नगर निगम के दलित कर्मचारियों को GPS घड़ी बंधवाने के मामले में चंडीगढ़ दलित वेलफेयर एसोसिएशन ने किया बड़ा ऐलान

CHANDIGARH: चंडीगढ़ दलित वेलफेयर एसोसिएशन की एक बैठक का आयोजन एसोसिएशन के प्रधान भगत राज दिसावर की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें चंडीगढ़ नगर निगम के 1 मई 2021 से सभी फील्ड वर्कर को जीपीएस घड़ी बांधने के लिए बाध्य करने के फैसले की कड़ी निंदा की गई और चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को यह प्रस्ताव वापस कराने के लिए पत्र लिखा गया। एसोसिएशन ने ऐलान किया है कि यदि यह फैसला वापस नहीं लिया जाता तो एसोसिएशन सड़कों पर उतरेगी और इस मामले की शिकायत ह्यूमन राइट कमीशन से करेगी।

बैठक में कहा गया कि दर्जा चार के ज्यादातर कर्मचारियों में दलित लोग हैं और नगर निगम दलित विरोधी रवैया दिखा रहा है, जिस कारण यह फैसला भी थोपा जा रहा है और दलित कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाया जा रहा है। भगत राज दिसावर ने कहा कि नगर निगम के इस घड़ी बांधने वाले फैसले में दो पक्ष हैं, एक पक्ष में पार्षदों का मानना था कि घड़ी बांधना जरूरी नहीं है। दूसरे पक्ष में नगर निगम के अधिकारी घड़ी बंधवाने के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं, जबकि इन घड़ियों का सालाना किराया 2 करोड़ 1600000 रुपए कंपनी को दिया जा रहा है। इसमें पूरी तरह से भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

बैठक में पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया कि लायंस कंपनी में जो कर्मचारी काम करते हैं, उनकी निगरानी मोबाइल फोन के द्वारा की जाती है, यदि लायंस कंपनी अपने कर्मचारियों की निगरानी फोन द्वारा कर सकती है तो नगर निगम भी ऐसा कर सकता है। नगर निगम अपने कर्मचारियों को घड़ी बंधवाने के लिए क्यों आतुर है।

प्रस्ताव में कहा गया कि यह घड़ी पहनना जरूरी है तो नगर निगम के सभी अधिकारियों तथा आउटसोर्स के सभी कर्मचारियों को भी घड़ी बांधना अनिवार्य करना चाहिए, नहीं तो 3955 इंप्लाइज को भी यह घड़ी बांधना जरूरी नहीं होना चाहिए। बैठक में फैसला किया गया कि यदि जल्द ही इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया तो दलित कर्मचारी संघर्ष करने पर मजबूर होंगे।

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