससपेंड  निलंबित चल रहा हो तो  फिर केंद्र सरकार द्वारा इस आशय की जांच की जाती है कि  क्या उस  अधिकारी का त्यागपत्र स्वीकार करना जनहित में होगा अथवा  नहीं क्योंकि ऐसे मामलो  में अनुशासनात्मक और विभागीय कार्यवाही संपन्न होने  के बाद गंभीर मामलों में सम्बन्घित अधिकारी को आईएएस की सेवा  से केंद्र सरकार द्वारा हटाया या बर्खास्त भी किया जा सकता है.

हालांकि अगर त्यागपत्र स्वीकार होने से पहले अधिकारी इसे वापिस  लेने के लिए लिख कर देता है तो त्यागपत्र स्वत: ही वापिस लिया माना जाएगा और उसके स्वीकार करने का प्रश्न भी उत्पन्न नही होता. बहरहाल , हेमंत ने यह भी  बताया कि  आईएएस  अधिकारी द्वारा सेवा से  त्यागपत्र देने के बाद भी केंद्र सरकार  लोकहित में एवं कुछ विशेष परिस्थितियों में आईएएस  अधिकारी द्वारा दिए गए त्यागपत्र को वापिस लेने की अनुमति दे सकती है. हाल ही में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर कैडर के 2010 बैच के आईएएस अधिकारी शाह फ़ैसल, जिन्होंने जनवरी, 2019 में आईएएस से त्यागपत्र देकर प्रदेश राजनीति में जाने का मन बनाया था हालांकि बदली परिस्थितियों में उनका इरादा  बदल गया,  उन्हें  केंद्र सरकार ने आईएएस में पुन: बहाल करने का निर्णय लिया है हालांकि आधिकारिक तर्क यह दिया जा रहा है कि उनका त्यागपत्र केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार ही नहीं किया गया था.   

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