हरियाणा में 2010 से 2016 तक हुई रजिस्ट्रियों के मामले में 7-ए के उल्लंघनों की जांच होगी: मुख्यमंत्री

कहा- विपक्ष ने कभी भी सरकार को कोई जानकारी नहीं दी, तथ्यों से परे बात करके केवल गुमराह करने का करते हैं काम 

CHANDIGARH, 15 MARCH: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की अपनी प्रतिबद्धता को पुन: दोहराते हुए घोषणा की कि वर्ष 2010 से 2016 तक प्रदेश में जमीन की रजिस्ट्रीयों के मामले में जहाँ भी 7-ए  का उल्लंघन हुआ है, ऐसे सब मामलों की जांच करवाई जाएगी।

मुख्यमंत्री ने यह घोषणा विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान रजिस्ट्रीयों में गड़बड़ी के मामले में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान की। उन्होंने कहा की वर्तमान राज्य सरकार के समक्ष जब भी भ्रष्टाचार का कोई भी मामला सामने आया है तो सरकार ने स्वयं संज्ञान लेकर उस पर आगामी कार्रवाई की है। इसी प्रकार रजिस्ट्री की गड़बडिय़ों के मामले में भी सरकार ने स्वयं संज्ञान लिया और तहसीलों के पिछले रिकॉर्ड की भी जांच करवाई है।

उन्होंने कहा कि 140 तहसीलों और उप तहसीलों में वर्ष 2010 से 2016 तक जमीन की रजिस्ट्रीयों में 7- ए के उल्लंघनों की जांच की जाएगी और इस पूरी प्रक्रिया को तेज गति से आगे बढ़ाया जाएगा। जिसकी भी इस पूरे प्रकरण में संलिप्तता पाई जाएगी उस पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। यदि आवश्यकता हुई तो वर्ष 2004 तक के रिकॉर्ड की भी जांच की जाएगी।विपक्ष पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने हमें किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी भी प्रकार के मामले में कोई भी कार्रवाई की है तो वह मनोहर लाल ने की है। विपक्ष केवल उंगलियां उठाता है और तथ्यों से परे बात करके केवल गुमराह करने का काम करता है ।

उन्होंने कहा कि 13 जून 2020 को गुरुग्राम से रजिस्ट्री में गड़बड़ी की कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थी और सरकार ने स्वयं संज्ञान लेकर इस पर कार्रवाई करने के लिए 13 अगस्त 2020 को वित्त आयुक्त, मंडलायुक्त और उपायुक्तों को पत्र लिखे और संबंधित तहसीलों में रजिस्ट्री में 7- ए के उल्लंघन की जानकारी सरकार के साथ साझा करने के निर्देश दिए। परिणामस्वरूप सरकार के पास लगभग 60,000 रजिस्ट्रीयों का आंकड़ा सामने आया है। इन रजिस्ट्रीयों से संबंधित तहसीलदार, सब-तहसीलदार, पटवारी, क्लर्क इत्यादि से 15 दिनों के अंदर अंदर जवाब दाखिल करने को कहा गया।

उन्होंने कहा कि पहले रजिस्ट्री का कार्य मैनुअल तरीके से किया जाता था, परंतु हमने सितंबर 2020 में इसका एक ऑनलाइन सिस्टम बनाया। सभी प्रणाली को सुव्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए एक -डेढ़ महीने तक प्रदेशभर में नई  रजिस्ट्रीयां नहीं हुई थी। मनोहर लाल ने कहा कि रजिस्ट्री में हो रही गड़बड़ी के मद्देनजर हमने यह पाया कि 2 कनाल यानी 1000 स्क्वायर मीटर जमीन का इस्तेमाल ही अवैध कॉलोनियों के लिए होता है। रजिस्ट्री में गड़बड़ी करने के लिए नियम के तहत प्रयोग होने वाले कृषि योग्य भूमि और वेकेंट लैंड शब्दों का दुरुपयोग किया गया। इसी पर नकेल कसने के लिए हमने यह निर्णय लिया कि 2 कनाल भूमि की सीमा 1 एकड़ होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो भी कोई अवैध कॉलोनियों को विकसित करने के लिए छोटी भूमि को खरीदता और बेचता है, उस पर रोक लगनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2010 से 2016 तक की अवधि की जांच की घोषणा कुछ लोगों को शायद बर्दाश्त ना हो तो वह न्यायालय का रास्ता भी अपना सकते हैं, परंतु सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी इस मुहिम से किसी भी कीमत में पीछे नहीं हटेगी।

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