UVM ने कैपिटल ऑफ पंजाब डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट में संशोधन के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जारी पब्लिक नोटिस को किया खारिज

प्रशासन को एक्ट में संशोधन का नहीं अधिकार, गृह मंत्रालय तक पहुंचाया मामलाः कैलाश जैन

CHANDIGARH, 13 APRIL: चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित व्यापारी संगठन उद्योग व्यापार मंडल (UVM) चंडीगढ़ ने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा कैपिटल ऑफ पंजाब डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट-1952 में संशोधन करके बिल्डिंग वायलेशन की पेनल्टी को ₹500 से बढ़ाकर दो लाख रुपए तथा तत्पश्चात 20 रुपए प्रतिदिन से बढ़ाकर 8000 रुपए प्रतिदिन किए जाने की प्रपोजल के लिए जारी किए गए पब्लिक नोटिस को सिरे से खारिज कर दिया है तथा कहा है कि चंडीगढ़ प्रशासन को ऐसा कोई संशोधन करने का अधिकार ही नहीं है।

इस संबंध में UVM की एक बैठक संगठन के अध्यक्ष कैलाश चन्द जैन की अध्यक्षता में हुई, जिसमें कैलाश जैन के अलावा सचिव नरेश जैन, चौधरी विजय पाल सांगवान, सुरेंदर सचदेवा, अमृतपाल सिंह पाली, राकेश मोहन शास्त्री, राकेश कुमार नीटा सहित बड़ी संख्या में व्यापारियों ने भाग लिया। बैठक में प्रशासन के नोटिस के खिलाफ संघर्ष करने का निर्णय लिया गया।

बैठक के बाद UVM के अध्यक्ष कैलाश चन्द जैन ने बताया कि उनकी तरफ से इस नोटिस के खिलाफ अपने ऑब्जेक्शन प्रशासन के पास फाइल कर दिए गए हैं तथा पत्र की प्रति केंद्रीय गृहमंत्री से लेकर मंत्रालय के सभी अधिकारियों तक पहुंचा दी गई है। चंडीगढ़ के प्रशासक से भी इस मामले में दखल देने की अपील की गई है। कैलाश जैन ने बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा जो पब्लिक नोटिस जारी किया गया है वह गैरकानूनी और असंवैधानिक है। प्रशासन को इस एक्ट में ऐसा कोई संशोधन करने का अधिकार ही नहीं है। इस एक्ट में संशोधन केवल संसद द्वारा ही किया जा सकता है, प्रशासन द्वारा नहीं।

कैलाश जैन का कहना है कि प्रशासन द्वारा बिल्डिंग वायलेशंस और मिस यूज की पेनल्टी बिल्डिंग बायलॉज या चंडीगढ़ एस्टेट रूल्स के अंतर्गत ली जाती है। चंडीगढ़ प्रशासन ने चंडीगढ़ एस्टेट रूल्स-2007 के तहत बिल्डिंग वायलेशंस और मिसयूज की पेनल्टी काफी अधिक तय की थी, जिसको हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया था तथा हाईकोर्ट के आदेशानुसार ही व्यापारियों को राहत देने के बारे में एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें पैनल्टी कम करने का फैसला किया जाना था लेकिन प्रशासन ने व्यापारियों को राहत देने की दिशा में काम करने की बजाय एक्ट में ही संशोधन का नोटिस जारी कर दिया तथा एक्ट में अधिसूचित पैनल्टी को 400 गुना बढ़ाने का प्रपोजल बनाकर पब्लिक नोटिस जारी कर दिया, जो कि सरासर गलत है तथा असंवैधानिक है। किसी भी पेनल्टी में 400 गुना बढ़ोतरी किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं हो सकती तथा किसी भी हालत में स्वीकार्य भी नहीं हो सकती।

कैलाश जैन ने मांग की है कि प्रशासन इस नोटिस को तुरंत वापस ले। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासन एक्ट में अधिसूचित पेनल्टी को बढ़वाना चाहता है तो वह तर्कसंगत बढ़ोतरी ( अधिकतम 100% तक हो सकती है) का प्रपोजल बनाकर केंद्र सरकार को भेजे। उस प्रपोजल के आधार पर प्रस्ताव संसद में संशोधन के लिए पेश किया जाएगा, फिर फैसला संसद में होगा। गैरकानूनी दबाव बनाकर शहर की जनता को परेशान न किया जाए। जैन ने कहा कि अगर प्रशासन ने इस नोटिस को वापस नहीं लिया तो लोगों को मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ेगा।

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