पंजाब में एशिया के सबसे बड़े सीबीजी प्लांट ने शुरू किया काम

धान की पराली के स्थायी हल के लिए पेडा ने 42 कम्प्रैस्ड बायो-गैस प्लांट अलॉट किए: अमन अरोड़ा

CHANDIGARH, 12 AUGUST: साफ़-सुथरी ऊर्जा की दिशा में ठोस कदम उठाते हुए पंजाब के जि़ला संगरूर में एशिया का सबसे बड़ा कम्प्रैस्ड बायो-गैस (सी.बी.जी.) प्लांट कार्यशील कर दिया गया है। इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए पंजाब के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री श्री अमन अरोड़ा ने बताया कि प्रतिदिन कुल 33.23 टन सी.बी.जी. की क्षमता वाला यह प्लांट गाँव भुटाल कलाँ (संगरूर) में अप्रैल, 2022 में चालू हो गया है। इस प्लांट से सी.बी.जी. का व्यापारिक उत्पादन शुरू हो गया है, जिसकी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई.ओ.सी.एल.) के आऊटलैट को आपूर्ति की जा रही है।  

इसके अलावा पेडा द्वारा पराली के स्थायी और टिकाऊ हल के लिए धान की पराली और अन्य कृषि अवशेष पर आधारित कुल 492.58 टन प्रतिदिन क्षमता के 42 और सी.बी.जी. प्रोजैक्ट भी अलॉट किए गए हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।  कैबिनेट मंत्री ने बताया कि इन प्रोजैक्टों से तकरीबन 1200 करोड़ रुपए का प्राईवेट निवेश होने की उम्मीद है। इसके अलावा 8000 कौशल प्राप्त/गैर-कौशल प्राप्त व्यक्तियों के लिए रोजग़ार के अवसर पैदा होंगे। इन प्रोजैक्टों से ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन भी घटेगा और कृषि अवशेष से किसानों की आमदन बढऩे के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।  पेडा के चीफ़ एग्जिक्युटिव श्री सुमित जारंगल ने बताया कि कुल 14.25 टन सी.बी.जी. प्रतिदिन की क्षमता वाले दो और प्लांट 2022-23 में मुकम्मल होने की संभावना है और बाकी प्रोजैक्टों के अगले तीन सालों में चालू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह सभी प्रोजैक्ट चालू होने पर प्रतिदिन 492.58 टन सी.बी.जी. पैदा करेंगे और इनमें सालाना लगभग 16.5 लाख टन धान की पराली की खपत होगी।  इसके अलावा इन सी.बी.जी. प्लांटों में तैयार हुई जैविक खाद को जैविक कृषि के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे स्थानीय सहायक उद्योगों को बढऩे-फूलने में मदद मिलेगी। 

अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब में कृषि अवशेष पर आधारित सी.बी.जी. प्रोजैक्टों की अथाह संभावनाएं हैं और हिन्दोस्तान पैट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एच.पी.सी.एल.) द्वारा बठिंडा जि़ले में धान की पराली और अन्य कृषि अवशेष पर आधारत प्रतिदिन 100 के.एल.जी ईथानौल की क्षमता वाला एक प्रोजैक्ट स्थापित किया जा रहा है, जो फरवरी 2023 तक मुकम्मल हो जाएगा। यह प्रोजैक्ट सालाना तकरीबन 2 लाख टन धान की पराली की खपत करेगा। 

उन्होंने कहा कि राज्य में 10 टन प्रतिदिन की क्षमता वाले लगभग 300 और प्रोजैक्ट स्थापित किए जा सकते हैं, जिसके लिए मुख्यमंत्री स. भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा स्टेट एन.आर.एस.ई. नीति- 2012 के अंतर्गत स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्जिज़ के अलावा सी.एल.यू. और ई.डी.सी. चार्जिज़ से छूट समेत इन्वैस्ट पंजाब में वन स्टॉप क्लीयरेंस सिस्टम जैसी कई सुविधाएं और रियायतें प्रदान की जा रही हैं।  

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