विज्ञान के साथ अध्यात्म को जोड़कर जीवन सुखमय बना सकते हैं: अमरनाथ भाई

CHANDIGARH: गांधी स्मारक निधि पंजाब, हरियाणा व हिमाचल की ओर से एक गोष्ठी ‘‘गांधी दर्शन एवं युवा’’ विषय पर गांधी स्मारक भवन सैक्टर 16 चंडीगढ़ में की गई। इस गोष्ठी में मुख्य वक्ता वाराणसी से आये अखिल भारत सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष, प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक तथा स्वतंत्रता सेनानी अमरनाथ भाई थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता देवराज त्यागी निदेशक गांधी स्मारक भवन चंडीगढ़ ने की।93 वर्षीय गांधीवादी विचारक अमरनाथ भाई ने युवा शक्ति के आगे अपना व्याख्यान रखते हुए कहा कि आज हमारे सामने बहुत सी चुनौतियां हैं।

उनका सामना आज के युवा को करना है। उन्होंने अपने रहने लायक समाज का निर्माण स्वयं करना है। आज विज्ञान ने दुनिया को छोटा कर दिया है। हमारे समाज को एक बहुत बड़ी देन है विज्ञान। इसी विज्ञान और टैक्नोलाॅजी ने माचिस या चाकू बनाया। इनका प्रयोग रसोई में खाना बनाने के लिये आग जलाने तथा सब्जी काटने में हो सकता है तथा इसका दुरूपयोग घर जलाने तथा किसी को मारने में भी हो सकता है।

विज्ञान के साथ अध्यात्म को जोड़कर हम एक सुखमय समाज बना सकते हैं। इसलिये इनका समन्वय आवश्यक है। आज मनुष्य तो दिख रहा है पर उसमें मनुष्यता नहीं दिखती। यदि हमारे आचरण में मनुष्यता नहीं होगी तो समाज कैसे चलेगा। समाज में बड़ी बड़ी बातें कही गई पर यदि उन्हें हम अपने जीवन में नहीं उतारते तो उसका क्या लाभ।

आज धर्म के नाम पर लड़ाईयां चल रही हैं। हम एक दूसरे के धर्म पर लड़ते हैं तथा फिर स्वयं भी अपने को बाँटकर उसमें भी लड़ते हैं। धर्म में तंत्र और तत्व दोनों ही समाहित हैं परंतु आज हम तत्व को भूल गये हैं और केवल तंत्र में ही फंस कर रह गये हैं। सभी धर्मों ने मानवता को ऊँचा उठाने की बात की है और जिसे हमने प्रायः भुला दिया है। आज समाज में ‘‘और चाहिये, और चाहिये’’ की दौड़ कई बीमारियां पैदा कर रही है जैसे अनिदा्र, अकेलापन, डिप्रेशन, अविश्वास तथा नकारात्मक सोच है और हम इन सबसे गांधी दर्शन को अपना कर उबर सकते हैं। देवराज त्यागी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि गांधी एवं विनोबा जी के विचार समाज को आईना दिखाते हैं।

हमें उनको दिल से अपनाना चाहिए। डाॅ. एम. पी. डोगरा ने सभी लोगों का धन्यवाद किया तथा कहा कि आज के युवा को नकली दौड़ में न पड़ कर सच्चा जीवन जीना चाहिए उसी में जीवन का आनंद है। गोष्ठी में डाॅ. सरिता मेहता, पापिया चक्रवर्ती, कंचन त्यागी, आनंद राव एवं पुस्तकालय में पढ़ने वाले समस्त छात्रों ने भाग लिया।  

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