ANO Exclusive: लो जी हो गया तय, चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर इस बार दो नई अभिनेत्रियों में होगा सीधा मुकाबला !

INDIA गठबंधन में सीट का बंटवारा लगभग फाइनल, पंजाब के सीएम भगवंत मान का रुख BJP के लिए सबसे अहम

Lok Sabha Elections-2024 CHANDIGARH, 3 OCTOBER (NA): 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में माहौल बनाया जाने लगा है तो चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर भी तैयारियां तेज हो गई हैं। इस बीच, हम राजनीतिक हलकों से आपके लिए बड़ी ब्रेकिंग और हॉट इन्फॉरमेशन लेकर आए हैं। इसके मुताबिक चंडीगढ़ सीट पर इस बार पिछले चुनाव की अपेक्षा मुकाबला ज्यादा दिलचस्प बनने जा रहा है। यहां दस साल बाद एक बार फिर बॉलीवुड की दो अभिनेत्रियों के बीच सीधी चुनावी जंग देखने को मिल सकती है लेकिन इसका दारोमदार पंजाब की एक लोकसभा सीट की तस्वीर पर टिका है। पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान की इच्छा पूरी हुई तो चंडीगढ़ की सीट का मुकाबला देशभऱ में सबसे हॉट होगा। INDIA गठबंधन में आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के बीच चंडीगढ़ और पंजाब की सीटों के बंटवारे पर भी सहमति लगभग बन चुकी है। सिर्फ घोषणा बाकी है।

बॉलीवुड फ्रेंडली बन चुकी है चंडीगढ़ लोकसभा सीट

चंडीगढ़ लोकसभा सीट 2014 से भाजपा के कब्जे में है। बॉलीवुड अभिनेत्री किरण खेर भाजपा के टिकट पर यहां से लगातार दो बार सांसद चुनी जा चुकी हैं। इस लिहाज से चंडीगढ़ सीट पर किसी बॉलीवुड हस्ती का उतरना कोई नई बात नहीं है। 2014 से ही चंडीगढ़ लोकसभा सीट बॉलीवुड फ्रेंडली बन गई है। 2014 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने बॉलीवुड अभिऩेत्री गुल पनाग को अपना उम्मीदवार बनाया था। उनके मुकाबले के लिए ही भाजपा ने किरण खेर को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन आम आदमी पार्टी की गुल पनाग यहां भाजपा की जीत से ज्यादा कांग्रेस की हार के लिए बड़ा फैक्टर बनकर उभरीं। गुल पनाग को 108,679 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के पवन कुमार बंसल को 121,720 वोट मिले। इस तरह भाजपा की किरण खेर 69,642 वोटों के अंतर से चुनाव जीत गई थीं। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की किरण खेर व कांग्रेस के पवन कुमार बंसल का सीधा मुकाबला हुआ लेकिन आम आदमी पार्टी दूसरी बार यहां दमखम से चुनाव नहीं लड़ पाई। नतीजा यह हुआ कि किरण खेर चुनाव तो जीतीं लेकिन जीत के मतों का अंतर कम होकर 46,970 रह गया। अब 2021 के चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी भाजपा व कांग्रेस दोनों को पछाड़कर कुल 35 में से सबसे ज्यादा 14 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो आम आदमी पार्टी अब चंडीगढ़ सीट पर 2024 का लोकसभा चुनाव भी नए जोश के साथ लड़ने की तैयारी में जुट गई है।

राघव चड्ढा ने रख दिया चंडीगढ़ के लिए प्रस्ताव

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि इस बार चंडीगढ़ सीट पर चुनाव लड़ेगा कौन ? तो भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि इस बार एक नहीं, दो बॉलीवुड अभिनेत्रियां यहां एक-दूसरे को चुनावी चुनौती देने वाली हैं। इनमें से एक हैं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की नई-नवेली दुल्हन बनीं अभिनेत्री परिणिति चोपड़ा। जी हां, राघव चड्ढा ने पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर अपनी धर्मपत्नी परिणिति चोपड़ा को चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव रख दिया है। सूत्र बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल ने इस पर सहमति भी दे दी है लेकिन पेंच अभी फंसा है मुख्यमंत्री भगवंत मान के रुख पर। दरअसल, भगवंत मान अपनी धर्मपत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर को भी लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहते हैं। उन्होंने इसके लिए पंजाब की बठिंडा सीट का प्रस्ताव केजरीवाल के सामने रखा है। बठिंडा से फिलहाल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष एवं पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल की धर्मपत्नी हरसिमरत कौर बादल सांसद हैं। सूत्रों का कहना है कि राघव चड्ढा ने पार्टी हाईकमान के सामने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि यदि बठिंडा से सीएम भगवंत मान की पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर को चुनाव मैदान में उतारा जाता है तो चंडीगढ़ सीट पर परिणिति चोपड़ा चुनाव लड़ेंगी। राघव चड्ढा व सीएम भगवंत मान की इन इच्छाओं को देखकर माना जा रहा है कि INDIA गठबंधन में आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के बीच चंडीगढ़ तथा पंजाब की लोकसभा सीटों को लेकर बंटवारा लगभग तय हो गया है। आने वाले दिनों में इसकी घोषणा भी हो जाएगी।

तो फिर भाजपा से कौन होगा उम्मीदवार ?

अब एक और बड़ा सवाल यह है कि यदि चंडीगढ़ सीट से इस बार परिणिति चोपड़ा चुनाव लड़ती हैं तब क्या भाजपा लगातार तीसरी बार अभिनेत्री किरण खेर को ही यहां उम्मीदवार बनाएगी ? तो राजनीतिक जानकारों को इसकी संभावना इस बार कम ही दिख रही है। क्योंकि 2024 का लोकसभा चुनाव सिर पर है और किरण खेर अपने संसदीय क्षेत्र चंडीगढ़ में लगातार निष्क्रिय भी बनी हुई हैं। इसको लेकर वह न केवल विपक्षी दलों, बल्कि अपनी पार्टी भाजपा में भी निशाने पर चल रही हैं। कहा जा रहा है कि खुद किरण खेर भी स्वास्थ्य कारणों के चलते लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं हैं। सियासी जानकार मान रहे हैं कि चंडीगढ़ में किरण खेर की लोकप्रियता का ग्राफ भी गिरा है। कोरोना जैसी महामारी के वक्त भी उनका चंडीगढ़ से गायब रहना लोगों को रास नहीं आया था और वह आलोचना का शिकार भी हुईं। इसको लेकर भाजपा को भी शहर में असहज स्थिति से गुजरना पड़ा था। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि यदि आम आदमी पार्टी ने परिणिति चोपड़ा को चंडीगढ़ सीट पर INDIA गठबंधन का उम्मीदवार बना दिया तो भाजपा के लिए भी प्राथमिकता बॉलीवुड अभिनेत्री को ही उम्मीदवार बनाने की होगी और इसके लिए किरण खेर के बाद भाजपा की पसंद बन सकती हैं कंगना रणौत। कंगना का नाम पिछले कई महीनों से चंडीगढ़ में लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर उछलता भी रहा है। कंगना लंबे समय से भाजपा नेताओं के संपर्क में भी हैं और सक्रिय राजनीति में उतरने की इच्छुक भी बताई जाती हैं। ट्विटर पर वह भाजपा की विचारधारा को समर्थन करती दिखती हैं। कंगना रणौत को मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 2020 में पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

परिणिति अंबाला की तो कंगना हिमाचल की

चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर यदि आम आदमी पार्टी से परिणिति चोपड़ा और भाजपा से कंगना रणौत उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ती हैं तो यह परिणिति व कंगना दोनों के लिए देश की राजनीति में एंट्री का पहला अवसर होगा। दोनों का प्रोफाइल भी चंडीगढ़ के वोटरों के लिहाज से फिट बैठता है। परिणिति चोपड़ा पंजाबी हिंदू परिवार से संबंध रखती हैं। उनका जन्म अंबाला में हुआ है। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा भी अंबाला में ही ग्रहण की, जबकि कंगना रणौत मूल रूप से हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं और चंडीगढ़ में हिमाचली मूल के वोटरों की संख्या भी खासी है। पंजाबी जट्ट सिख परिवार की किरण खेर भी चंडीगढ़ में ही पली-बढ़ी थीं और उनके पति अनुपम खेर मूल रूप से हिमाचल के हैं। भाजपा को चंडीगढ़ सीट पर किरण खेर को उम्मीदवार बनाने से इसका भी फायदा हुआ था।

स्थानीय पुरुष दावेदारों के लिए बड़ा झटका होगा

चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर अगर आम आदमी पार्टी से परिणिति चोपड़ा और भाजपा से कंगना रणौत उम्मीदवार के रूप में उतरती हैं तो यह इन दोनों पार्टियों के पुरुष दावेदार नेताओं के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा। भाजपा में 2014 से चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं हिमाचल भाजपा के सह प्रभारी संजय टंडन तथा उनके पहले से पूर्व सांसद सत्यपाल जैन टिकट के दावेदार रहे हैं लेकिन 2014 में जब आम आदमी पार्टी ने गुल पनाग को उम्मीदवार बना दिया तो भाजपा ने टंडन व जैन के बजाय किरण खेर पर दांव खेला। किरण खेर की जीत के फैक्टर व चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा की गुटबाजी के चलते भाजपा ने 2019 में भी किरण खेर को ही यहां रिपीट किया लेकिन इस बार भाजपा में सांसदी के टिकट के दावेदारों में मौजूदा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का भी नाम जुड़ गया है। अब टंडन, जैन व सूद तीनों ने सांसद के तौर पर चंडीगढ़ में किरण खेर की परफॉरमैंस से पार्टी हाईकमान को नाखुश करके उम्मीद पाली थी कि भाजपा इस बार स्थानीय पुरुष नेता को टिकट दे दे लेकिन आम आदमी पार्टी परिणिति चोपड़ा को चंडीगढ़ में लाकर भाजपा के संजय टंडन, सत्यपाल जैन व अरुण सूद को भी बड़ा झटका देती दिख रही है।

प्रदीप छाबड़ा का रुख AAP के लिए सबसे अहम

परिणिति चोपड़ा का चंडीगढ़ सीट पर उतरना आम आदमी पार्टी के स्थानीय पुरुष नेताओं के लिए भी कम धक्का नहीं होगा। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा यहां AAP से सांसदी की टिकट के सबसे बड़े दावेदार माने जाते हैं। क्योंकि प्रदीप छाबड़ा के नेतृत्व में ही आम आदमी पार्टी ने पहली बार 2021 का चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव लड़ा था, जिसमें आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतकर न केवल सबको चौंका दिया था, बल्कि राजधानी चंडीगढ़ की इस शानदार जीत ने ही पंजाब विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी के लिए जमीन मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। पार्टी ने प्रदीप छाबड़ा को ईनाम स्वरूप पंजाब लार्ज इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड का चेयरमैन भी बनाया लेकिन सांसदी की टिकट की दावेदारी भी उनकी बरकरार है। अब यदि आम आदमी पार्टी परिणिति चोपड़ा को चंडीगढ़ में उम्मीदवार बनाती है तो प्रदीप छाबड़ा का क्या रुख होगा, यह भी आम आदमी पार्टी के लिए काफी अहम है।

क्या पवन बंसल का कांग्रेस कोषाध्यक्ष पद से हटना इसी घटनाक्रम का हिस्सा है ?

अब बात करते हैं चंडीगढ़ की सियासत के सूरमा माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल की, क्योंकि बंसल के बिना चंडीगढ़ लोकसभा सीट की बात अधूरी है। चंडीगढ़ में कांग्रेस के पर्याय बने पवन कुमार बंसल 2014 तक लगातार तीन बार यहां से सांसद चुने जाते रहे। इन 15 साल में वह केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन उनका विजय रथ रोकने में 2014 की मोदी लहर से ज्यादा आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार गुल पनाग का योगदान रहा। 2021 के नगर निगम चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने ही यहां कांग्रेस से मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी छीन लिया। इस तरह कह सकते हैं कि आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ में कांग्रेस के लिए अभिशाप साबित हुई है। इससे सबसे बड़ा झटका चंडीगढ़ कांग्रेस के सर्वमान्य नेता पवन कुमार बंसल को लगा है। पंजाब विधानसभा चुनाव में भी पवन कुमार बंसल ने अपने बेटे मनीष बंसल को पहली बार बरनाला सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार बनवाया तो वहां भी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के हाथों ही उन्हें पराजय मिली। अब आम आदमी पार्टी से व्यक्तिगत सी सियासी दुश्मनी मान बैठे पवन कुमार बंसल को दो दिन पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि INDIA गठबंधन के तहत सीटों के बंटवारे में चंडीगढ़ लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी के हाथों में जाने की संभावना को देखते हुए बंसल पार्टी हाईकमान से नाराज हो गए थे और पार्टी के दिल्ली मुख्यालय में अपने दफ्तर जाना भी छोड़ दिया था। अब जिस तरह राघव चड्ढा ने अपनी पार्टी के समक्ष चंडीगढ़ सीट पर परिणिति चोपड़ा को उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा है तो सियासी जानकार यह तय मान रहे हैं कि भले ही सीएम भगवंत मान की पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर के बठिंडा से चुनाव न लड़ने पर परिणिति चोपड़ा भी यहां चुनाव न लड़ें, फिर भी चंडीगढ़ सीट संभवतः INDIA गठबंधन के नाते आम आदमी पार्टी के कोटे में जा रही है और कांग्रेस को अबकी बार यहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देना होगा। इस स्थिति में चंडीगढ़ की सियासत के सूरमा पवन कुमार बंसल का भी कदम देखना कम दिलचस्प नहीं होगा।

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