नेता जी की जब से कुर्सी छूटी, तब से नींद भी है उनसे रूठी…

कवियों ने कविताओं से चलाए व्यंग्य बाण

CHANDIGARH: संवाद साहित्य मंच के तत्वावधान में एक हास्य व्यंग्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें पंद्रह कवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जालंधर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं व्यंग्यकार सुरेश सेठ थे। उन्होंने कहा कि हास्य जहां हमें गुदगुदाता है, वहीं हमें सोचने के लिए मजबूर भी करता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुल्लू के चर्चित कवि गणेश गनी  ने कहा कि व्यंग्य एक महत्वपूर्ण विधा है। इसमें एक गहरा अर्थ छुपा होता है और यह बड़ी गंभीर कविताएं होती हैं।

डॉ सरिता मेहता ने अपनी कविता “आज घुटनों ने देखो कैसी बगावत की है” से घुटनों की विवशता का बखान किया। कविवर प्रेम विज ने अपनी कविता “नेता और कुर्सी” में नेताजी द्वारा सपनों में सिर्फ कुर्सी देख कर राजनीति करने पर करारा व्यंग्य करते हुए कहा, ‘नेता जी की जब से कुर्सी छूटी, तब से नींद भी है उनसे रूठी’। कवि डॉ. विनोद शर्मा ने “कुछ लोग दिमाग के कर बंद कपाट” कविता में इंसान के कठपुतली बन जाने पर व्यंग्य किया। कवियत्री नीरू मित्तल ‘नीर’ ने अपनी कविता में अखबार को अपनी सौतन बताते हुए हास्य के रंग बिखेरे।

इस कवि सम्मेलन में दीपक खेत्रपाल, सुभाष रस्तोगी, अनीश गर्ग, बीके गुप्ता,चमन लाल चमन, अश्वनी भीम, हरेंद्र सिन्हा, विजय कपूर और अशोक नादिर ने भी अपनी  लकविताओं के माध्यम से हास्य व्यंग्य की फुहारें छोड़ीं और सबको लोटपोट कर दिया।

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