सीएम विंडो के माध्यम से 25 साल बाद मिला मृत्यु प्रमाण-पत्र

प्रार्थी ने जताया सीएम विंडो से जुड़े अधिकारियों के साथ-साथ सरकार का आभार

CHANDIGARH: प्रदेश में लोगों की शिकायतों का त्वरित निपटान करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा आरम्भ की गई सीएम विंडो बड़ी ही कारगार सिद्ध हो रही है। एक ओर जहां लोग अब चंडीगढ़ आने की बजाय अपने-अपने जिलों से ही मुख्यमंत्री के पास सीधी शिकायतें पहुंचा रहे हैं तो वहीं मुख्यालय स्तर पर भी इनकी नियमित निगरानी की जाती है। यहां तक की शिकायतकर्ता को मोबाइल पर उसकी शिकायत की सुनवाई किस स्तर पर है, की सूचना भी दी जाती है।

सीएम विंडो की निगरानी कर रहे मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल के अनुसार गुरुग्राम के गांव घोषगढ़, फरूखनगर, वार्ड नम्बर 7 के निवासी दुलीचन्द ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि 26 सितम्बर, 1996 को हरियाणा परिवहन की बस से हुई दुर्घटना में उसके जीजा देशराज की मौत हो गई थी। एनओसी कटवाने के बाद भी 25 वर्षों तक उनका मृत्यु प्रमाण-पत्र प्राप्त नहीं हुआ था, जिस पर उसने सीएम विंडो पर अपनी शिकायत दर्ज करवाई थी।

भूपेश्वर दयाल ने बताया कि प्रार्थी की शिकायत सीएम विंडो पर 1 अप्रैल, 2021 को शिकायत नम्बर 29987 अपलोड की गई थी, जिस पर तत्काल कार्यवाही करते हुए इस सन्दर्भ में गुरुग्राम के नागरिक अस्पताल को सूचित किया गया। अस्पताल के अधिकारियों तथा नगरनिगम के अधिकारियों ने वर्ष 1996 का रिकॉर्ड ढूंढा और प्रार्थी को 16 अगस्त, 2021 को मृतक देशराज का मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी कर दिया। शिकायतकर्ता ने अस्पताल तथा सरकार की कार्यवाही पर संतुष्टि जताते हुए अपनी शिकायत वापिस ले ली है।

प्रार्थी ने माना कि 25 वर्षों से वह नागरिक अस्पताल, गुरुग्राम व नगर निगम कार्यालय के चक्कर लगाकर थक चुका था तब किसी ने उसे सीएम विंडो पर अपनी शिकायत दर्ज करवाने का सुझाव दिया था। इसके बाद उसने 1 अप्रैल, 2021 को अपनी शिकायत दर्ज करवाई दी थी और अब उनकी समस्या का समाधान हो गया है, जिसके लिए वे सीएम विंडो से जुड़े अधिकारियों के साथ-साथ सरकार का आभार व्यक्त करते हैं।

ओएसडी भूपेश्वर दयाल के अनुसार ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनका सीएम विंडो के माध्यम से समाधान किया गया है, जो काफी समय से लम्बित चली आ रही थी । हर महीने सीएम विंडो पर आई शिकायतों की समीक्षा की जाती हैं और सम्बंधित विभागों के अधिकारियों को तय सीमा में उनका समाधान करने के आदेश दिए जाते हैं। डयूटी में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है, यहां तक की कई मामलों में अधिकारियों व कर्मचारियों को निलम्बित भी किया गया है।

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