चंडीगढ़ में पार्षदों के मनोनयन पर विवाद: कांग्रेस ने प्रशासक पर लगाया एक्ट की गरिमा के खिलाफ काम करने का आरोप

चुनौती दी: नए मनोनीत पार्षदों के ट्रैक रिकॉर्ड और उनके अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान का खुलासा करे प्रशासन

CHANDIGARH, 19 OCTOBER: चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित पर भाजपा के आठ पदाधिकारियों को मनोनीत पार्षदों के रूप में नामित करने को लेकर चंडीगढ़ पर लागू पंजाब नगर निगम अधिनियम की प्रावधानों की गरिमा के विपरीत काम करने का आरोप लगाया है।

पार्टी के प्रवक्ता राजीव शर्मा द्वारा यहां जारी एक बयान में आरोप लगाया गया कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में से आठ को पार्षद मनोनीत करने का प्रशासक का फैसला 2021 के नगर निगम चुनाव में दिए गए चण्डीगढ़वासियों के जनादेश को हाईजैक करने के समान है, जहां कांग्रेस पार्टी ने शहर के सभी 35 वार्डों में सामूहिक रूप से सबसे अधिक वोट लिए थे और वोटों के लिहाज से सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। हालांकि सबसे ज्यादा सीटें आम आदमी पार्टी के पास गयी थी।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चंडीगढ़ के लिए लागू पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट 1994 में प्रावधान है कि निगम में नामांकन केवल उन व्यक्तियों में से होना चाहिए जिन्होंने सार्वजनिक मामलों में नाम कमाया हो और अपने कार्यक्षेत्र में प्रतिष्ठित हों या जिन्हें नगरपालिका प्रशासन के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव हो। राजीव शर्मा ने प्रशासन को चुनौती देते हुए कहा कि वह नामांकित पार्षदों के ट्रैक रिकॉर्ड और उनके अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान का खुलासा करे, जिसके कारण उन्हें नामांकित नगर पार्षदों के प्रतिष्ठित पद तक पहुँचाया गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा के आठ कार्यकर्ताओं के इस तरह से मनमर्जी नामांकन होने से एक बार फिर पता चला है कि प्रशासन ने उस भाजपा के प्रभाव में काम किया है, जो देश में सभी संवैधानिक और वैधानिक प्राधिकरणों को कमजोर करने में लगातार लगी हुई है। नामांकन का यह फैसला निगम को और कमजोर कर सकता है, जिससे शहर के विकास की गति में बाधा आ सकती है। चंडीगढ़ कांग्रेस ने प्रशासक से चंडीगढ़ के लोगों के हित में अपने इस फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है।

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