AAP नेता प्रदीप छाबड़ा ने चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चाः एडवाइजर और होम सेक्रेटरी के खिलाफ राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजी शिकायत

कहा- उच्च अधिकारी सरकारी यात्राओं में लग्जरी सुविधाओं पर पानी की तरह बहा रहे करदाताओं का पैसा, कार्रवाई की मांग की

CHANDIGARH, 6 AUGUST: चंडीगढ़ के पूर्व मेयर, आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता एवं पंजाब लार्ज इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन प्रदीप छाबड़ा ने आज कुछ समाचार पत्रों में RTI के जरिए मिली जानकारी के आधार पर प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार तथा गृह सचिव समेत अन्य उच्चाधिकारियों के खिलाफ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक शिकायती पत्र भेजकर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। यह मामला इन अफसरों द्वारा सरकारी यात्राओं के दौरान लग्जरी सुविधाओं पर लाखों रुपए खर्च किए जाने से संबंधित है।

प्रदीप छाबड़ा ने पत्र में कहा है कि चंडीगढ़ के आम करदाता विकास और इसी तरह के अन्य उद्देश्यों के लिए सरकार को अपनी गाढ़ी कमाई का हिस्सा देते हैं लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन के अफसर इस पैसे का उपयोग बाहरी उद्देश्यों और अपने निजी हितों के लिए कर रहे हैं, जिसका शहर या चंडीगढ़ के नागरिकों की भलाई अथवा विकास से कोई संबंध नहीं है।

छाबड़ा ने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में पंजाब, हरियाणा और एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी कार्यरत हैं। चंडीगढ़ के नौकरशाह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की आधिकारिक यात्राओं सहित अन्य विभिन्न स्थानों की यात्रा करते हैं, जहां ये नौकरशाह ठहरने के उचित और रियायती विकल्पों, जो कि इन्हीं अधिकारियों के लिए बनाए गए हैं, उनके बजाय महंगे आवास विकल्पों को प्राथमिकता देते हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पॉकेट-फ्रेंडली रूम के साथ यूटी गेस्ट हाउस और पंजाब भवन जैसे विकल्प उपलब्ध हैं लेकिन ये अधिकारी दिल्ली की यात्राओं के दौरान ठहरने के लिए महंगे और लग्जरी होटलों को चुनते हैं, जिनका खर्च लाखों रुपए में होता है।

प्रदीप छाबड़ा ने पत्र में लिखा है कि चंडीगढ़ के दो अधिकारियों, प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल और गृह सचिव नितिन यादव ने यूटी चंडीगढ़ से संबंधित मुद्दों के समाधान के नाम पर दिल्ली व अन्य शहरों की यात्राओं के दौरान पिछले दो वर्षों में कई लाख रुपए खर्च किए हैं। यह जानकारी चंडीगढ़ के एक निवासी ने आरटीआई के जरिए जुटाई है और इसका जिक्र चंडीगढ़ से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों में हुआ है। छाबड़ा ने कहा कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार जहां चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार ने 121 दिनों की यात्रा में लगभग 16 लाख रुपए खर्च किए, वहीं गृह सचिव का बिल ज्यादातर दिल्ली की छोटी यात्राओं पर लगभग 6 लाख रुपए है।

छाबड़ा ने कहा कि इन अधिकारियों के लिए दिल्ली में तीन स्थानों यानी यूटी गेस्ट हाउस, पंजाब भवन और हरियाणा भवन में एक अच्छी, उचित आवास सुविधा है। दिल्ली स्थित पंजाब भवन में 66 कमरे हैं, जहां प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के लिए कमरे का किराया मात्र 100 रुपए से शुरू होता है। इसके अलावा दिल्ली में कनॉट प्लेस के पास एक आलीशान इलाके में स्थित चंडीगढ़ प्रशासन का यूटी गेस्ट हाउस एक विश्राम गृह में परिवर्तित बंगला है, जिसमें तीन कमरे हैं, जिनका किराया 35 रुपए से 100 रुपए तक है। आधिकारिक दौरे पर जाने वाले अधिकारी से प्रतिदिन 35 रुपए और गैर-आधिकारिक दौरे के लिए 100 रुपए शुल्क लिया जाता है। इसके अलावा दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में 75 कमरे हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार वहां अधिकतम दरें एक दिन के लिए केवल 130 रुपए तक हैं, जो वास्तव में नाममात्र है।

छाबड़ा ने कहा कि एक आईएएस अधिकारी जितेंद्र यादव भी 2018 में चंडीगढ़ नगर निगम के कार्यवाहक आयुक्त के रूप में स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार समारोह में भाग लेने के लिए इंदौर गए थे। इस दौरान इस आईएएस अधिकारी ने रेडिसन होटल नामक एक प्रसिद्ध लग्जरी होटल में रहना चुना। इस 3 दिन की यात्रा पर 20,160 रुपए खर्च आया। हालाँकि, राष्ट्रीय दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार दस्तावेज निर्दिष्ट करता है कि यह राशि तीन दिन की अवधि के लिए प्रति दिन 2,250 रुपए तक सीमित थी। हवाई किराया और कुल खर्च सहित पुरस्कार प्राप्त करने में यादव की भागीदारी के लिए करदाताओं के 27,150 रुपए का उपयोग किया गया था।

छाबड़ा ने कहा कि आम करदाताओं ने यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक के पूर्व सलाहकार मनोज परिदा की यात्रा के दौरान भी 9.40 लाख रुपए का खर्च वहन किया था। इसके अलावा नागरिकों ने उक्त अधिकारी के UK वीजा के बिल के वित्तपोषण का बोझ भी उठाया, जिसकी राशि 61,915 रुपए थी। छाबड़ा ने कहा कि यात्रा पर इस तरह के वास्तविक खर्च के अलावा एक और हैरानी की बात सामने आई कि यात्राओं को रद्द करने पर भी आम करदाताओं का पैसा खर्च किया गय। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, प्रशासक के सलाहकार द्वारा यात्रा टिकट रद्द करने से करदाताओं को 45,000 रुपए के टिकटों पर 60,113 रुपए की भारी रकम चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि ये वही करदाता हैं जो छोटी रकम बचाने के लिए महीनों पहले यात्रा की योजना बनाते हैं लेकिन इन अधिकारी की 13 नवंबर से 3 दिसंबर 2019 तक की अस्पष्ट यात्रा से सरकारी खजाने को 1.01 लाख रुपए का नुकसान हुआ।

प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि एक अन्य आईएएस अधिकारी विनोद कावले, जिनके पास सचिव संस्कृति, खाद्य और आपूर्ति का प्रभार है, ने सरकारी खजाने पर लगभग 6.43 लाख रुपए का बोझ डाला। वर्ष 2019 में उनके द्वारा की गई संयुक्त राज्य अमेरिका की एक यात्रा का कुल खर्च लगभग 2.38 लाख रुपए था। यह रकम फ्लाइट टिकट और सामान शुल्क पर खर्च की गई। छाबड़ा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी, जिन्हें लोगों के कल्याण के लिए काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे स्वयं उन्हीं नागरिकों की मेहनत की कमाई को बर्बाद कर रहे हैं।

छाबड़ा ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से इन अधिकारियों की ओर से की गई कथित वित्तीय अनियमितताओं की विशेष उच्च स्तरीय जांच का आदेश देने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस मामले में एक निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच समय की मांग है और इस तरह के अवैध कृत्यों को तुरंत रोकने तथा इस देश के कर-भुगतान करने वाले नागरिकों की मेहनत की कमाई को बचाने के लिए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।

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