कांग्रेस सरकार प्रदेश पर छोड़ कर गई थी 98,000 करोड़ का कर्ज: मुख्यमंत्री मनोहर लाल

कहा-  विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने कार्यकाल के 23000 करोड़ का कर्ज गिनते ही नहीं

CHANDIGARH: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा राज्य पर ऋण के दायित्व को लेकर किए जा रहे सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आंकड़ों के बारे में सही जानकारी नहीं है। कांग्रेस सरकार जब सत्ता से गई थी तब राज्य पर 98,000 करोड़ रुपये का कर्ज था।

मनोहर लाल ने आज यहां प्रेस वार्त को संबोधित करते हुए कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा हमेशा कहते हैं कि जब उनका कार्यकाल समाप्त हुआ, तब राज्य सरकार पर  60,000 करोड़ रुपये का ऋण था, मगर वास्तविकता यह है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा 60 हजार करोड़ रुपये में बिजली कंपनियों का 27,860 करोड़ रुपये का कर्ज जोड़ते ही नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भाजपा 2014-15 में सत्ता में आए तब उदय योजना के तहत बिजली कंपनियों का 27,860 करोड़ रुपये का कर्ज सरकार के कर्ज में समायोजित किया गया, ताकि बिजली कंपनियों पर अधिक बोझ न पड़े। इस कारण ही सरकार के कुल कर्ज में वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि नवंबर 2014-15 तक कांग्रेस कार्यकाल में 70,900 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था और अगर इसमें बिजली कंपनियों का 27,860 करोड़ रुपये का कर्ज जोड़ दिया जाए तो कुल कर्ज 98 हजार करोड़ रुपये बनता है। इस तरह विपक्ष के नेता 38,000 करोड़ रुपये के बारे में झूठ बोल जाते हैं।

राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) हुआ दोगुना
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले छह सालों में प्रदेश की जीडीपी दोगुना से ज्यादा हो गई है। जब कांग्रेस सरकार गई थी, तब 2014-15 में प्रदेश की जीडीपी 3.99 लाख करोड़ रुपये थी, अब यह बढक़र 8.58 लाख करोड़ रुपये है। जीडीपी का 25 फीसदी तक कुल कर्ज लिया जा सकता है। वर्तमान में प्रदेश सरकार का कर्ज 22.8  फीसदी है। उन्होंने कहा कि फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) एक्ट के तहत तीन फीसदी तक कर्ज और भी लिया जा सकता है और इस साल तो केंद्र ने इसे बढ़ाकर पांच फीसदी कर दिया था मगर प्रदेश सरकार ने अपनी  सीमा में ही कर्ज लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय जीडीपी के अनुपात में कर्ज था और अब भी जीडीपी के अनुपात में ही कर्ज है।

एक्साइज डयूटी से 7,000 करोड़ रुपये का राजस्व

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार के शासनकाल में आबकारी राजस्व दोगुना हो गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में आबकारी से 3697 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ था। वर्ष 14-15 में 3470 करोड़ रुपये, वर्ष 2015-16 में 4300 करोड़ रुपये, वर्ष 2016-17 में 4600 करोड़ रुपये, वर्ष 2017-18 में 4900 करोड़ रुपये, वर्ष 2018-19 में 6000 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 6343 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था और वर्ष 2020-21 में 7000 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े स्पष्ट दर्शाते हैं कि लगातार राजस्व बढ़ा है और छह साल में दोगुना हो गया है।


जीएसटी-वैट से 36,000 करोड़ रुपये का राजस्व आया

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2013-14 में जीएसटी-वैट के रूप में 16,700 करोड़ रुपये का राजस्व हुआ था। इसी प्रकार, वर्ष 2014-15 में 18,900 करोड़ रुपये, वर्ष 2015-16 में 21,000 करोड़ रुपये, वर्ष 2016-17 में 23,400 करोड़ रुपये, वर्ष 2017-18 में 26,400 करोड़ रुपये, वर्ष 2018-19 में 27,800 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 32,600 करोड़ रुपये का राजस्व आया था और वर्ष 2020-21 में 36,000 करोड़ रुपये का राजस्व आया है।

फसलों को नष्ट न करें किसान

किसानों से अपनी फसलों को नष्ट न करने और दूध को ऊंचे दामों पर न बेचने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध करना हर किसी का अधिकार है। परंतु अब कुछ लोगों द्वारा किसानों को गुमराह करके इस तरह के कठोर कदम उठाने के लिए बहकाया जा रहा है, जो सही नहीं है। मैं अपने किसान भाइयों से अपील करता हूं कि वे ऐसे फैसले लेने से खुद को रोकें, जो न केवल आम आदमी को प्रभावित करेंगे, बल्कि इससे किसानों को भी नुकसान होगा।
इस मौके पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डीएस ढेसी, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्य, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव  टीवीएसएन प्रसाद, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव और सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल, सलाहकार सार्वजनिक सुरक्षा, शिकायत, सुशासन और इंचार्ज, सीएम विंडो अनिल कुमार राव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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