कांग्रेस के नेता झूठ पर भी एकमत नहीं, पार्टी में पूरी तरह अव्यवस्था का आलम: कैप्टन अमरिंदर सिंह

कहा- यदि मैं बादलों के साथ मिला होता तो उनके खिलाफ 13 वर्षों से अदालतों में नहीं लड़ रहा होता

CHANDIGARH: पंजाब के पूर्व मुख्यमन्त्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने आज कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसके नेता जो बाते कर रहे हैं वे बेहूदा और झूठी हैं। ये लोग अपने द्वारा पार्टी में पैदा की गई अस्थिरता और अव्यवस्था की स्थिति को छिपाना चाहते हैं। उन्होंने पार्टी हाई कमान को भेजे गए तथाकथित पत्र में विधायकों की संख्या के बारे में रणदीप सुरजेवाला और हरीश रावत द्वारा बताई गई दो अलग-अलग संख्याओं का हवाला देते हुए इसे ‘कमेडी ऑफ ऐरर्स’ की संज्ञा दी।

इस पत्र के हवाले से बताया गया था कि उसमें जितने विधायकों की संख्या लिखी है उतने लोगों ने कैप्टन के नेतृत्व में अविश्वास व्यक्त किया है।

उन्होंने ये बात तब कही जब सुरजेवाला ने दावा किया कि पंजाब कांग्रेस के 79 में से 78 विधायकों ने हाई कमान को लिख कर कैप्टन के खिलाफ अविश्वास व्यक्त किया था। मजे की बात ये है कि एक दिन पहले हरीश रावत ने एक बयान में कहा था कि 43 विधायकों ने कैप्टन के खिलाफ अविश्वास व्यक्त किया था।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज एक बयान जारी कर पार्टी नेताओं का मजाक बनाते हुए कहा, ‘‘लगता है सारी पार्टी ही नवजोत सिंह सिद्धू के ड्रामेबाजी के रंग में रंग गई है।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘कोई ताज्जुब नहीं कल ये लोग कह सकते हैं कि 117 विधायकों ने मेरे खिलाफ हाई कमान को लिखा था।’’

उन्होंने हमलावर होते हुए कहा, ‘‘पार्टी का ये तो हाल है कि इसके नेता अपने झूठ पर भी एकमत नहीं हैं।’’ कैप्टन का कहना था कि कांग्रेस पूरी तरह से अव्यवस्थित हो चुकी है और उसका संकट दिन-पर-दिन बढ़ता जा रहा है। बड़ी संख्या में वरिष्ठ नेता पार्टी के काम करने के तरीके से निराश हो चुके हैं। पूर्व मुख्यमन्त्री ने कहा कि पूरा सच ये है कि जिन 43 विधायकों ने चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए उनसे ये काम दबाव डाल कर जबर्दस्ती कराया गया था।

कैप्टन ने कहा कि कांग्रेसी ग नेताओं द्वारा फालाई गई अव्यवस्था से पार्टी पूरी तरह घिर चुकी है जिससे उसके अन्दर डर और घबराहट का माहौल पैदा हो गया है। इसका सबूत पार्टी के नेताओं के बयान हैं। कांग्रेस अपने ही पैदा किए हुए अन्तर्कलहों से जूझ रही है और उसके नेता इसका ठीकरा दूसरों के सिर पर फोडऩे की फिराक में लगे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये देख कर अफसोस होता है कि पार्टी के नेता अपने गुनाहों को छिपाने के लिए तरह-तरह के झूठों का सहारा ले रहे हैं।’’

उनका कहना था कि 2017 से वे मुख्यमन्त्री हैं और तबसे अब तक पंजाब में जितने भी चुनाव हुए उन सबमें पार्टी को विजय मिली जो कि रिकॉर्ड की बात है, जबकि कंाग्रेसी नेता इन सच्चाइयों के उलट बात कर रहे हैं। पिछले विधान सभा चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस ने अभूतपूर्व सफलता पाई और 77 सीटें जीतीं। वर्ष 2019 के उपचुनावों मेें कांग्रेस ने चार में से तीन सीटें जीतीं। यही नहीं सुखबीर सिंह बादल की पक्की मानी जाने वाली जलालाबाद सीट भी कांग्रेस को मिली।

यहां तक कि 2019 के लोक सभा चुनावों में भाजपा की तगड़ी लहर के बावजूद कांग्रेस ने प्रदेश की 13 में से 8 सीटें जीतीं। इस साल फरवरी में जब 7 म्युनिसिपल कारपोरेशन के चुनाव हुए तो 350 में से कांग्रेस ने 281 (80.28 प्रतिशत) सीटें जीतीं। इसी तरह म्युनिसिपल काउंसिल के चुनावों में 109 में से 97 म्युनिसिपल काउंसिलर कांग्रेस के जीते। पार्टी ने 2165 वार्डो में से 1486 (68 फीसदी) पर विजय हासिल की।

कैप्टन ने कहा कि उपरोक्त आंकड़े दिखाते हैं कि पंजाब के लोगों ने उनमें विश्वास नहीं खोया जैसा कि सुरजेवाला का दावा है। ये सारा मामला नवजोत सिंह सिद्धू के इशारे पर कुछ नेताओं/विधायकों द्वारा चलाया जा रहा जिन्हें किन्ही अज्ञात कारणों से पार्टी हाई कमान ने पंजाब कांग्रेस में अपनी मनमानी करने की छूट दी हुई है।

उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने कल जितने भद्दे झूठ बोले उनसे कांग्रेस की हालत का पता चलता है। बारागड़ी और पुलिस फायरिंग जैसे संवेदनशील और भावनात्मक मामलों पर जितने झूठ बोले गए हैं उन सबकी वजह से अगले चुनावों में कांग्रेस को पंजाब में भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उनका कहना था, ‘‘इन लोगों का आरोप है कि मैं बादलों से मिला हुआ हूं। यदि ऐसा होता तो मैं 13 वर्षों से बादलों के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई न लड़ रहा होता।’’ उन्होंने कहा कि इस लड़ाई के दौरान पार्टी का कोई भी नेता उनके साथ नहीं आया।

इन मामलों में कोई कार्रवाई न करने के आरोपों के सिलसिले में उन्होंने कहा कि मार्च 2017 में मुख्य मन्त्री बनने के बाद से उनकी सरकार ने गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी के तीनों प्रमुख मामलों को अंजाम तक पहुंचाया। ये घटनाएं जून से अक्तूबर के बीच 2015 में हुई थीं। इन अपराधों के तीनों मुख्य आरोपियों को कांग्रेस सरकार बनने के 16 महीनों के अन्दर 5 जुलाई को गिरफ्तार किया गया।

इसके अलावा कोटकपूरा और बेहबल कलां फायरिंग केसों में वरिष्ठतम पुलिस अधिकारियों जिनमें आई.जी पुलिस परमराज उमरानंगल और एस.एस.पी. चरणजीत शर्मा शामिल हैं, को सरकार बनने के दो वर्षों के अन्दर ही गिरफ्तार किया गया। लगभग 12 लोगों जिनमें डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैणी और पूर्व विधायक मन्तर सिंह बराड़ शामिल हैं के खिलाफ मामलों में चार्जशीट दायर की गई। इन दोनों केसों में 7 चार्जशीट दायर की गई जिनमें से कुछ को हाई कोर्ट ने नकार दिया। उनका कहना था कि सत्य सबके सामने है। असलियत ये है कि सिद्धू और उसके समर्थकों ने बकवास फैलाई है कि इन केसों में कुछ नहीं किया गया जबकि सत्य सबके सामने है।

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