राज्य सभा में फिर गरजे दीपेंद्र हुड्डाः मोदी किसानों के आंदोलन को पवित्र मानते हैं तो इसकी मांग भी मान लें

NEW DELHI: सांसद दीपेंद्र हुड्डा राज्य सभा में आज एक बार फिर किसानों के हकों की लड़ाई लड़ते हुए जमकर गरजे और तथ्यों व आंकड़ों के साथ बोलते हुए तुरंत किसानों से बात करने और आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवार को विशेष पैकेज देने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे विश्वास बनेगा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मान रहे हैं कि आंदोलन पवित्र है तो सरकार पवित्र आंदोलन की मांग भी मान ले। 11वें दौर की बातचीत को सरकार बीच में छोड़कर चली गयी थी, किसान नेता तो 5 घंटे इंतज़ार करते रहे। इसलिए बातचीत की पहल का फर्ज सरकार का है। अपनी प्रजा की बात मानने से सरकार छोटी नहीं होगी। सरकार किसानों की मांगें मानने में अपनी हार न समझे।


सरकार याद रखे, कोरोना संकट में डगमगायी अर्थव्यवस्था को किसानों ने ही बचाया

राज्य सभा में केंद्रीय बजट 2021-22 पर चर्चा के दौरान अपने वक्तव्य में दोबारा किसानों के मुद्दे पर दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि ये बजट किसान को समर्पित होना चाहिए था लेकिन सरकार ने कृषि बजट ही 8.5 प्रतिशत घटा दिया। कोरोना में जब अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी तब किसान ने खेत में पसीना बहाकर देश की अर्थव्यवस्था को बचाया। देश के नागरिकों को अबाधित भोजन व्यवस्था दी और किसी को भूख से नहीं मरने दिया। कोरोना काल में जब देश के नागरिकों को भूख से बचाने के लिए किसान लड़ रहा था, उसी वक्त सरकार चुपचाप पीछे से किसान की कमर तोड़ने के लिए तीन काले क़ानून लेकर आयी। दीपेन्द्र हुड्डा ने MSP जारी रहेगी का दावा करने वाली सरकार को खुली चुनौती दी कि अगर सरकार झूठ नहीं बोल रही तो इसकी कानूनी गारंटी क्यों नहीं देती। बार-बार झूठे वायदे करने के कारण देश के किसानों का इस सरकार से विश्वास उठ गया है। इसलिए वो लिखित कानूनी गारंटी मांग रहा है।

एक देश-एक विधान का नारा लगाने वाली सरकार बताए कि एक देश में दो मंडी क्यों ?

दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए सवाल किया कि एक देश-एक विधान, एक देश-एक संविधान, एक देश-एक निशान, एक देश-एक चुनाव, एक देश-एक मार्केट का नारा लगाने वाली सरकार बताए एक देश में दो मंडी क्यों ? प्राइवेट खरीददार को मंडियों में खरीद से किसने रोका है। सरकार यदि कह रही है कि बाहर प्राईवेट मंडी में ज्यादा भाव मिलेगा तो ये कानून बनाने में क्या आपत्ति है कि एमएसपी से कम पर खरीद गैर-कानूनी होगी। ऐसा कानूनी प्रावधान हरियाणा एपीएमसी में हुड्डा सरकार के समय लागू किया गया था।

सरकार तीनों कानूनों को धनवानों की बजाय किसानों के चश्मे से देखे तो पता चलेगा तीनों कानून पूरे के पूरे काले हैं

उन्होंने राज्य सभा में कृषि मंत्री के उस सवाल का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने पूछा था कि 3 कृषि कानूनों में काला क्या है ? सांसद दीपेंद्र ने कहा कि सरकार तीनों कानूनों को धनवानों की बजाय किसानों के चश्मे से देखे तो पता चलेगा तीनों कानून पूरे के पूरे काले हैं। नजरिये का फर्क है। सरकार इन्हें बड़े व्यवसायियों के मुनाफे के नजरिये से देख रही है, जबकि किसान के लिये ये जीवन-मरण का प्रश्न है।

बजट ने कथनी और करनी में अंतर को चरितार्थ किया

दीपेंद्र हुड्डा ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार के लगभग 7 वर्ष के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर रहा है। ये बजट उसी कथनी और करनी में अंतर को चरितार्थ करता है। आत्मनिर्भर भारत की बात करने वाली सरकार ने स्किल डेवलपमेंट का बजट घटाने का काम किया है। किसानों की आय दोगुनी करने की बात करने वाली सरकार ने कृषि बजट का बजट 8.5 प्रतिशत घटा दिया। राष्ट्रवाद की बात करने वाली सरकार ने जवानों को पेंशन का बजट घटा दिया, ‘न्यू इंडिया’ की बात करने वाली सरकार ने वैज्ञानिक अनुसंधान का बजट घटा दिया, और भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने वाली सरकार ने शिक्षा का बजट घटा दिया। संवेदनशीलता की बात करने वाली सरकार ने दिव्यांग कल्याण का बजट घटा दिया, सबका साथ सबका विकास की बात करने वाली सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण का बजट घटा दिया।

70 साल में ड़ीजल-पेट्रोल पर सबसे ज्यादा टैक्स लगा इस पेट्रोलजीवी सरकार में

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार के बड़े-बड़े नारों और वायदों की पोल खोलते हुए कहा कि हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया। इस हिसाब से 7 साल में 14 करोड़ युवाओं को रोजगार मिल जाने चाहिए थे। मगर सरकारी आंकड़ों ने ही 70 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर को दिखाने का काम किया। 70 साल में डीजल-पेट्रोल सबसे ज्यादा महंगा इस सरकार में हुआ। पेट्रोलजीवी सरकार की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि 70 साल में पेट्रोल-ड़ीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स लिया गया। 70 साल में डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे नीचे इसी सरकार में गिरा। 70 साल में सबसे ज्यादा बैंक कर्ज इस सरकार में डूबा। 70 साल में गरीब अमीर के बीच अंतर सबसे ज्यादा बढ़ा है। केवल कोरोना काल में 11 सबसे ज्यादा अमीरों की संपत्ति में 13 लाख करोड़ का इजाफा हुआ है।

एमएसपी की गणना सी 2 के आधार पर हो

हुड्डा कमेटी की सिफारिशों को विस्तार से बताते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इसमें एपीएमसी में सुधार की बात कही गयी। हर 10 किलोमीटर पर मंडी बने। दूसरा, प्राइवेट अगर खरीद करें तो मंडियों से खरीदें और एमएसपी से कम खरीदने वाले पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया। एमएसपी की गणना सी 2 के आधार पर हो। फल, सब्जी व अन्य फसलों को भी एमएसपी के दायरे में लाया जाए। फसली कर्ज की ब्याज दर 0% कर दी जाए।

हर चीज के लिए अनियंत्रित बाजार ठीक नहीं

दीपेंद्र हुड्डा ने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि हर चीज के लिए अनियंत्रित बाजार ठीक नहीं है। अमेरिका में जब ऐसा हुआ तो वहां छोटा किसान बड़े कार्पोरेट के आगे टिक नहीं पाया। अमेरिका की ‘गेट बिग और गेट आउट’ की नीति हिंदुस्तान में नहीं चल सकती। यहां का किसान ‘गेट आउट’ होकर कहां जाएगा। सरकार कहती है बिचौलियों से मुक्त करा दिया तो सरकार बताए कि बड़े धनाढ्य, कार्पोरेट हाउस – टाटा, बिरला, अडानी, अंबानी, पूर्ति किस श्रेणी में आएंगे ? क्या ये किसान की श्रेणी में आएंगे या उपभोक्ता या बिचौलिये की श्रेणी में आएंगे। अगर प्राइवेट कंपनियां ठेके पर जमीन लेकर खेती कराएंगी तो उन करोड़ों छोटी जोत वाले और भूमिहीन किसानों का क्या होगा जो दूसरे की जमीन ठेके पर लेकर खेती करते हैं। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने अपना वक्तव्य जय हिंद, जय जवान, जय किसान का जोरदार नारा लगाकर समाप्त किया।

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