हो गया तयः सुभाष चावला हटाए जाएंगे चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी से

जानिएः अब किस युवा नेता को सौंपी जाएगी चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस की कमान

CHANDIGARH: नगर निगम चुनाव में करारी हार के बाद अब चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन का फैसला कर लिया गया है। ऐसे में पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद यहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदला जाना तय है। अब सवाल यह है कि चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस का नया प्रधान कौन होगा तो हम आपको बता दें कि इसके लिए चंडीगढ़ के पूर्व डिप्टी मेयर एवं कांग्रेस के युवा नेता हरमोहिंदर सिंह लक्की का नाम लगभग तय हो गया है। अगर कोई सिसायी पेंच नहीं फंसा तो अगले महीने लक्की की चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर ताजपोशी हो सकती है।

निगम चुनाव में हार का ठीकरा फूटा है मौजूदा प्रधान सुभाष चावला के सिर

दिसंबर-2021 में हुए चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन पार्टी की उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत रहा है। 2016 के निगम चुनाव में कांग्रेस मात्र 5 सीटों के साथ कांग्रेस नगर निगम की सत्ता से बाहर हो गई थी और भाजपा 21 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत से निगम पर काबिज हुई थी लेकिन 2021 के यानी ताजा निगम चुनाव में भाजपा के खिलाफ एंटी इनकमबैंसी के माहौल के बावजूद कांग्रेस मात्र 3 सीट का इजाफा कर पाई। उसे कुल 35 सीटों में से 8 सीटों पर जीत मिली। हालांकि राजनीतिक प्रेक्षक इसके लिए सबसे बड़ा फैक्टर आम आदमी पार्टी को मानते हैं, जिसने पहली बार चंडीगढ़ में नगर निगम चुनाव लड़ा और पहली बार में ही 14 सीटें जीतकर इस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर आई। कांग्रेस दूसरे से तीसरी नंबर पर खिसक गई। इस चुनाव परिणाम को लेकर चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस में गुस्से का तूफान खड़ा हो गया। सबके निशाने पर आ गए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला। उन पर चुनाव में प्रत्याशियों का गलत चयन करने, उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में अकेला छोड़ देने, संगठन की मजबूती पर जोर न देने, भितरघात को न रोक पाने, पार्टी में असंतोष का कारण बनने जैसे आरोप लगाए गए। चुनाव की तैयारियों के बीच ही टिकट वितरण को लेकर सुभाष चावला की पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं चंडीगढ़ में कांग्रेस हाईकमान माने जाने वाले पवन कुमार बंसल से भी अनबन की खबरें आती रही थीं। कुल मिलाकर निगम चुनाव के रिजल्ट के बाद चौतरफा हमलों से घिरे सुभाष चावला पिछले दिनों चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं। उन्होंने केंद्रीय हाईकमान से भी आग्रह कर दिया है कि अब उन्हें इस जिम्मेदारी से कार्यमुक्त कर दिया जाए।

निगम चुनाव की खातिर ही चंडीगढ़ में एक साल पहले अध्यक्ष बने थे चावला

चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस में ठीक एक साल पहले फरवरी 2021 में नेतृत्व परिवर्तन हुआ था। तब चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे लेकिन छाबड़ा विरोधी गुट उन पर इकला चलो का हामी होने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को तवज्जो न देने, सबको साथ लेकर न चलने व पार्टी को कमजोर करने का इल्जाम लगा रहा था। इस गुट का नेतृत्व खुद सुभाष चावला, तत्कालीन कांग्रेस नेता देविंदर सिंह बबला व हरमोहिंदर सिंह लक्की कर रहे थे। एक रणनीति के तहत छाबड़ा विरोधी यह गुट पार्टी हाईकमान को यह समझाने में सफल हो गया था कि प्रदीप छाबड़ा के प्रदेश अध्यक्ष रहते चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव जीत पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। लिहाजा, पार्टी हाईकमान ने 9 फरवरी 2021 को अचानक प्रदीप छाबड़ा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया तथा सुभाष चावला को चंडीगढ़ में कांग्रेस की कमान सौंप दी गई। इसका तात्कालिक नतीजा यह हुआ कि पार्टी में अचानक हाशिए पर डाल देने व अध्यक्ष पद से हटाए जाने के तरीके से क्षुब्ध प्रदीप छाबड़ा ने कांग्रेस छोड़ दी और आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद छाबड़ा समर्थक कांग्रेसियों की बड़ी फौज भी पार्टी से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी में चली गई। इससे पहली बार चंडीगढ़ में नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए आम आदमी पार्टी को बड़ी ताकत मिल गई। बाद में कांग्रेस में टिकट न मिलने से नाराज नेताओं को भी तोड़कर प्रदीप छाबड़ा आम आदमी पार्टी में ले गए और निगम चुनाव के रिजल्ट में आम आदमी पार्टी शहर में सबसे बड़ी पार्टी बन गई। यानी चंडीगढ़ में निगम चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस का नेतृत्व परिवर्तन का फार्मूला फेल ही नहीं, कांग्रेस पर ही उल्टा और बहुत भारी पड़ गया।

कुछ नेताओं की महत्वाकांक्षा में उलझ गई कांग्रेस

कांग्रेस में अब कहा जा रहा है कि पिछले साल चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन नगर निगम चुनाव जीतने की रणनीति कम, कुछ नेताओं की महत्वाकांक्षा का परिणाम ज्यादा था। पिछले साल प्रदीप छाबड़ा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के लिए लामबंदी कर रहे तीन प्रमुख नेताओं सुभाष चावला, देविंदर सिंह बबला व हरमोहिंदर सिंह लक्की में से तब बबला व लक्की ही प्रदेश अध्यक्ष पद के मुख्य दावेदार थे। इनमें भी बबला की दावेदारी सबसे प्रबल थी। लक्की व बबला इस मुहिम में पार्टी के वरिष्ठ नेता सुभाष चावला का साथ मिलने से खुद को ताकतवर मानकर चल रहे थे। चावला अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी से हमेशा इंकार करते रहे लेकिन सियासत में कुछ स्थाई नहीं होता, यह चावला ने साबित कर दिया। पार्टी हाईकमान में हालात सुभाष चावला के पक्ष के बने यानी कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चंडीगढ़ कांग्रेस के प्रभारी हो गए तो चावला अध्यक्ष पद के लिए आगे हो गए। क्योंकि हरीश रावत से चावला की घनिष्ठता जग जाहिर रही है। लिहाजा, चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सुभाष चावला की नियुक्ति से बबला व लक्की तब इतने नाराज हो गए थे कि उन्होंने चावला को बधाई तक नहीं दी थी। चावला के इस सियासी पैंतरे को बबला व लक्की ने विश्वासघात के रूप में लिया। तब बबला व लक्की को मनाने के लिए चावला उनके घर गए तो स्थितियां कुछ सामान्य होती दिखीं लेकिन बबला व लक्की इस टीस को अपने दिल से अब तक नहीं निकाल पाए हैं। यही कारण है कि निगम चुनाव के रिजल्ट के बाद सबसे पहले बबला ही सुभाष चावला से सरेआम भिड़ गए थे। यहां तक कि बबला ने कांग्रेस भी छोड़ दी तथा भाजपा में शामिल हो गए। यह बात अलग है कि बबला का भाजपा में जाना भी उनकी महत्वाकांक्षाओं का ही परिणाम है।

चंडीगढ़ के पूर्व डिप्टी मेयर हरमोहिंदर सिंह लक्की।

अब लगेगी लक्की की लाटरी

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा प्रधान सुभाष चावला के अनुरोध व उनके प्रति यहां पार्टी के हालात को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने चंडीगढ़ में एक बार फिर कांग्रेस नेतृत्व को बदलने का मन बना लिया है। इसके लिए पंजाब विधानसभा चुनाव खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है। क्योंकि पूरी पार्टी इस समय पंजाब समेत पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को लेकर बेहद व्यस्त है। यह चुनाव निपटते ही इन प्रदेशों के अलावा कुछ अन्य राज्यों में भी पार्टी संगठन में फेरबदल संभावित है। पार्टी संगठन की चुनाव प्रक्रिया भी तेज हो चुकी है। ऐसे में चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के नए प्रधान के नाम की बात करें तो प्रदीप छाबड़ा व देविंदर सिंह बबला के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब सुभाष चावला के स्थान पर पूर्व डिप्टी मेयर हरमोहिंदर सिंह लक्की अकेले दावेदार बचे हैं। नगर निगम चुनाव में भी वह अपने वार्ड की सीट पर बहुत मामूली अंतर से हारे थे, जिसे पार्टी उनकी हार के रूप में नहीं, बल्कि लक के रूप में ही ले रही है। चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की पंक्ति में फिलहाल उनका कोई विकल्प भी नहीं बचा है। लिहाजा, पार्टी हाईकमान ने नए चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिए एचएस लक्की का नाम लगभग तय कर दिया है। लक्की फिलहाल पंजाब की बरनाला विधानसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल के पुत्र मनीष बंसल के चुनाव प्रचार में जी-जान से जुटे हुए हैं।

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