कैप्टन ने सुखबीर बादल को दिया जवाबः कृषि कानूनों के झगड़े की जड़ तो आप खुद हो, बातचीत से आप दूध के धुले साबित नहीं होंगे

कहा- भाजपा के साथ सांठ-गांठ के कारण किसानों पर कृषि अध्यादेश थोपने से पहले आपने किसानों के साथ बात क्यों नहीं की

CHANDIGARH: शिरोमणि अकाली दल द्वारा राज्य के नाराज़ किसानों के साथ बातचीत करने के लिए बनाए गए पैनल की खिल्ली उड़ाते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज कहा कि कोई भी बातचीत बादलों को किसान भाईचारे पर घृणित और अलोकतांत्रिक कृषि कानून थोपने में निभाई गई जि़म्मेदारी से मुक्त नहीं कर सकती।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बादल जहाँ इस सारी समस्या की जड़ हैं, वहीं केंद्र सरकार के किसान विरोधी एजंडे की साजिश में भी इनकी मिलीभुगत थी, जिस कारण अकाली ना तो किसानों के साथ समझ बनाने या माफी के लायक हैं और ना ही इसकी कोई आशा रख सकते हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि किसानों के प्रति अकालियों के रवैए की मिसाल तो इस बात से मिल जाती है कि अब भी किसानों की पीड़ा और वेदना का एहसास करने की बजाय सुखबीर प्रदर्शनकारियों को किसान मानने से ही इन्कार कर रही है और यहाँ तक कि किसानों की कांग्रेस समेत अन्य राजनैतिक पार्टियों के प्रति वफ़ादारी होने के दोष लगाकर बल्कि उनको बेइज़्ज़त कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यदि आप (सुखबीर) एक किसान को पहचान तक नहीं सकते तो फिर आप किसानों का भरोसा और विश्वास हासिल करने की उम्मीद कैसे रख सकते हो।’’ उन्होंने कहा कि सिफऱ् पंजाब की धरती का सच्चा पुत्र ही अपने लोगों और उनकी दुख-तकलीफ़ों का असली हमदर्द हो सकता है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सुखबीर बादल द्वारा शिरोमणि अकाली दल के चुनावी प्रोग्रामों को मुलतवी कर देने और किसानों के साथ बातचीत चलाने के लिए पैनल का गठन किए जाने को साल 2022 की विधान सभा ुचनावों से पहले पंजाब के वोटरों को रिझाने का बोखलाहट भरा कदम बताया। उन्होंने अकाली दल के प्रधान को ताडऩा करते हुए कहा, ‘‘किसान और पंजाब के लोग मूर्ख नहीं हैं और इनको झूठों के ज़रिये मूर्ख बनाने की आपकी कोशिशें उल्टा आपको ही भुगतनी हांगी।’’ उन्होंने कहा कि राज्य ने आपको पूरी तरह और स्पष्ट रूप से नकार दिया, क्योंकि आप पहले तो भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर 10 साल राज्य को लूटा और उसके बाद किसानों पर कृषि कानून जबरन मढऩे में भी आप भाजपा के साथ रहे। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों की समूची वैधानिक प्रक्रिया के मौके पर शिरोमणि अकाली दल, केंद्र में एन.डी.ए. सरकार का अटूट अंग था और हरसिमरत बादल, केंद्रीय मंत्रालय का हिस्सा थीं, जिसने अध्यादेशों को मंज़ूरी दी, जो किसानों के लिए मौत की घंटी बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि अकाली दल की एन.डी.ए. की अपेक्षा अलग होने की नौटंकी आंखों में धूल झौंकने की कोशिश से अधिक कुछ भी नहीं है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि वास्तव में बादलों की रूचि इस बात में है कि किसी न किसी ढंग से सत्ता में वापसी की जा सके।

उन्होंने कहा कि मगरमच्छ के आँसू बहा कर भी किसानों का भरोसा हासिल करने में नाकाम रहने के बाद अकाली अब किसानों के साथ बातचीत करने का ढ़ोंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आपने एन.डी.ए. में अपने हिस्सदारों को काले कृषि कानून लाने की इजाज़त देने से पहले किसानों के साथ बातचीत क्यों नहीं की।’’ यहाँ तक कि अध्यादेश लागू होने के बाद बादलों ने किसानों की चिंताओं की रत्ती भर भी परवाह नहीं की और उल्टा कई महीने कृषि कानूनों का ही पक्ष में खड़े रहे।

किसान धड़े से बातचीत करके सभी गलतफहमियां दूर करने संबंधी सुखबीर के बयान का मज़ाक उड़ाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कानून लागू करने की समग्र प्रक्रिया में अकाली दल की भूमिका संबंधी किसानों में किसी तरह की गलतफहमी नहीं है, क्योंकि यह कानून भाजपा द्वारा किसान भाईचारे की कीमत पर अपने पूँजीपति मित्रों को खुश करने के लिए स्पष्ट रूप में बनाई गई साजिश का हिस्सा थे।

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