खेल-खेल में बदलो दुनिया: अब बच्चे पढ़ेंगे क्यों जरूरी है टैक्स देना, इनकम टैक्स विभाग ने तैयार किया ‘सांप, सीढ़ी और टैक्‍‍स’ गेम

NEW DELHI, 13 JUNE: स्वच्छ भारत अभियान हो या कोरोना काल में मास्क पहनने की अनिवार्यता, देश के बच्चे जब इन मुहिम से जुड़े, तो सफलता सबके सामने है। आज देश में जहां जन-जन स्वच्छता को लेकर जागरूक हो रहे हैं, तो वहीं कोरोना के संक्रमण पर भी हम लगाम लगाने में कामयाब हो पाए हैं। ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब भारत का हर नागरिक इमानदारी से अपना टैक्स भरने लगेगा, क्योंकि अब बच्चों को टैक्स साक्षरता के लिए जागरूक किया जाएगा। यानि अब आपके बच्चे आपसे बच्चे पूछ सकते हैं कि क्या आपने इनकम टैक्स भरा है।

दरअसल, इनकम टैक्स विभाग टैक्स यानि कर साक्षरता का प्रसार करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। आयकर विभाग ने खेलों, पहेलियों और कॉमिक्स के माध्यम से बच्चों को टैक्स के बारे में जागरूक करेगा। आज के बच्चे ही देश का भविष्य हैं, इससे उनमें अभी से इसके बारे में जागरूकता आ जाएगी। कें‍द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टेक्‍स्‍ट आधारित साहित्य, जागरूकता संगोष्ठियों और कार्यशालाओं से आगे बढ़ते हुए, ‘खेल से सीखने’ के तरीकों के माध्यम से कर साक्षरता फैलाने के लिए एक पहल अपनाया है। सीबीडीटी ने बोर्ड गेम, पहेली और कॉमिक्स के माध्यम से हाई स्कूल के छात्रों के लिए कराधान, जिन्हें अक्सर जटिल माना जाता है, से संबंधित अवधारणाओं के लिए नया प्रोडक्‍‍ट प्रस्तुत किया है। इस पहल की शुरुआत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नए भारत को आकार देने में युवा प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

बच्चों के लिए प्रस्तुत किए गए नए प्रोडक्ट इस प्रकार हैं:

सांप, सीढ़ी और टैक्‍‍स

यह बोर्ड गेम टैक्स इवेंट और वित्तीय लेन-देन के संबंध में अच्छी और बुरी आदतों को प्रस्‍तुत करता है। यह गेम सरल, सहज और शैक्षिक है जिसमें अच्छी आदतों को सीढ़ी के माध्यम से पुरस्कृत किया जाता हैt और बुरी आदतों को सांपों द्वारा दंडित किया जाता है।

भारत का निर्माण

यह सहयोगात्मक खेल बुनियादी ढांचे और सामाजिक परियोजनाओं पर आधारित 50 मेमोरी कार्ड के उपयोग के माध्यम से करों के भुगतान के महत्व की अवधारणा प्रस्तुत करता है। इस खेल का उद्देश्य यह संदेश देना है कि कराधान प्रकृति में सहयोगी है, प्रतिस्पर्धी नहीं।

इंडिया गेट- 3डी पहेली

इस गेम में 30 टुकड़े होते हैं, प्रत्येक में कराधान से संबंधित विभिन्न नियमों और अवधारणाओं के बारे में जानकारी होती है। इन टुकड़ों को एक साथ जोड़ने पर इंडिया गेट की 3-आयामी संरचना का निर्माण होगा, जो यह संदेश देगा कि करों से ही भारत का निर्माण होता है।

डिजिटल कॉमिक बुक्स

आयकर विभाग ने बच्चों और युवा वयस्कों के बीच आय और कराधान की अवधारणाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए लोटपोट कॉमिक्स के साथ सहयोग किया है। इसमें मोटू-पतलू के बेहद लोकप्रिय कार्टून चरित्रों द्वारा अत्याधिक चुटीले और गुदगुदाने वाले संवादों के माध्यम से संदेश दिए गए हैं।

इन प्रोडक्ट को आरंभ में देश भर के आयकर कार्यालयों के नेटवर्क के माध्यम से स्कूलों में वितरित किया जाएगा। इन खेलों को किताबों की दुकानों के माध्यम से वितरित करने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है।

टैक्स की राशि का क्या करती है सरकार

आपसे टैक्स लेकर या जीएसटी आदि की राशि का खर्च भारत सरकार रक्षा, पुलिस, न्‍यायिक व्‍यवस्‍था, सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य, बुनियादी ढांचा जैसे आवश्यक खर्चों के लिए करती है। सरकार की पूरे देश के नागरिकों के प्रति बहुत सी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती है, जिसमे सरकारी अस्पतालों के द्वारा (जिसमे मुफ्त सेवा दी जाती है), स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा (सरकारी व नगर निगम में फीस न के बराबर है) शामिल हैं। सरकार रसोई गैस को रियायती दर या सब्सिडी रेट पर देती है। नि:संदेह सरकार का भारी खर्च राष्ट्रीय सुरक्षा, आधारभूत संरचना विकास आदि में होता है। विभिन्न विभागों में लाखों कर्मचारियों को वेतन तथा प्रशासनिक शुल्क भी सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इसके अलावा तमाम योजनाओं के जरिए भी सरकार हम पर खर्च करती है।

सामान्य तौर पर एक करदाता कर को बोझ समझता है और इंसानी फितरत है कि कर से कैसे बचा जाए या न्यूनतम कर दिया जाए। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि शुरुआती सालों में कर की दरें भी बहुत अधिक थी। अस्सी के दशक से पहले उपकर सहित आयकर की दर 97.75 प्रतिशत तक थी। पर अब हालात तेजी से बदल रहे है। कर की दर तो कम हो गई है पर विकसित देशों की तरह हमारे देश में इच्छित कर रिवाज की कमी है। अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा है कि “कर सभ्यता की कीमत है”। समय आ गया है कि कर को बोझ न समझकर समाज की कीमत समझा जाए।

कितनी सालाना आय पर लगता है टैक्स

हमारे देश में अलग अलग टैक्स स्लैब पर अलग अलग टैक्स दर तय की गई है। व्यक्तिगत करदाता की तीन कैटेगरी तय की गई हैं। पहली 60 साल से कम के लोगों के लिए, दूसरा वरिष्ठ नागरिक, जिसमें 60 साल से 80 साल की उम्र वाले लोग आते हैं और तीसरा 80 साल से अधिक लोगों के लिए है।

7 स्लैब बनाए गए हैं। इनमें 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय वालों पर 5 % टैक्स लगता है। 5 लाख से 7.5 लाख तक की आय वालों पर 10% टैक्स और 7.5 लाख से 10 लाख रुपए तक की सालाना इनकम वालों पर 15 फीसदी टैक्स लगता है।

वहीं 10 लाख रुपए से 12.5 लाख रुपए की सालाना कमाई पर 20% टैक्स चुकाना होगा। अगर किसी व्यक्ति की आय 12.5 लाख से 15 लाख रुपए तक की है, तो उन पर 25% टैक्स लगाया जाएगा। 15 लाख रुपए से ज्यादा कमाई वालों पर 30 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है।

कब से हुई इनकम टैक्स व्यवस्था की शुरुआत

भारत में आयकर व्यवस्था का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि 1857 की प्रथम क्रांति से ​ब्रिटिश सरकार​ को काफी घाटा हुआ और उसकी भरपाई के लिए ही टैक्स की शुरुआत हुई। हालांकि बाद 1918, 1922 और 1961 में कई संशोधन किए गए। वर्तमान में जो टैक्स व्यवस्था है, उसके ज्यादातर प्रावधान इनकम टैक्स एक्ट 1961 के हैं।

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