विजीलैंस ने एक साल में रिश्वत के 77 मामलों में 106 व्यक्ति दबोचे

पंजाब पुलिस के 38 मुलाजिम और राजस्व विभाग के 24 अधिकारी किए गिरफ्तार

अदालतों से दोषी साबित होने पर 11 कर्मचारियों को सेवा से किया गया बर्खास्त

CHANDIGARH: समाज में से भ्रष्टाचार को खत्म करने के इरादे से पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने पिछले साल के दौरान 77 मामलों में रिश्वत लेते हुए 92 अधिकारियों/कर्मचारियों को काबू करने में सफलता हासिल की जिनमें 7 गज़टिड अधिकारियों और 85 नॉन-गज़टिड कर्मचारियों के अलावा 14 प्राईवेट व्यक्ति शामिल हैं।

इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये विजीलैंस ब्यूरो के चीफ डायरैक्टर-कम-डीजीपी श्री बी. के. उप्पल ने कहा कि ब्यूरो ने रिश्वत लेने वालों पर नकेल कसने और इस सामाजिक बुराई को रोक पाने के लिए दृढ़ता से लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक बहुपक्षीय पहुँच अपनाई। उन्होंने बताया कि पिछले साल के दौरान 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2020 तक ट्रैप लगा कर अन्य विभागों के अलावा पंजाब पुलिस के 38, राजस्व विभाग के 24, स्थानीय निकाय के 5, स्वास्थ्य और बिजली विभाग के 3-3 कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों काबू किया गया।

ब्यूरो की कारगुजारी के बारे जानकारी देते हुये श्री उप्पल ने कहा कि विजीलैंस ने 192 मुलजिमों के खिलाफ 59 अपराधिक मामले दर्ज किये जिनमें 27 गज़टिड अधिकारी, 67 नॉन -गज़टिड कर्मचारी और 98 प्राईवेट व्यक्ति शामिल हैं। इसके अलावा 9 गज़टिड अधिकारी, 24 नॉन-गज़टिड कर्मचारी और 5 प्राईवेट व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए 42 विजीलैंस जाँचें भी दर्ज की गई। इसके अलावा, 2 गज़टिड अधिकारियों और 2 के साथ गज़टिड कर्मचारियों के विरुद्ध नाजायज जायदाद सम्बन्धी 4 मामले भी दर्ज किये गए।

भ्रष्टाचार के प्रति जीरो सहनशीलता की नीति अपनाते हुये 11 नॉन-गज़टिड कर्मचारियों को विभिन्न अदालतों में से दोषी ठहराने के कारण उनके सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों ने उनको सेवा से मुअत्तल दिया गया।

विजीलैंस ब्यूरो के प्रमुख ने आगे बताया कि ब्यूरो की तरफ से पिछले साल 39 विजीलैंस जाँचों को मुकम्मल किया गया। इसके अलावा ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के तरीकों की पहचान करने के लिए अलग-अलग विभागों को निरदेश/सुझाव भी जारी किये।

इस सम्बन्धी विवरण साझे करते हुये श्री उप्पल ने कहा कि अलग-अलग विशेष अदालतों ने भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के अधीन 6 अलग-अलग मामलों में 6 दोषियों को चार साल तक की कैद की सजा सुनाई गई और इन मामलों में 10,000 रुपए से 50,000 रुपए तक के जुर्माने भी किये गए और कुल मिला कर यह जुर्माना 2,50,000 रुपए बनता है।

उन्होंने कहा कि चैकसी जागरूकता सप्ताह के दौरान, विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से राज्य स्तरीय व्यापक मुहिम चलाई गई जिसमें समाज से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सैमीनार और जनतक मीटिंगें की गई और समूह अधिकारियों और कर्मचारियों को अखंडता की कसम दिलाई गई।

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना की महामारी के दौरान जो सरकार के द्वारा जारी कोविड-19 दिशा-निर्देशों की पालना नहीं कर रहे और मास्क और सैनेटाईजर अधिक कीमतों पर बेच रहे हैं, उनके विरुद्ध भी केस दर्ज किये गए।

प्रमुख मामलों का विवरण देते हुये विजीलैंस ब्यूरो प्रमुख ने बताया कि वी.के. विर्दी डी.ई.टी.सी., सिमरन बराड़, विशवजीत सिंह भंगू और राजेश भंडारी, हरियादविन्दर सिंह बाजवा, मनजीत सिंह और हरमीत सिंह (सभी ए.ई.टी.सी.) और प्यारा सिंह, रवि नन्दन, वरुण नागपाल, कालीचरन, सतपाल मुलतानी, वेद प्रकाश जाखड़, अभिषेक दुग्गल, एचएस संधू, सुशील कुमार, जपसिमरन सिंह, दिनेश गौड़ और लखबीर सिंह (सभी ई.टी.ओ.) के विरुद्ध ट्रांसपोर्टरों के साथ मिलीभुगत के द्वारा टैक्स चोरी करवाने के सम्बन्ध में मुकदमा दर्ज किया गया।

इसके अलावा, उन्होंने खुलासा किया कि वरिन्दरपाल धूत, हरनेक सिंह और रुपिन्दर कुमार (सभी नायब तहसीलदार), सिविल अस्पताल गुरदासपुर में तैनात डा. मनजीत सिंह बब्बर, कार्यकारी इंजीनियर पीएसपीसीएल जसविन्दर पाल, डब्ल्यूडब्ल्यूआईसीएस अस्टेट प्राईवेट लिमटिड के डायरेक्टर दविन्दर सिंह सिंधू, अशोक कुमार सिक्का सेवामुक्त पीसीएस अधिकारी के विरुद्ध भी पिछले साल के दौरान अलग-अलग मामलों में केस दर्ज किया गया था।  

उन्होंने बताया कि विजीलैंस ब्यूरो ने कोविड-19 महामारी के दौरान डोगरा मैडीकोज़ के सुनील डोगरा, दिनेश कुमार नवीन मैडीकोज़, डा. महिंद्र सिंह, डा. रिधम तुली, डा. संजय पिपलानी, डा. पंकज सोनी और ईएमसी अस्पताल के मालिक पवन अरोड़ा के खिलाफ भी केस दर्ज किये गए।

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